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11 टिप्पणियाँ
सुंदर चित्रण
जवाब देंहटाएंहा हा हा . अभिषेक जी बहुत अच्छे. आजकल ऐसे ही फल मिल्राहे हैं. एक सुंदर कल्पना के लिए बधाई.
जवाब देंहटाएंकहते हैं कि "अभिषेक जी" का है अंदाज-ए-बयाँ और।
जवाब देंहटाएंबहुत सही!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंइन्हें कीर्तिश की
जवाब देंहटाएंनैनो कार में
दिखा देते सवार
फिर जो मिलता
फल वो होता
निराला
नैनो में उठाने
को सीताफल
ही पाते।
चलिये कुछ तो ’फल’ मिल ही जाते हैं न! ये भी न मिलें तो भी आप इन नक्षत्रों और ज्योतिषियों का क्या बिगाड़ लेंगे?
जवाब देंहटाएंज्योतिष और उसके फल को अच्छी तरह प्रस्तुत किया है।
जवाब देंहटाएंबड़ी पीढा मुस्कुराते हुए बयान हुई ... खूबसूरत ... बधाई स्वीकार करो दोस्त | :-)
जवाब देंहटाएंअधिक बडा फ़ल मिलने पर भी कई कठिनाईयां हैं.. कटोरे में नहीं समायेगा.. सीताफ़ल..
जवाब देंहटाएंजीवन में भाग्य से ज्यादा और समय से पहले कुछ नहीं मिलता.. इस क्रूर सच है
अभिषेक जी को सुंदर चित्रण के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएंसुंदर....
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.