जलधि अगाध
देख रही हूँ--
गीली रेत
उस तूफान की
जो अभी-अभी
होकर गुज़रा है
कण-कण
स्नेहासिक्त सा
उन्माद भरी
स्मृतियाँ
ईर्द-गिर्द
बढ़ता भावावेग
अपने साथ
बहाए ले जा रहा है
पगली---
लहरों को
बाँधना चाहती है
समुद्र को
समेटना चाहती है
नहीं जानती
लहरों का आवेग
और भावों का उद्वेग
क्षणिक होते हैं
चाह कर भी इन्हें
रोक नहीं पाएगी
मोहान्ध होगी
और--
दुःख पाएगी ।
21 टिप्पणियाँ
बहुत उम्दा रचना!!!
जवाब देंहटाएंनहीं जानती
जवाब देंहटाएंलहरों का आवेग
और भावों का उद्वेग
क्षणिक होते हैं
चाह कर भी इन्हें
रोक नहीं पाएगी
मोहान्ध होगी
और--
दुःख पाएगी
सुंदर पंक्तियाँ !
चाह कर भी इन्हें
जवाब देंहटाएंरोक नहीं पाएगी
मोहान्ध होगी
और--
दुःख पाएगी
जीवित कविता है।
शोभा जी! मैं इसे अब तक पढ़ी आपकी रचनाओं में बेहतरीन मानता हूँ. बहुत बहुत बधाई, इस खूबसूरत अभिव्यक्ति के लिये.
जवाब देंहटाएंशोभा जी की यह कविता उनका दार्शनिक बयान करती है। उनकी अब तक पढी कविता में श्रेष्ट में इसे रखना चाहूँगी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है।
जवाब देंहटाएंनहीं जानती
लहरों का आवेग
और भावों का उद्वेग
क्षणिक होते हैं
यह एसी रचना है जो किसी के भी मन पर अंकित रह सकती है। इस खूबसूरत रचना के लिये बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंजिस सच्चाई से हम सब हैं परिचित
जवाब देंहटाएंउसमें और गहराई तक कराती है विजिट
kavita mein peedha hai..
जवाब देंहटाएंsarita ki.. laharo ki. un ke laghu astitva ki.
par mera maanana ye bhi hai ki mit jaana bhi astitva ka hi ek bhag hai..:-)
Sundar kavita k liye badhai...
नहीं जानती
जवाब देंहटाएंलहरों का आवेग
और भावों का उद्वेग
क्षणिक होते हैं
बिल्कुल सही कहा आपने शोभा ..बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना
बहुत सही लिखा है आपने. लिखते रहे.
जवाब देंहटाएंachhi kavita
जवाब देंहटाएंsunder....
शोभा जी, बहुत सुंदर रचना है।
जवाब देंहटाएंआपको पढ़ना हमेशा अच्छा लगता है।
गीली रेत
जवाब देंहटाएंप्रत्यक्ष साक्षी है
उस तूफान की
जो अभी-अभी
होकर गुज़रा है
बहुत सुन्दर रचना,
शोभा जी,
जवाब देंहटाएंआपकी इस कविता की अनेको विशेषतायें हैं। यह भाषा पर आपकी पकड ही नहीं बताती अपितु भावनाओं को शब्दों में पिरोने की आपकी दक्षता को भी स्थापित करती है। आपकी इस रचना से हर कोई स्वयं को जोड सकता है।
***राजीव रंजन प्रसाद
अच्छी और गहरी कविता है।
जवाब देंहटाएंशोभा जी मैने आज तक आपकी जितनी भी कविताएँ पढ़ी हैं उनमें सर्वश्रेष्ठ रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...कम शब्दों मे इतनी सुंदर अभिव्यक्ति... वाह!
शोभा जी,
जवाब देंहटाएंरचना.. विशिष्ट शब्दों व भावों का सुन्दर संगम है..पढना बहुत अच्छा लगा.
दार्शनिक रचना।
जवाब देंहटाएंआपकी बेहतरीन रचनाओं में से एक।
बधाई स्वीकारें।
शोभा जी !
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी रचना,चरम और मर्म को छूती सी।
ye kavita waqayi bhaut hi khoobsurat shabdon bhaavpurn hai
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.