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मँहगाई [सप्ताह का कार्टून] - अभिषेक तिवारी

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10 टिप्पणियाँ

  1. अभिषेक जी,
    बहुत सुंदर. आप एक चित्र में इतना कुछ कह देते हैं जो एक पूरे लेख में भी कहना मुश्किल होता है. बधाई स्वीकारें.

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  2. "जहाँ काम आवै सुई कहा करै तलवारि.." बिलकुल यही सच है आपके कार्टूनों का। मँहगाई पर इससे सशक्त अभिव्यक्ति क्या हो सकती थी? आम आदमी की पूरी पीडा के प्रस्तुतिकरण के साथ...

    ***राजीव रंजन प्रसाद

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  3. एक सच बतलाऊं
    अभिषेक जी
    हर आदमी तो
    नहीं लूट सकता
    बैंक
    पर बैंक तो हर
    आदमी को लूट
    रहा है आज।

    जवाब देंहटाएं
  4. नुक्कड महोदय की बात से सहमत हूँ। अच्छा कार्टून।

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  5. सचमुच बैंक हर कोई थोड़े ही लूट सकता है :)

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  6. एक चित्र मे कहना बहुत ही मुशकिल काम है और आपने इसे आसान बना दिया.. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति...

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