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विनम्र निवेदन..

साहित्य शिल्पी समूह एक खुला मंच है जो न केवल रचनाकार और पाठक के मध्य एक सीधा संवाद स्थापित करना चाहता है अपितु इसके उद्देश्यों में अंतर्जाल पर हिंदी को समृद्ध करने की संकल्पना भी है। हम इस मंच पर अपने आगामी कार्यक्रमों की घोषणायें करते रहेंगे। आपके सुझाव एवं प्रोत्साहन से ही हमारी ताकत बनेगी, जिससे इस मंच पर हम साहित्य एवं शिल्प की स्तरीय सामग्री के प्रस्तुतिकरण का निरंतर प्रयास करेंगे।



हिन्दी महासागर है... और इसके तल में छिपा है अनंत मणि-माणिक्य, मोती और जवाहरात का अतुल भण्डार ...। हिन्दी साहित्य की कुछ विधाओं के साथ इस मंच पर अपनी गतिविधियों का आरंभ, हम हिन्दी दिवस (14 सितंबर) से कर रहे हैं। रचनाकारों का गुलदस्ता है इस मंच पर, कविता, कहानियाँ, रिपोर्ताज, निबंध और व्यंग्य विधा का पाठक यहाँ निरंतर आनंद ले सकेंगे। साथ ही साथ नाटक विधा पर नाट्यनिर्देशकों के विचार एवं उनके निर्देशन की बारीकियों को भी जान सकेंगे। समसामयिक ज्वलंत समस्याओं से रचनाकार उद्वेलित अथवा प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता, इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रख कर हम परिचर्चा और वाद-विवाद जैसे स्तंभ भी आरंभ करने जा रहे हैं।........फिर हमारे संगीतकार मित्र भी चुनी हुई रचनाओं को अपनी धुन प्रदान करने को तत्पर है.। जहाँ बाल-साहित्य पर आपको बेहतरीन प्रस्तुतिया एवं बाल-मनोविज्ञान पर विशेषज्ञों के विचार इस मंच पर प्राप्त होंगे वही कार्टूनिस्ट भी व्यंग्य के तीर अपने तरकश में लिये आपके समक्ष प्रस्तुत होने को तत्पर हैं....हिन्दी साहित्य के गौरवशाली इतिहास से परिचित कराते आलेख प्रस्तुत होंगे तो विद्वान प्राध्यापकों/लेखकों द्वारा रस, छंद और अलंकारों पर ट्यूटोरियल्स भी होंगे।



योजनायें बहुत सी हैं, लेकिन नीरज की पंक्तियाँ याद आती है कारवाँ गुजर गया, गुबार देखते रहे। गुबार देखने की नौबत न हो इस लिये कारवाँ बनाना आवश्यक है। कड़ियों से कड़ियां जोड कर ही यह मंच खड़ा होगा। आपकी रचनात्मकता का साहित्य शिल्पी परिवार में हार्दिक स्वागत है।



आप हर प्रकार से इस मंच की सहायता कर सकते हैं। रचनाकार हैं, तो अपनी कुछ रचनायें अपनी तस्वीर के साथ sahityashilpi@gmail.com पर प्रेषित करें। हम चित्रकारो, संगीतकारों, पत्रकारों, समालोचकों और व्यंग्यलेखकों का भी इस मंच पर स्वागत करने को तत्पर हैं। हम एक दैनिक पत्रिका की तरह इस मंच का संचालन करेंगे।



अपने सुधी पाठकों से हम विनम्र निवेदन करते हैं, कि हमारी प्रस्तुतियों की गंभीर समालोचना करें। अच्छे कार्य के लिये हम आपसे ही सराहना चाहते है और अपनी त्रुटियों के लिये हम आप से ही आलोचना की अपेक्षा भी रखते हैं। आईये एक संवाद स्थापित करें।



- साहित्य शिल्पी समूह

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13 टिप्पणियाँ

  1. मुझे अपने साथ समझिये.
    अपनी चिंताओं और अपने सरोकारों में भी.
    ये अदना सा हिंदी का सिपाही हर मोर्चे पर आक्पके साथ रहेगा.

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  2. साहित्य शिल्‍पी समूह को बहुत बहुत बधाई, हम हर प्रकार के सहयोग के लिये तत्पर है।

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  3. अच्छा उद्देश्य अच्छा प्रयत्न
    अनेकानेक शुभकामनायें...

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  4. एक आशा सी जग रही है कि हिन्दी साहित्य की विविध विधाएं यहाँ सुंदर रूप में प्रस्तुत होंगी. उद्देश्य निश्चित हो तो मार्ग की कठिनाई स्वयं दूर हो जाती है .यह सपना अवश्य पूर्ण हो , ईश्वर से यही प्रार्थना है. सस्नेह

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  5. anant shubhkamnaye....
    sahitya seva ka sankalp amar rahe isee kamna ke saath...
    aapka hee....
    manish kumar

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  6. बेहद बेहतरीन कार्य
    जिसके लिए की जाएं
    जितनी भी शुभकामनाएं
    वे कम हैं
    यहां पर तो आवश्‍यक हैं
    कर्म कामनाएं
    वे ही तो इसे आगे बढ़ायेंगी।

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  7. क़दम उठाने भर की देरी ही थी।
    देखिए, क़ारवां तो बन गया।

    प्रवीण पंडित

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