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10 टिप्पणियाँ
अभिषेक जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर. आप एक चित्र में इतना कुछ कह देते हैं जो एक पूरे लेख में भी कहना मुश्किल होता है. बधाई स्वीकारें.
"जहाँ काम आवै सुई कहा करै तलवारि.." बिलकुल यही सच है आपके कार्टूनों का। मँहगाई पर इससे सशक्त अभिव्यक्ति क्या हो सकती थी? आम आदमी की पूरी पीडा के प्रस्तुतिकरण के साथ...
जवाब देंहटाएं***राजीव रंजन प्रसाद
बहुत बढिया!!सही व सार्थक।
जवाब देंहटाएंबहुत सही :)
जवाब देंहटाएंएक सच बतलाऊं
जवाब देंहटाएंअभिषेक जी
हर आदमी तो
नहीं लूट सकता
बैंक
पर बैंक तो हर
आदमी को लूट
रहा है आज।
नुक्कड महोदय की बात से सहमत हूँ। अच्छा कार्टून।
जवाब देंहटाएंबहुत सही!!!
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंसचमुच बैंक हर कोई थोड़े ही लूट सकता है :)
जवाब देंहटाएंएक चित्र मे कहना बहुत ही मुशकिल काम है और आपने इसे आसान बना दिया.. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.