नई दुनिया के कार्टूनकार कीर्तिश भट्ट के निराले कार्टूनों ने सबसे अधिक एवरेज दी है। बिना इंधन के दिलों में जा बसे हैं। टाटा की लखटकिया कार नैनो के करोड़ों दीवाने राजधानी के प्रगति मैदान ऑटो एक्सपो में पिछले दिनों सुर्खियों में छाए रहे। इस समय कीर्तिश भट्ट के कार्टून सुर्खियों में हैं। इससे कहीं अधिक सुदूर दूर घरों में अपने घर में नैनों की खबरों का मजा लेते रहे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नैनो की दीवानगी का आलम यह है कि कई तो इस एक लाख की कार को ओपनिंग के वक्त एक लाख से अधिक तक में खरीदने के भी उत्सुक रहे। इसका कारण वे गुण नहीं हैं, जो बतलाए गए, बल्कि वे हैं जो बतलाए ही नहीं गए। अगर वे गुण बतला दिए गए होते तो कार जगत में भयंकर क्रांति आ जाती। चलिए नैनों के इन्हीं छिपे गुणों की महिमा को उजागर किए देते हैं। त्यौहारी सीजन भी पास ही है, शायद इसकी बुकिंग का भी एक नया इतिहास बन जाये। इसका भूमि विवाद तो अभी सुर्खियों में रहा ही है।

बतलाया गया है कि कार एक लीटर पैट्रोल से २०-२५ किलोमीटर चलती है जबकि उसमें एक ऐसा बटन मुहैया कराया गया है कि पहले एक किलोमीटर पैट्रोल से चलने के बाद कार साँस लेने लगती है। अरे दम नहीं फूलता है, मतलब हवा से चलती है। इससे पैट्रोल की खपत खत्म और ईंधन के रूप में हवा का उपयोग चालू। एक व्यक्ति के पूरे दिन के भोजन से भी कम पैट्रोल की खुराक। इसकी इसी क्वालिटी के कारण न तो इसका डीजल वर्जन और न ही सीएनजी वर्जन लाने की जरूरत होगी। नैचुरल गैस भी जमीन के अंदर से निकाली जाती है जबकि हवा ? क्या अब भी बतलाने की जरूरत है। अभी तक तो मुफ्त अवेलेबल है।

पाँच करोड़ की संभावित उड़ने वाली कार इसका क्या खाक मुकाबला करेगी, उड़ेगी तो यह भी परंतु सड़क से सिर्फ २ से ३ इंच ऊपर। जिससे न तो टायर घिसेंगे, न ही पैंचर होगा और न ही इस पर सवारी करने वालों को कोई झटके ही लगेंगे। बल्कि हिल वे जायेंगे जो इसे चलता देख रहे होंगे, वे सोचेंगे कि हाय ! यह अद्भुत कार हमने पहले ही क्यों नहीं ले ली ?

कारों के इंजन को ठंडा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कूलेंट की जगह इसमें सिर्फ फिल्टर किया हुआ पानी ही डालना होगा। उल्लेखनीय है कि कूलेंट की कीमत १५० से २०० रुपये प्रति लीटर है जबकि बोतलबंद फिल्टर पानी सिर्फ १० रुपये में एक लीटर। यानी दो कप चाय या एक कप काफी की जगह एक बोतल पानी सप्ताह भर के लिए काफी होगा। इस कार में ए सी की जरूरत नहीं होगी। लगाई गई अत्याधुनिक तकनीक के जरिए इस कार के सभी शीशे बंद करने पर अंदर का तापमान मनुष्य के शरीर की आवश्यकता के अनुसार स्वयंमेव एडजस्ट हो जाया करेगा। बाहर गर्मी तो अंदर ठंडा और बाहर तो अंदर गर्म। मालिक के पैसे बचाने का निभाएगी धर्म।
