टूटा है दिल
फेविकोल से चिपका लो
चाहो तो रफू करवा लो
चादर से उसे ढक दो
पर दिखने मत दो..
दरारो में दीमक लग जाते हैं
फिर कोई सुई काम ना आएगी
न ही गोंद कोई
बाहर तेज रोशनी हैं
आँखे रोशनी मे भी हो जाती हैं अंधी
खो जाएगा रिश्ता
या फिर बेमानी हो जाएगा तब
कटघरे में खडे तुम और हम
गुमशुदा रिश्ते पर केवल कीचड उछालेंगे
पीठ के पीछे लोगों की हँसी
और हासिल कुछ भी नहीं
और फिर शून्य में तनहाईयाँ बोते रहेंगे
अपनी लाश ढोते रहेंगे।
*****
24 टिप्पणियाँ
Toota hai dil
जवाब देंहटाएं------------
chaho to rafu karva lo
chaadar se use dhak lo
par dikhne mat do
Komal man kee komal
bhavabhivkti hai.Badhaaee.
कटघरे में खडे तुम और हम
जवाब देंहटाएंगुमशुदा रिश्ते पर केवल कीचड उछालेंगे
पीठ के पीछे लोगों की हँसी
और हासिल कुछ भी नहीं
और फिर शून्य में तनहाईयाँ बोते रहेंगे
अपनी लाश ढोते रहेंगे।
हृदय स्पर्शी कविता।
दरारो में दीमक लग जाते हैं
जवाब देंहटाएंफिर कोई सुई काम ना आएगी
न ही गोंद कोई
बाहर तेज रोशनी हैं
आँखे रोशनी मे भी हो जाती हैं अंधी
खो जाएगा रिश्ता
या फिर बेमानी हो जाएगा तब
कटघरे में खडे तुम और हम
हृदय स्पर्शी कविता।
और फिर शून्य में तनहाईयाँ बोते रहेंगे
जवाब देंहटाएंअपनी लाश ढोते रहेंगे।
बात जो दिल को छूती है।
आपके उपमान बहुत अच्छे बन पडे हैं, बधाई एक अच्छी कविता के लिये।
जवाब देंहटाएंटूटा है दिल
जवाब देंहटाएंफेविकोल से चिपका लो
चाहो तो रफू करवा लो
चादर से उसे ढक दो
पर दिखने मत दो..
फिर भी क्या दिल जुड सकता है? अच्छी कविता की बधाई।
जैसे कोई दर्पण किसी झूठ को छुपा नहीं पा रहा ऐसा लगा पढ़कर।
जवाब देंहटाएंहृदय स्पर्शी कविता।बधाई एक अच्छी कविता के लिये।
जवाब देंहटाएंachchhi kavita ke liye BADHAI.
जवाब देंहटाएंखो जाएगा रिश्ता
जवाब देंहटाएंया फिर बेमानी हो जाएगा तब
कटघरे में खडे तुम और हम
गुमशुदा रिश्ते पर केवल कीचड उछालेंगे
पीठ के पीछे लोगों की हँसी
और हासिल कुछ भी नहीं
और फिर शून्य में तनहाईयाँ बोते रहेंगे
अपनी लाश ढोते रहेंगे।
ऋतू जी,
रिश्तों को बहुत गहरायी से देखा है आपने. बहुत खूब.
बहुत अच्छा लिखा है।
जवाब देंहटाएंसच्चाई को ब्याँ करती एक खूबसूरत कविता
जवाब देंहटाएंटूटा है दिल
जवाब देंहटाएंफेविकोल से चिपका लो
चाहो तो रफू करवा लो
चादर से उसे ढक दो
पर दिखने मत दो..
लेकिन लेखनी से नहीं छिपता...मन तो एकाकी हो ही जाता है और यही एकाकीपन शब्दों से नाता जोड़ बैठता है,
बहुत खूब...
बधाई।
रितु रंजन की कविता ’और फिर शून्य में’ कवयित्री के सुखद कविता-कर्म के भविष्य की आश्वस्ति देती बधाई। रितु,लिखती रहो ऐसे ही। आस-पास की चीज़ों को ध्यान से देखना और उसे अपनी कविता में उतारना । साथ ही काव्य के अंतर्वस्तु और रुप पर काव्यालोचना भी पढना। बहुत लाभ होगा। मैं तुम्हारे काव्योत्कर्ष की कामना करता हूँ। तुम्हारा भाई ही,सुशील कुमार,दुमका,झारखंड।
जवाब देंहटाएंरितु जी!
जवाब देंहटाएंकविता की शुरुआत ज़रूर कुछ कमज़ोर लगी पर इसका अंत बहुत सुंदर किया है आपने. बाहरी चमक कई बार रिश्तों को अंधेरा कर देती है, ये बात आज के दौर में बहुत तेजी से सामने आ रही है.
सुंदर और भावपूर्ण कविता के लिये बधाई स्वीकारें! इस कविता के बाद आगे के लिये आपसे उम्मीदें बढ़ गईं हैं.
और फिर शून्य में तनहाईयाँ बोते रहेंगे
जवाब देंहटाएंअपनी लाश ढोते रहेंगे।
अच्छी प्रस्तुति। हयात जी कहते हैं कि-
तन्हाईयों से दिल्लगी अपने मकान में।
हम हो गए हैं अजनबी अपने मकान में।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
भई वाह
जवाब देंहटाएंबेहतर और सीधे सादे ढंग से मन की बात कह डाली
सहज कविता
आपको बधाई और राजीव जी को शुभकामनाएं
Poem that touches heart.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
बहुत अच्छे उपमानों में कही गयी सिन्दर कविता। बधाई।
जवाब देंहटाएं***राजीव रंजन प्रसाद
और फिर शून्य में तनहाईयाँ बोते रहेंगे
जवाब देंहटाएंअपनी लाश ढोते रहेंगे।
सहज ,गंभीर एवं भावोद्वेलित कर देने वाली रचना के लिये मेरी शुभकामना।
प्रवीण पंडित
लोग सामने भी हंसेंगे अगर
जवाब देंहटाएंतो हम क्या कर लेंगे।
सुंदर व्यंग्यात्मक लहजे
में लिखी गई अद्भुत रचना।
सच कहूं बहुत पसंद आई
मेरे मन को खूब भाई।
अरे वाह !
जवाब देंहटाएंफेविकोल भी आ गया कविता मेँ -
कविता अच्छी बनी है
- लावण्या
सुन्दर भाव भरी रचना..
जवाब देंहटाएंकाश ऐसा हो पाता..टूटे दिल फ़ेविकोल से चिपकाये जा सकते या सूई से सिले जा सकते.
वाकई कवयित्री ने ठीक पेह्चाना है एक आम इंसान के दृष्टिकोण को. जगहँसाई के भय से बचने के लिये अपनी ही जिंदगी को नरक बनने देने की मध्यमवर्गीय मानसिकता को चित्रित करती एक खूबसूरत कविता.
जवाब देंहटाएंबधाई.
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.