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कमीशन [लघुकथा] – सूरज प्रकाश

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उस दफ्तर में ज्वाइन करते ही मुझे वहाँ के सब तौर तरीके बता दिए गये थे। मसलन एक हजार से पाँच हजार रूपये तक के मामलों में कितना लेना होता है और उससे बड़े मामलों मे कितना लेना है। यह रकम किस-किसके बीच किस अनुपात में बाँटी जानी है, ये सारी बातें समझा दी गई थीं। किस पार्टी से सावधान रहना है और किन पार्टीयों की फाइलें दबाकर बैठना है, ये सारे सूत्र मुझे रटा दिये गए। मै डर रहा था, ये सब मै कैसे कर पाऊँगा। अगर कहीं पकड़ा गया या परिचितों, यार दोस्तों ने यह बात कहीं सरेआम कह दी तो! लेकिन भीतर ही कहीं खुश भी था कि उपर की आमदनी वाली नौकरी है। खूब गुलछर्रे उड़ाएँगे।

इधर पिताजी अलग खुश थे कि लड़का सेल्स टैक्स में लग गया है, हर साल इस महकमे को जो चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है, उससे तो बचेंगे। 

सब कुछ ठीक ठाक चलने लगा था। मै वहाँ के सारे दाँव पेच सीख गया था। बेशर्मी से मैं भी उस तलाब में नंगा हो गया था और पूरी मुस्तैदी से अपना और अपने उपर वालों का घर भरने लगा था। तभी पिताजी ने अपनी दुकान की सेल्स टैक्स की फाइल मुझे दी ताकि केस क्लियर किया जा सके। हालाँकि उनका केस मुझे ही डील करना था, लेकिन मेरे साथी और अफसर कहीं इसका गलत अर्थ न ले लें, मैने वह फाइल अपने साथी को थमा दी और सारी बात बता दी। जब उसने केस अन्दर भेजा तो उसे बुलावा आया। वह जब केबिन से निकला तो उसका चेहरा तमतमाया हुआ था। बहुत पूछने पर उसने सिर्फ इतना कहा कि बॉस ने केस क्लीयर तो कर दिया है पर यह पूछ रहे थे कि क्या यह केस सचमुच तुम्हारे पिताजी का है। या यूँ ही पूरा कमीशन अकेले खाने के लिये उसे बाप बना लिया है।

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19 टिप्पणियाँ

  1. बहुत गजब!!! ऐसे बाजार में कैसा विश्वास!!!

    आनन्द आ गया.

    आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

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  2. sales tax or income tax aise vibhag hain janha maya kast adhik hota hai, bas aapke pass maya ke tukde hone chahiye

    narayan narayan

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  3. कमीशन हर हाल में चाहिए। चाहे बाप ही क्यों न हो।
    दीपावली पर हार्दिक शुभ कामनाएँ।
    यह दीपावली आप के परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि लाए।

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  4. दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

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  5. आज के समय के हिसाब से बहुत ही सटीक कथा।
    वैसे भी इनकम टैक्स एवं सेल्स टैक्स विभाग तो कमिशन खोरी के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध तो हैं ही।
    आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.

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  6. कम शब्दों में अधिक संदेश... नंगेपन की कीमत तो कभी न कभी.. कहीं न कहीं चुकानी ही पडती है.

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  7. सब माया का खेल है।
    बहुत अच्छी कथा।

    अनुराधा

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  8. वाह! बहुत सुंदर चित्र खिंचा है बाज़ार का . कथा पढ़कर आनंद आ गया.

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  9. आदरणीय सूरज प्रकाश जी कथाजगत से सूरज ही हैं, उन्हेँ हर बार पढना एक नये दृष्टिकोण को पाना ही होता है। बिलकुल आम सी लगने वाली यह घटना इतनी बेहतरीन लघुकथा भी हो सकती है...बहुत बेहतरीन प्रस्तुति।

    ***राजीव रंजन प्रसाद

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  10. रिश्वत न मिलने की तल्खी को अच्छा बयाँ किया है आपने। वैसे भी बाप बडा न मैया..

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  11. कहानी का अंत बहुत प्रभावित करता है। अच्छी कहानी की बधाई।

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  12. यह निराशा तो स्वाभाविक है। पैसे के लिये बाप बनाये जाने का ही आज चलन है।

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  13. एक और अच्छी लघुकथा के लिये बधाई। दीवाली की शुभकामनायें।

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  14. वाह.... बहुत सुंदर ..

    आनन्द आया.....

    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐं.

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  15. सूरज जी! सुंदर और प्रभावी लघुकथा पढ़ाने के लिये आभार स्वीकारें!

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  16. आज के ज़माने के हिसाब से सटीक कहानी...

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  17. सत्य दर्शन। बहुत अच्छी कहानी।

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  18. बेहतरीन एवं सटीक , सब कमीशन की माया है ।

    प्रवीण पंडित

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