पार्किंग की समस्या से इस कार को नहीं जूझना होगा क्योंकि इसमें दिए गए एक बटन और छत पर लगे पाँच प्वाइंट्स की कार के ऊपर पाँच कारें तक खड़ी की जा सकेंगी। इसकी बैलेंसिंग व्यवस्था इतनी दुरुस्त बनाई गई है जिससे एक कार की जगह में पाँच कारें समा सकेंगी। इसे एक के ऊपर एक चढ़ाने के लिए क्रेन जैसी एक क्रेन लेनी होगी। जिसके जरिए कार के कार पार्क करने में कोई परेशानी नहीं होगी। जिन लोगों ने हवाई जहाज से यात्रा की है, वे इस थ्योरी को आसानी से समझ सकते हैं। क्रेन एक मोहल्ले के लिए एक ही ली जा सकती है। कार चोरों से सुरक्षा के लिए आप अपनी क्रेन को किसी गैराज के अंदर बंद करके रखेंगे तो कार चोर एक साथ पाँच कारें किसी भी जन्म में चुरा नहीं पायेगा। अतिरिक्त सुरक्षा के लिए पाँचों कारों को लोहे की एक जंजीर से बाँधा जा सकता है। वैसे चोर को देखकर नैनो अपने नयन मटका मटका कर कारचोर की सूचना संबंधित थाने और अपने मालिक को दे देगी। आखिर ई इंटरनेट का ज़माना है।वरना तो हाल ये है कि पिछ्ले दिनों मुंबई में एक व्यक्ति ने कार तो चार लाख रुपये की खरीदी और उसकी पार्किंग के लिए ३४ लाख रुपये चुकाये। ऐसा अद्भुत मल्टीलेबल पार्किंग सिस्टम इस कार के जरिए भारत में पहली बर लांच हो रहा है। चार दुपहिया की जगह में एक कार और उसके ऊपर चार कार। चार दुपहिया की पार्किंग में पाँच कार तो एक कार के लिए पार्किंग स्पेस एक दुपहिया से भी कम औसत आयेगा। यह कार ट्रैफिक सिग्नल न होने पर स्वयंमेव रुक जाया करेगी फिर चाहे इसका चालक चाहे कितने ही कोड़े फटकार ले, यह टस से मस नहीं होगी और सिग्नल क्लियर होने पर स्वयंमेव चल पड़ेगी। ट्रैफिक सेंस में कमी वाले इंसानों के लिए यह एक वरदान से कम नहीं होगी जिससे इसकी वजह से रोड रैज जैसी घटनाएँ बीते जमाने की बातें हो जायेंगी। इसके इसी गुण की वजह से ट्रैफिक पुलिस का काम भी नहीं बढ़ेगा। जबकि यातायात संभालने से अधिक वे जेब भरने में मशगूल रहते हैं।
इंजन में हुई किसी अंदरुनी खराबी के बाद भी यह कार २० किलोमीटर तक खुद चलने के उत्तम गुणों से युक्त होगी जिससे सर्विस सेंटर तक जाने के लिए भी इसे ढोकर नहीं ले जाना पड़ेगा। खुदा न खास्ता अगर सर्विस सेंटर २० किलोमीटर से ज्यादा दूर है तो सिर्फ एक आदमी धक्का देकर इसे ५ किलोमीटर तक ले जा सकेगा और २ आदमी १५ किलोमीटर। ३ से व्यक्ति इसे धक्का नहीं दे पायेंगे और कार में चालक के सिवाय होंगे भी सिर्फ तीन। इस तरह से इसे २५ किलोमीटर तक ले जाया जा सकेगा।
इतने अधिक विलक्षण गुणों की धनी होने के कारण कोई आश्चर्य नहीं कि 'जितने मेंबर उतनी कार' जैसा एक नया स्लोगन अस्तित्व में आ जाये। इससे भारत का रुतबा पूरे विश्व में बढ़ जाएगा। पहले ही 'जितने मेंबर उतने मोबाइल' की ओर देश काफी स्पीड से बढ़ रहा है। नैनो ने कार्टून जगत में धमाल मचा दिया है। कार जगत में कमाल कर दिया है। असली नजारा तो तब नजर आएगा जब यह मदमाती इठलाती राजधानी की सड़कों पर ठाठें मारती घूमेगी

(हम कीर्तिश भट्ट जी के आभारी हैं, जिन्होंने इस आलेख के लिये अपने कार्टून प्रस्तुत करने की स्वीकृति प्रदान की - साहित्य शिल्पी)
55 टिप्पणियाँ
एक जुगलबंदी सुनी थी तबले और मृदंग की
जवाब देंहटाएंएक जुगलबंदी पढी है कार्टून और व्यंग्य की
अविनाश जी का व्यंग्य तो है ही जबरदस्त साथ में कीर्तिश जी के कार्टूनों ने पूरे लेख को आँख के आगे जीवित कर दिया है। दोनों रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंसुन्दर व्यंग्य!
