HeaderLarge

नवीनतम रचनाएं

6/recent/ticker-posts

और फिर शून्य में [कविता] - रितु रंजन

Photobucket

टूटा है दिल
फेविकोल से चिपका लो
चाहो तो रफू करवा लो
चादर से उसे ढक दो
पर दिखने मत दो..

दरारो में दीमक लग जाते हैं
फिर कोई सुई काम ना आएगी
न ही गोंद कोई
बाहर तेज रोशनी हैं
आँखे रोशनी मे भी हो जाती हैं अंधी
खो जाएगा रिश्ता
या फिर बेमानी हो जाएगा तब
कटघरे में खडे तुम और हम
गुमशुदा रिश्ते पर केवल कीचड उछालेंगे
पीठ के पीछे लोगों की हँसी
और हासिल कुछ भी नहीं

और फिर शून्य में तनहाईयाँ बोते रहेंगे
अपनी लाश ढोते रहेंगे।

*****

एक टिप्पणी भेजें

24 टिप्पणियाँ

  1. Toota hai dil
    ------------
    chaho to rafu karva lo
    chaadar se use dhak lo
    par dikhne mat do
    Komal man kee komal
    bhavabhivkti hai.Badhaaee.

    जवाब देंहटाएं
  2. कटघरे में खडे तुम और हम
    गुमशुदा रिश्ते पर केवल कीचड उछालेंगे
    पीठ के पीछे लोगों की हँसी
    और हासिल कुछ भी नहीं

    और फिर शून्य में तनहाईयाँ बोते रहेंगे
    अपनी लाश ढोते रहेंगे।

    हृदय स्पर्शी कविता।

    जवाब देंहटाएं
  3. दरारो में दीमक लग जाते हैं
    फिर कोई सुई काम ना आएगी
    न ही गोंद कोई
    बाहर तेज रोशनी हैं
    आँखे रोशनी मे भी हो जाती हैं अंधी
    खो जाएगा रिश्ता
    या फिर बेमानी हो जाएगा तब
    कटघरे में खडे तुम और हम
    हृदय स्पर्शी कविता।

    जवाब देंहटाएं
  4. और फिर शून्य में तनहाईयाँ बोते रहेंगे
    अपनी लाश ढोते रहेंगे।

    बात जो दिल को छूती है।

    जवाब देंहटाएं
  5. आपके उपमान बहुत अच्छे बन पडे हैं, बधाई एक अच्छी कविता के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  6. टूटा है दिल
    फेविकोल से चिपका लो
    चाहो तो रफू करवा लो
    चादर से उसे ढक दो
    पर दिखने मत दो..

    फिर भी क्या दिल जुड सकता है? अच्छी कविता की बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. जैसे कोई दर्पण किसी झूठ को छुपा नहीं पा रहा ऐसा लगा पढ़कर।

    जवाब देंहटाएं
  8. हृदय स्पर्शी कविता।बधाई एक अच्छी कविता के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  9. खो जाएगा रिश्ता
    या फिर बेमानी हो जाएगा तब
    कटघरे में खडे तुम और हम
    गुमशुदा रिश्ते पर केवल कीचड उछालेंगे
    पीठ के पीछे लोगों की हँसी
    और हासिल कुछ भी नहीं

    और फिर शून्य में तनहाईयाँ बोते रहेंगे
    अपनी लाश ढोते रहेंगे।
    ऋतू जी,
    रिश्तों को बहुत गहरायी से देखा है आपने. बहुत खूब.

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत अच्छा लिखा है।

    जवाब देंहटाएं
  11. सच्चाई को ब्याँ करती एक खूबसूरत कविता

    जवाब देंहटाएं
  12. टूटा है दिल
    फेविकोल से चिपका लो
    चाहो तो रफू करवा लो
    चादर से उसे ढक दो
    पर दिखने मत दो..


    लेकिन लेखनी से नहीं छिपता...मन तो एकाकी हो ही जाता है और यही एकाकीपन शब्दों से नाता जोड़ बैठता है,


    बहुत खूब...

    बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  13. रितु रंजन की कविता ’और फिर शून्य में’ कवयित्री के सुखद कविता-कर्म के भविष्य की आश्वस्ति देती बधाई। रितु,लिखती रहो ऐसे ही। आस-पास की चीज़ों को ध्यान से देखना और उसे अपनी कविता में उतारना । साथ ही काव्य के अंतर्वस्तु और रुप पर काव्यालोचना भी पढना। बहुत लाभ होगा। मैं तुम्हारे काव्योत्कर्ष की कामना करता हूँ। तुम्हारा भाई ही,सुशील कुमार,दुमका,झारखंड।

    जवाब देंहटाएं
  14. रितु जी!
    कविता की शुरुआत ज़रूर कुछ कमज़ोर लगी पर इसका अंत बहुत सुंदर किया है आपने. बाहरी चमक कई बार रिश्तों को अंधेरा कर देती है, ये बात आज के दौर में बहुत तेजी से सामने आ रही है.
    सुंदर और भावपूर्ण कविता के लिये बधाई स्वीकारें! इस कविता के बाद आगे के लिये आपसे उम्मीदें बढ़ गईं हैं.

    जवाब देंहटाएं
  15. और फिर शून्य में तनहाईयाँ बोते रहेंगे
    अपनी लाश ढोते रहेंगे।

    अच्छी प्रस्तुति। हयात जी कहते हैं कि-

    तन्हाईयों से दिल्लगी अपने मकान में।
    हम हो गए हैं अजनबी अपने मकान में।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  16. भई वाह
    बेहतर और सीधे सादे ढंग से मन की बात कह डाली
    सहज कविता
    आपको बधाई और राजीव जी को शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत अच्छे उपमानों में कही गयी सिन्दर कविता। बधाई।

    ***राजीव रंजन प्रसाद

    जवाब देंहटाएं
  18. और फिर शून्य में तनहाईयाँ बोते रहेंगे
    अपनी लाश ढोते रहेंगे।

    सहज ,गंभीर एवं भावोद्वेलित कर देने वाली रचना के लिये मेरी शुभकामना।

    प्रवीण पंडित

    जवाब देंहटाएं
  19. लोग सामने भी हंसेंगे अगर
    तो हम क्‍या कर लेंगे।

    सुंदर व्‍यंग्‍यात्‍मक लहजे
    में लिखी गई अद्भुत रचना।

    सच कहूं बहुत पसंद आई
    मेरे मन को खूब भाई।

    जवाब देंहटाएं
  20. अरे वाह !
    फेविकोल भी आ गया कविता मेँ -
    कविता अच्छी बनी है
    - लावण्या

    जवाब देंहटाएं
  21. सुन्दर भाव भरी रचना..
    काश ऐसा हो पाता..टूटे दिल फ़ेविकोल से चिपकाये जा सकते या सूई से सिले जा सकते.

    जवाब देंहटाएं
  22. वाकई कवयित्री ने ठीक पेह्चाना है एक आम इंसान के दृष्टिकोण को. जगहँसाई के भय से बचने के लिये अपनी ही जिंदगी को नरक बनने देने की मध्यमवर्गीय मानसिकता को चित्रित करती एक खूबसूरत कविता.
    बधाई.

    जवाब देंहटाएं

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

आइये कारवां बनायें...

~~~ साहित्य शिल्पी का पुस्तकालय निरंतर समृद्ध हो रहा है। इन्हें आप हमारी साईट से सीधे डाउनलोड कर के पढ सकते हैं ~~~~~~~

डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें...