धर्म ज्योति महाविद्यालय-ताहरपुर-अलीगढ़ में वाड़्मय पत्रिका का राही मासूम रजा विशेषांक का लोकापर्ण-विमोचन एवं चर्चा हुई। धर्म ज्योति महाविद्यालय के प्रबंधक डॉ० धर्मेन्द्र सिंह ने इस पत्रिका का विमोचन किया। डॉ० सिंह ने पत्रिका पर चर्चा करते हुए कहा कि मैंने राही मासूम रजा का काफ़ी साहित्य पढ़ा है और जहाँ तक मैंने-सुना और पढ़ा था कि आधा गाँव फ़ारसी लिपि में लिखा गया था बाद में उसका लिप्यांतरण किया गया। लेकिन इस पत्रिका को पढ़कर भ्रम दूर हुआ क्योंकि राही मासूम रजा ने अपने साक्षात्कार में यह जिक्र किया था कि आधा गाँव आधा देवनागरी और आधा उर्दू में लिखा गया था। यही बात उनकी पत्नी ने भी अपने साक्षात्कार में भी कहा है। डॉ० सर्वोत्तम दीक्षित प्राचार्य धर्म ज्योति महाविश्वद्यालय ने कहा-राही मासूम रजा अंक काफी महत्त्वपूर्ण है। राही पर शोध करने वाले शोर्धाथियों और विद्वानों का काफी मदद मिलेगी इसके साथ ही साथ सम्पादकीय पढ़ने से पता चला कि राही रजा पर काफी लोगों ने शोध किया, उसमें से कुछ लोगों ने भ्रम भी फैलाया था जिसका उल्लेख इस पत्रिका में दिया गया है।
इस पत्रिका के सम्पादक-डॉ०एम०फ़ीरोज अहमद ने कहा कि इस पत्रिका में अभी तक राही मासूम रजा के कुछ अनछुए पहलू को छुआ गया है जैसे राही मासूम रजा की कहानियों के बारे में बहुत ही कम पाठक जानते थे और वह आम पाठक तक नहीं पहुँच पायी है और न ही इसका कोई शोध हुआ है। कहानी के अतिरिक्त राही जी ने फ़िल्मों पर काफ़ी आलेख लिखे है और उनके समकालीनों का साक्षात्कार भी इस पत्रिका में है। इस पत्रिका को पढ़ने पर काफ़ी भ्रम की चीजे जो लोगों के द्वारा फैलायी गयी थी पढ़ने से दूर हो जायेगी।
जनवादी लेखक संघ के सदस्य हनीफ़ मदार ने चर्चा करते हुए कहा कि राही मासूम रजा विशेषांक महत्त्वपूर्ण एवं संग्रहणीय है। इस तरह का अंग अभी तक नहीं निकला है। यह एक दस्तावेज का काम करेगी। विवेकानन्द पी०जी० कॉलेज, दिबियापुर-औरैया के हिन्दी प्रवक्ता डॉ० इकरार ने कहा कि राही पर जितना काम अभी तक हुआ है। उस परम्परा को आगे बढ़ाते हुए इस पत्रिका ने राही की कहानी, आलेख , साक्षात्कार, फ़िल्म के बारे में विस्तार से लेखकों ने लिखे है। डॉ० फ़ीरोज ने फ़िल्मों का ब्यौरा दिया है जो काफ़ी महत्त्वपूर्ण दिये है। कहानी और फ़िल्मों का उल्लेख करके इस पत्रिका ने महत्त्वपूर्ण एवं संग्रहणीय अंक बना दिया है।
इन विद्वानों के अलावा डॉ० पी०के०शर्मा, प्रवीन तिवारी एम०एस० उपाध्याय, पूजा अग्रवाल, प्रदीप सारस्वत, के०के० शर्मा, डॉ०डी०के० सिंह, आर०के० महेच्च्वरी, प्रदीप तिवारी डी०पी० पालीवाल, डॉ०रामवीर शर्मा एवं अनेक छात्र-छात्राएं इस अवसर पर मौजूद थे।
12 टिप्पणियाँ
Aligarh mein vangmay patrika ka
जवाब देंहटाएंRahi Masoom Raza visheshank ke
lokarpan ke shubhavsar par Dr.
Firoz Ahmad ko dheron badhaaeean.
बहुत बधाई डॉ. फीरोज..
जवाब देंहटाएंवांड्मय की एक प्रति सुरक्षित रखें। बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंआलीगढ़ में वांग्मय पत्रिका का
जवाब देंहटाएंरही मासूम रज़ा विशेशांक के
लोकार्पण के शुभ-अवसर पर ड.
फ़िरोज़ अहमद जी को
बहुत-बहुत बधाई...
बहुत-बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंइस महत्वपूर्ण कार्य के लिये बधाई । रज़ा साहब के बारे में पढने की उत्सुकता रहेगी ।
जवाब देंहटाएंराही मासूम रज़ा साहब से मेरी मुलाकात हुई थी - निर्माता बी. आर. चोपडाजी की ओफीस मेँ
जवाब देंहटाएंउनकी जीवनी पर ऐसी सामग्री सराहनीय है ~~
बहुत बधाई फ़िरोज़ अहमद जी को !
- लावण्या
बधाई हो । अंक की प्रतीक्षा है
जवाब देंहटाएंबधाई फीरोज जी।
जवाब देंहटाएंडॉ. फीरोज से परिचित हो कर मैं जान सका कि साहित्य सेवा किस जुनून के साथ की जा सकती है। डॉ फीरोज का श्रम और विचार स्तुथ हैं।
जवाब देंहटाएंआपको इस अभियान की कोटिश: बधाई।
***राजीव रंजन प्रसाद
डा. राही मासूम रज़ा को पढ़ना मेरे लिये त्योहार मनाना जैसा लगता है।
जवाब देंहटाएंग़ालियों तक के माध्यम से इर्द-गिर्द केपात्रों को ज़िंदगी बख़्शना,उनके जैसे माहिर -आलिम के सिवाय कौन कर सकता है ।
ऐसे महत्वपूर्ण अभियान के लिये डा. फ़िरोज़ को मेरी मुबारक़बाद ।
प्रवीण पंडित
बहुत बधाई फीरोज जी
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.