जवाब देंहटाएंआपके व्यंग्य ने क्रितिश भट्ट जी के कार-टूनों के साथ जुगलबन्दी करके इस पोस्ट को चार नहीं... बल्कि आठ चाँद लगा दिए
जवाब देंहटाएंएसा प्रस्तुतिकरण मेरी नजर से पहले नहीं गुजरा। दोनों विधायें अलग हैं और दोनों का प्रयाग यहाँ खूब हुआ है।
जवाब देंहटाएंbadhiyaa vyangya.. wo bhi jugal bandi k saath.. kahte hain ki petrol aur javani humesha nahi rahengay sambhal kar chalo... nano kaa aagman is ulta hi bayaan karta hai.. ki jab petrol humesha nahi rahega to sabhi ko abhi upyog kar lena chahiye..:-)
जवाब देंहटाएंbaharhaal, bahut achee bhasha aur kalpana ..
इस निराली बैठक और चुटीली संगत का जवाब नहीं।
जवाब देंहटाएंप्रवीण पंडित
डा. रमा द्विवेदी said...
जवाब देंहटाएंअविनाश जी व कीर्तिश भट्ट जी,
व्यंग्य और कार्टून्स का समन्वय बहुत खूब है...बधाई इस नवीन प्रयोग के लिए ।
बहुत सुंदर व्यंग्य है अविनाश जी !
जवाब देंहटाएंअविनाश जी के व्यंग्य के साथ कीर्तिश जी के कार्टून का अद्भूत समागम - वाह मज़ा आ गया....
जवाब देंहटाएंआप दोनों तो बधाई के पात्र हैं ही, साहित्य शिल्पी को भी बहुत बहुत बधाई।
अविनाश जी बहुत सुन्दर । साथ में कार्तिक भट्ट जी के बेहतरीन कार्टून का जवाब नहीं । मजा आ गया.........
जवाब देंहटाएंव्यंग्य,
जवाब देंहटाएंकार्टून
दोनों विधायें साथ...
बहुत - सुन्दर
आप दोनों को बहुत बहुत बधाई।
स्नेह
अविनाश जी आपका व्यंग्य पढ़ लिया , आपने ऑरकुट के पहले ही स्क्रैप में इस हेतु स्मरण कराया था. "साहित्य शिल्पी" वैसे भी एक अभिनव और सराहनीय पहल है..जिसके लिए सभी को साधुवाद है, इसको प्रगति पथ पर ले जाने वाले सभी कलपुर्जे तो बधाई के पात्र है ही....जैसे कीर्ति जी. अच्छा लिख और कर रहे हैं आप लोग. हिन्दी के कलम सिपाही के रूप में मेरा आप लोगो को सेल्यूट.
जवाब देंहटाएंआप दोनों को दिल से बधाई। अविनाश जी की लेखनी इंटरनेट पर हिंदी प्रेमियों के दिल पर वैसे ही छा गई है जैसे नैनो समूचे विश्व में। अविनाश जी को जब moltol.in पर भी पढ़ता हूं। जो भी उन्हें पढ़ेगा बार बार पढ़ना चाहेगा। अविनाश जी को बधाई और उम्मीद है कि उनकी लेखनी का आनंद हर किसी को मिलता रहेगा।
जवाब देंहटाएंकीर्तिश जी,
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कार्टून और सटीक व्यंग्य का मिश्रण है यह रचना.. पाठको को हंसाती और गुदगुदाती हुई..आगे भी इसी तरह की रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी.. आभार
कार्टून के साथ साथ व्यंग्य बहुत ही लाजबाब... बधाई
जवाब देंहटाएंthis is too good site. I appreciate the afforts. cartoons are nice and the article is also well written. keep it up. sorry for writing in english.
जवाब देंहटाएंalok kataria
अविनाश जी, नैनो पर खूब चतखारे लिये हैं आपनें। आपकी कई पंच लाईनें आलेख में जान फूंक रही हैं जैसे:
जवाब देंहटाएं"इसका कारण वे गुण नहीं हैं, जो बतलाए गए, बल्कि वे हैं जो बतलाए ही नहीं गए। अगर वे गुण बतला दिए गए होते तो कार जगत में भयंकर क्रांति आ जाती।"
"शायद इसकी बुकिंग का भी एक नया इतिहास बन जाये। इसका भूमि विवाद तो अभी सुर्खियों में रहा ही है।"
".....कार साँस लेने लगती है। अरे दम नहीं फूलता है, मतलब हवा से चलती है। इससे पैट्रोल की खपत खत्म और ईंधन के रूप में हवा का उपयोग चालू।"
"....बल्कि हिल वे जायेंगे जो इसे चलता देख रहे होंगे, वे सोचेंगे कि हाय ! यह अद्भुत कार हमने पहले ही क्यों नहीं ले ली ?"
