HeaderLarge

नवीनतम रचनाएं

6/recent/ticker-posts

बारिश और क्षणिकायें [कविता] - पवन कुमार "चंदन"

Photobucket


कुरूप होने से पहले
जो हो गया था मैला
मौसम की धूल का
न रहे दाग पहला

वसुंधरा अपने
दामन को धो रही है
लोग कहते है
बारिश हो रही है

*****

तपती हुई प्रकृति
गर्मी से झुलस कर
सावन के आते ही
वसुधा पे उतर कर

बादल की मशक लेकर
तन-मन को धो रही है
लोग कहते है
बारिश हो रही है

*****

चांद और बदली
में हो गयी खटपट
रूठी हुई बदतिया
सूरज से करके घूंघट

सिसकियाँ
भर-भर के रो रही है
लोग कहते है
बारिश हो रही है

*****

एक टिप्पणी भेजें

17 टिप्पणियाँ

  1. बारिश के तीनों ही रंग बेमिसाल हैं। कमाल की क्षणिकायें।

    जवाब देंहटाएं
  2. वसुंधरा अपने
    दामन को धो रही है
    लोग कहते है
    बारिश हो रही है

    बादल की मशक लेकर
    तन-मन को धो रही है
    लोग कहते है
    बारिश हो रही है

    सिसकियाँ भर-भर के रो रही है
    लोग कहते है
    बारिश हो रही है

    एक से बढ कर एक।

    जवाब देंहटाएं
  3. चांद और बदली
    में हो गयी खटपट
    रूठी हुई बदतिया
    सूरज से करके घूंघट

    सिसकियाँ भर-भर के रो रही है
    लोग कहते है
    बारिश हो रही है.....
    बहुत बढिया .. समा बाँध दिया साहब .. ये क्षणिकाएं ना पढ़ते तो हम भी बस ये ही समझते रहते कि बारिश हो रही है | बड़ी ही सरल भाषा में लिखी हुई सशक्त रचना | ह्रदय में उतर रही है | :-)

    जवाब देंहटाएं
  4. तीन अलग अलग
    सोपान

    मंजिल एक चल दे

    छाता तान।

    जवाब देंहटाएं
  5. वर्षा को क्षणिकाओं में पिरोया है लाजबाब!

    जवाब देंहटाएं
  6. अनोखे बिम्बों से सजी बारिश का यह रूप हमें बहुत भाया

    जवाब देंहटाएं
  7. अति सुन्दर..

    एक से बढकर एक पंक्तियाँ....क्या कहने...

    जवाब देंहटाएं
  8. तपती हुई प्रकृति
    गर्मी से झुलस कर
    सावन के आते ही
    वसुधा पे उतर कर
    बहुत उम्दा अभिव्यक्ति. धन्यवाद्.

    जवाब देंहटाएं
  9. तीनों ही दृश्य जीवंत हैं। बहुत ही अच्छी क्षणिकायें।

    जवाब देंहटाएं
  10. चंदन जी आपकी क्षणिकायें बहुत पसंद आयीं। गहरी गहरी बातें कम शब्दों में कह दीं आपनें।

    जवाब देंहटाएं
  11. पवन जी,

    क्षणिकायें बहुत सी पढी हैं लेकिन यह अंदाज पसंद आया। तीनो एक दूसरे से जुदा भी और तीनों ही एक दूसरे से जुडी हुई भी। अच्छी प्रस्तुति।

    ***राजीव रंजन प्रसाद

    जवाब देंहटाएं
  12. आपको क्षणिकाएं पसंद आएं
    आपका मन हर्षाएं
    आपसे वादा है
    थोड़ा नहीं ज्‍यादा है
    हम अपना प्रयास जारी रख सकेंगे
    अगर आपकी टिप्‍पणियों का स्‍वाद ऐसे ही चखते रहेंगे
    आप ही तो हो, हमारे लेखन की प्रेरणा
    कोई 'प्रेरणा' बुरा न माने‍, अन्‍यथा न ले।

    जवाब देंहटाएं
  13. बादल की मशक लेकर
    तन-मन को धो रही है
    लोग कहते है
    बारिश हो रही है
    bahut achha likha hai.

    जवाब देंहटाएं
  14. इस बारिश का मज़ा अनूठा है,अलग
    अलग रंग मे ।

    प्रवीण पंडित

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत अच्छी कविता
    -jalaj गुप्ता

    जवाब देंहटाएं

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

आइये कारवां बनायें...

~~~ साहित्य शिल्पी का पुस्तकालय निरंतर समृद्ध हो रहा है। इन्हें आप हमारी साईट से सीधे डाउनलोड कर के पढ सकते हैं ~~~~~~~

डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें...