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दर्द का रिश्ता [कविता] - सुनीता चोटिया


तेरा मेरा रिश्ता,
लगता है जैसे...
है दर्द का रिश्ता,
हर खुशी में शामिल होते है,
दोस्त सभी
परन्तु तू नहीं होता,
एक कोने में बैठा,
निर्विकार,सौम्य
मुझे अपलक निहारता
और बॉट जोहता
कि
मै पुकारूँ नाम तेरा...
मगर मै भूल जाती हूँ,
उस एक पल की खुशी में,
तेरे सभी उपकार,
जो तूने मुझ-पर किये थे,
और तू भी चुप बैठा
सब देखता है,
आखिर कब तक
रखेगा अपने प्रिय से दूरी,
"अवहेलना"
किसे बर्दाश्त होती है,
फ़िर एक दिन,
अचानक
आकर्षित करता है,
अहसास दिलाता है,
मुझे
अपनी मौजू़दगी का,
एक हल्की सी
ठोकर खाकर
मै पुकारती हूँ जब नाम तेरा,
हे भगवान!
और तू मुस्कुराता है,
है ना तेरा मेरा रिश्ता...
लगता है जैसे,
दर्द का रिश्ता...


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14 टिप्पणियाँ

  1. मै पुकारती हूँ जब नाम तेरा,
    हे भगवान!
    और तू मुस्कुराता है,
    है ना तेरा मेरा रिश्ता...
    लगता है जैसे,
    दर्द का रिश्ता...

    बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है आपने सुनीता जी। बधाई....

    जवाब देंहटाएं
  2. तेरा मेरा रिश्ता,
    लगता है जैसे...
    है दर्द का रिश्ता,

    बहुत खुब लिखा है आपने। बधाई स्वीकारें।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुनीता जी,

    आपकी इस कविता की दार्शनिकता की प्रशंसा करनी होगी। स्वयं से और परमात्मा दोनें ही से आपके शब्द जोडते हैं।

    मै पुकारती हूँ जब नाम तेरा,
    हे भगवान!
    और तू मुस्कुराता है,
    है ना तेरा मेरा रिश्ता...
    लगता है जैसे,
    दर्द का रिश्ता...

    बहुत खूबसूरत रचना...

    ***राजीव रंजन प्रसाद

    जवाब देंहटाएं
  4. सुनीता जी,
    दर्द का ये रिश्ता ऐसा ही होता है. आपने इसको बखूबी शब्दों में ढाला है..

    जवाब देंहटाएं
  5. दर्द का रिश्‍ता
    होता है स्‍थायी
    हमारी समझ में
    तो यह बात आई

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर कविता की प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  7. कविता रहस्य का आवरण ओढे हुए है और अंत में पढने वाले को उसकी समझ से दूसरे अर्थ की ओर मोड देती है।

    जवाब देंहटाएं
  8. कविता की कई पंक्तियाँ हृदय पर अंकित हो गयी हैं।

    जवाब देंहटाएं
  9. सुनीता जी,

    सुन्दर सहज दार्शनिक रचना. सचमुच दुख हमें ईश्वर के ज्यादा नजदीक ले आते हैं और खुशिंया उससे दूर कर देती हैं..

    जिथ्थे मेहर तेरी उत्थे सदा खुशियां
    जिथ्थे मेहर नहीं उत्थे गम ही गम

    जवाब देंहटाएं
  10. सुनीता जी,बस कुछ शब्द आप की रचना के लिए

    अतुल्निय ,अनमोल ,आत्मीय

    जवाब देंहटाएं
  11. वाह! बहुत सुन्दर.बहुत उम्दा,बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  12. सुनीता जी! भगवान से भक्त का रिश्ता सचमुच दर्द में ही जुड़ता है. दुख में सुमिरन सब करें!
    आभार सुंदर रचना के लिये!

    जवाब देंहटाएं

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