"....जिसके जरिए कार के कार पार्क करने में कोई परेशानी नहीं होगी। जिन लोगों ने हवाई जहाज से यात्रा की है, वे इस थ्योरी को आसानी से समझ सकते हैं।"
"खुदा न खास्ता अगर सर्विस सेंटर २० किलोमीटर से ज्यादा दूर है तो सिर्फ एक आदमी धक्का देकर इसे ५ किलोमीटर तक ले जा सकेगा और २ आदमी १५ किलोमीटर।"
बहुत अच्छी प्रस्तुति है यह व्यंग्य आलेख।
कीर्तिश जी के विषय में कुछ कहना कठिन है। उनके व्यंग्य की धार का कोई जवाब नहीं। एसी एसी जहगों से कटाक्ष निकाल लेते हैं कि वरबस ही वाह!! कर उठता है मन। वे इस पीढी के प्रतिभाशाली कार्टूनिष्टों में एक हैं।
***राजीव रंजन प्रसाद
सभी पाठकों के स्नेह, प्रसंशा और प्रोत्साहन के लिए में ह्रदय से आभारी हूँ.
जवाब देंहटाएंअविनाशजी लाजवाब हैं इस बात में कोई दो राय नहीं है.
राजीवजी और साहित्य शिल्पी की सम्पूर्ण टीम बधाई की पात्र है. साहित्य शिल्पी एक अनूठा प्रयास है मेरी शुभकामनायें हैं की आप सभी इसे एक आन्दोलन की तरह जारी रखें.
very well composed
जवाब देंहटाएंcongrates
read about my nano
what u feel
if possible
कार्टून और व्यंग की जुगलबंदी लाजवाब है। वैसे मुझे तो ऐसा लग रहा है कि नाम के अनुरूप "नै नो" को आने मे हिंदी इंग्लिश मिलाकर नही आना है... और जब आयेगी तो कम से कम एक लाख मे तो नै (नही) नो ही बोलेगी, यानि कि एक लाख मे नही आयेगी... वैसे भी सिंगुर प्लांट को "नो" बोला जा रहा है, अब वहाँ से भागने के बाद टाटा को जनता को दिये हुए वादे को टाटा करना ही पडेगा...
जवाब देंहटाएंदोनों को बधाई...!!!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंव्यंग और कार्टून ,दोनों लाजवाब.बहुत बहुत उम्दा.
जवाब देंहटाएंहा हा हा मज़ा आगया। समझ नहीं आया कि कार्टून बढ़िया है या आलेख अथवा कार। बस ये समझो कि सब कुछ मस्त है। हास्य-व्यंग्य द्वारा किया गया वर्णन बेहद खूबसूरत है। अविनाश जी तथा कीर्तिश भट्ट जी को बहुत-बहुत बधाई। इसप्रकार का तालमेल चले तो साहित्य शिल्पी भी दौड़ पड़ेगा। साधुवाद।
जवाब देंहटाएंहा ... हा... हा... सब के सब इस देश में बेचारी नन्ही मुन्नी सी कार की भ्रुण हत्या करनी पर तुले है... एक तो उसका गर्भ गिराने की कोशिश हो रही है (कार खाना उजाडा जा रहा है)कोई उसके पुन: स्थापना में जुटा है.. और आप भी बेचारी पर व्यंग्य कस रहे है....
जवाब देंहटाएंमजा आ गया... पढ कर कार के इतने आयाम आपको ही दिख सकते थे ये आलेख टाटा अंकल को भी भिजवा दो.... उन्हें ब्रांडिग करने मे बडा काम आने वाला है यह... बधाई उत्तम रचना के लिये ढेर सारी बधाई.....
बधाई एक एक कार्टून को भी हर कार्टून बिंदास है... मजा आ गया.... कीर्तिश जी आपकी तूलिका को नमन.... बधाई स्वीकार करें...
अविनाश जी का जवाब नही और कीर्तीश जी के तो क्या कहने... आपकी संगत में मज़ा आ गया...
जवाब देंहटाएंbaap re aisa sangam na pahile kabhi suna na dekha
जवाब देंहटाएंpadhte padhte hansi bhi aa rahi thi aur kalakaar ki soch aur kala ke kayal bhi ho rahe the
dono ko bhaut bahut badhayi
bahut khoob bahut maja aaya
जवाब देंहटाएंsaader
rachana
best
जवाब देंहटाएंबहुत खूब साथ में कार्टून लाजवाब और मजा ना आया ऐसा हो नही सकता। मजा आ गया।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन जुगलबंदी रही और सटीक व्यंग्य!! बधाई.
