
दीपक खुशी से झूम उठा जब उसने सुबह के अखबार में पढा कि उसकी चहेती कवयित्री सुधा दीक्षित भी उसके शहर में शाम को होने वाले कवि-सम्मलेन में हिस्सा ले रही है| पत्रिका "सुरभि" में उसके प्रेमगीत पढ़ -पढ़ कर वह उसका फैन यानि दीवाना हो गया था| हर बार उसके प्रेमगीत के साथ उसका मनमोहक चित्र अभिनेत्री ऐश्वर्य राय से कतई कम नहीं लगता था| "शाम को जब मैं उस साक्षात यौवना को देखूंगा तो राम जाने मेरी दशा क्या होगी! उसके अनुपम सौन्दर्य को देख कर मैं तो पागल ही हो जाऊंगा" धड़कते दिल से उसने सोचा।
बड़ी मुश्किल से शाम हुई. कवि-सम्मलेन शुरू होने में अभी एक घंटा रहता था, लेकिन दीपक हाल में पहुँच चुका था। सबसे पहले पहुँचने वाला वह ही था। मंच के पास उसने सीट संभाल ली थी। इंतज़ार की घड़ियाँ ख़त्म हुईं। कवि-सम्मलेन शुरू हुआ। कवि-कवयित्रियाँ सभी मंच पर विराजमान हो गए थे. दीपक की प्यासी नज़रों ने कवयित्री सुधा दीक्षित को ढूँढना शुरू कर दिया था। वह कहीं दिखाई नहीं दे रही थी। कुछ कवि और कवयित्रिओं के काव्य-पाठ करने के पश्चात जब संचालक ने सुधा दीक्षित को प्रेमगीत पढ़ने के लिए अनुरोध किया तो वह रोमांचित हो उठा, लेकिन ये क्या, सुधा दीक्षित तो अधेड़ उम्र की महिला थी। दीपक अपना माथा पीट कर रह गया।
बड़ी मुश्किल से शाम हुई. कवि-सम्मलेन शुरू होने में अभी एक घंटा रहता था, लेकिन दीपक हाल में पहुँच चुका था। सबसे पहले पहुँचने वाला वह ही था। मंच के पास उसने सीट संभाल ली थी। इंतज़ार की घड़ियाँ ख़त्म हुईं। कवि-सम्मलेन शुरू हुआ। कवि-कवयित्रियाँ सभी मंच पर विराजमान हो गए थे. दीपक की प्यासी नज़रों ने कवयित्री सुधा दीक्षित को ढूँढना शुरू कर दिया था। वह कहीं दिखाई नहीं दे रही थी। कुछ कवि और कवयित्रिओं के काव्य-पाठ करने के पश्चात जब संचालक ने सुधा दीक्षित को प्रेमगीत पढ़ने के लिए अनुरोध किया तो वह रोमांचित हो उठा, लेकिन ये क्या, सुधा दीक्षित तो अधेड़ उम्र की महिला थी। दीपक अपना माथा पीट कर रह गया।
17 टिप्पणियाँ
अब ऊम्र तो हरेक मनुष्य के जीवन का अटल सत्य है !
जवाब देंहटाएंजो जिस जगह है, वही उसका सच !
पर, कहानी मेँ मानसिकता का सही रुपाँकन हुआ है
- लावण्या
हम भी एक बार ऐसे ही माथा पीट चुके हैं...हा हा!! कैसा तुषारापात!!! कि तुषाराघात!!
जवाब देंहटाएंदीपक के बेचारेपन को बहुत खूबसूरती से आपने प्रस्तुत किया है। लघुकथा बहुत कुछ कह गयी।
जवाब देंहटाएंकल्पना और वास्तविकता दोनों को बहुत अच्छी तरह से कहानी स्पष्ट करती है।
जवाब देंहटाएंvery nice short story
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
आदरणीय प्राण शर्मा जी,
जवाब देंहटाएंसाहित्य शिल्पी पर आपकी उपस्थिति उत्साहित करने वाली है। बहुत सीखने को मिलेगा आपसे। कितने साधारण शब्दों में एक आम स्वप्न/सोच/घटना को आपने लघुकथा का स्वरूप दिया...पढ कर पाठक जिस सोच के साथ छूटता है वह इस लघुकथा को विशेष बनाता है।
***राजीव रंजन प्रसाद
यह आम है, हाथी के दिखाने वाले दाँत से उत्साहित होने के बाद खाने वाले दाँत देखे जाने का सुन्दर प्रस्तुतिकरण।
जवाब देंहटाएं"OH! imagination always doesnt relate with the reality, good example'
जवाब देंहटाएंregards
लघुकथा में ऐसी प्राण प्रतिष्ठा करी
जवाब देंहटाएंकि दीपक तो शर्मा कर बुझ ही गया।
प्राण जी,
जवाब देंहटाएंसपने सुहाने लडकपन के ..और सपने हमेशा वास्तविकता से बेहतर होते हैं.. जब तक उन्हें मनवांछित वास्तविकता में बदल नहीं दिया जाता.
भाव बढिया है।
जवाब देंहटाएंरोचकता पर थोड़ा और काम किया जा सकता था। पहला पैराग्राफ़ खत्म होते हीं क्लाईमेक्स का आईडिया लग जाता है, इसलिए लघुकथा उतनी रोचक नहीं रह पाती,जितनी होनी चाहिए।
कला कोई भी हो,संबंधित व्यक्तित्व की पृष्ठभूमि मे न झांका जाए ,तो अच्छा।
जवाब देंहटाएंकल्पना जाने कितना झकझोर दे?
प्रवीण पंडित
"साहित्य शिल्पी" पर श्री प्राण शर्मा जी की लघु कथा
जवाब देंहटाएंपढ़ी बेहद पसन्द आयी कई बार भूले भटके आदमी को
अपना माथा पीटना पड़ता है
इस पर दो शेयर पेश करता हूँ
फ़ोन पर तो दिल्लगी उनसे हुआ करती रही
सामने आये जो फिर तकरार ही जाती रही
"चाँद" थे बेताब जिनसे हमकलामी के लिए
जब मिले वोह कुव्वते गुफ्तार ही जाती रही
चाँद शुक्ला हदियाबादी
डेनमार्क
सुंदर प्रस्तुति है। लघु-कथा लिखने का मनोरंजक एवं विशिष्ट ढ़ंग है जिसमें गहन विषयों को थोड़े शब्दों में समझाने का प्रयत्न किया जाता है। प्राण शर्मा जी की इस लघु-कथा में कथावस्तु, उद्देश्य और शैली का सफल और सुंदर संयोजन है।
जवाब देंहटाएंसहज-सरल भाषा में
जवाब देंहटाएंएक अच्छी अभिव्यक्ति
लघु-कथा के माध्यम से....
दीपक जी !
बधाई....
वास्तविकता और कल्पना दोनों को बहुत अच्छी तरह से लघु कथा स्पष्ट करती है। बधाई
जवाब देंहटाएंदिल का खिलौना... हाय टूट गया....
जवाब देंहटाएं"सपने तो सपने होते है....
वो भला कहाँ अपने होत हैँ?"...
इस बात सत्यापित करती हुई प्राण शर्मा जी की लघु कथा पसन्द आई....
तालियाँ
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.