जवाब देंहटाएंमज़ा आ गया।
जवाब देंहटाएंव्यंग्य और कार्टुन का मज़ा एक साथ।
अनोखी जुगलबंदी है।
वैसे कार पार्किंग का आईडिया मस्त है ।नैनो पर बैठकर भीख मांगते भिखारी का कार्टुन भी जबरदस्त है।
बधाई स्वीकारें।
जबरदस्त व्यंग्य,चुटीली संगत!बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंavinash ji ke rachna to hamesha acche he hote hai bt aaj unke sath cartoons ko dekh kar to bahut accha laga. hope aap log aise he likhte rahange.
जवाब देंहटाएंजुगलबंदी का अनुभव भारतीय शाष्त्रीय-संगीत के संदर्भ में तो था पर ऐसी जुगलबंदी नहीं देखी थी. बहुत सुंदर और प्रभावी प्रयोग है. अविनाश जी और कीर्तिश जी को बहुत बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंअविनाश भाई, मज़ा आ गया.
जवाब देंहटाएंजुगलबन्दी अपने सबसे उम्दा रूप में यहां है.
यह बता पाना बड़ा कठिन है कि कार्टून बेहतर हैं या टिप्पणियां. दोनों एक से बढकर एक हैं. बहुत बहुत बधाई.
मैं आशा करता हूं कि इस सिलसिले को आप जारी रखेंगे और क्रमश: बहुत सारे मुद्दे लेंगे.
एक नई विधा इस तरह आकार ग्रहण करेगी.
मल्टी मीडिया के इस ज़माने में इस बात की अपनी सार्थकता भी होगी.
बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंव्यंग्य धारदार, कार्टून भी जबर्दस्त ।
कीर्तीश भट्ट की लाईनिंग तो कमाल की हैं।
बधाई कीर्तीश जी..
क्या तो व्यंग्य
जवाब देंहटाएंक्या तो कार्टून
मन हुआ मगन
नैनो में लागी रे लगन।
सस्ती कार
जवाब देंहटाएंसस्ता सौदा
जुगलबंदी का
मस्त मसौदा
साहित्य शिल्पी का
जवाब देंहटाएंहै नया शिल्प जिससे
खुला है देखो
एक नई विधा का ताला
बाकी सभी कारों का निकलेगा
जल्द ही दिवाली से पहले दिवाला।
इस अद्भुत टिप्पणी चालीसा
जवाब देंहटाएंके सभी चालीस स्तंभों का
आभार व्यक्त करता हूं
बारंबार पढ़ने और मनन
के लिए मनुहार करता हूं
कीर्तिश भाई का भी आभार
चलता रहे टाटा का व्यापार
कार कार और सिर्फ कार
It is a good one on and Cartoons supported it a lot,
जवाब देंहटाएंDo not know whether Govt know this or not, the more we have the owned vehicles, the more traffic, more petrol which is subsidized,the economy will be dependent on others in terms of petrol,
This solution might be innovative but can be a worse to our society.
SACHIN
मजा आ गया।
जवाब देंहटाएंvery good dilectical-doubling of cartoon and satire.
जवाब देंहटाएंwith regards,
prabhu joshi
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंBahut badhiya vyang hai avinash ji..auir cartoons bhi. badhai.
जवाब देंहटाएंApka har lekh kuch sochne ko majboor kaeta hae |
जवाब देंहटाएंAAp badhai ke patr hae|
अविनाश जी का जबरदस्त व्यंग्य है
जवाब देंहटाएंबहुत सही लिखा है आपने अविनाश जी ..
जवाब देंहटाएंcongrates Kirtishji........
जवाब देंहटाएंBest of luck for best future....
Good words.
जवाब देंहटाएंयह तो लेखन कार्टून का अद्भुत प्रयोग रहा।
जवाब देंहटाएंवैसे यह नहीं मालुम कि टाटा-एमडीआई की हवा से चलने वाली कार का क्या हो रहा है।
व्यंग्य लेखन और कार्टून क क्या सुन्दर मेल है
जवाब देंहटाएंइसके आगे तो लालू की भारतीय रेल भी फेल है।
अच्छी जुगल बंदी के लिऐ कीर्तिश भट्ट जी और आपको धन्यवाद।
बहुत ही मज़ा आया ....जबरदस्त रचना ....आप दोनों को बधाइयाँ ..
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.