मैं कुछ दिनों तनहाई चाहती हूँ
हर बन्धन से बिदाई चाहती हूँ...
कई ख़्वाब खेले पलकों पर
फिसले और खाक़ हो गये
बीते थे तेरे आगोश में
वो लम्हें राख हो गये
एक रात गुजरे दर्द के आलम में
क़ुछ ऐसी रहनुमाई चाहती हूँ
मैं कुछ दिनों तनहाई चाहती हूँ...
रफ़्ता-रफ़्ता अश्क़ बहे थे
वो रात भी तो क़यामत थी
क़ैद समझ बैठे जिसे तुम
वो सलाख़ें नहीं मेरी मुहब्बत थी
ज़मानत मिली तेरी फुर्क़त को
अब दुनिया से रिहाई चाहती हूँ
मैं कुछ दिनों तनहाई चाहती हूँ...
छलके थे लबों के पैमाने
उस मयख़ाने में तेरा ही वज़ूद था
महफूज़ जिस धडकन में मेरी साँसें थीं
आज हर शख़्स वहाँ मौजूद था
साँसों से हारी वफ़ा भी
अब थोङी सी बेवफ़ाई चाहती हूँ
मैं कुछ दिनों तनहाई चाहती हूँ...
19 टिप्पणियाँ
bahut khoob anupama ji
जवाब देंहटाएंbahut shaandaar rachna
शुभाम् करोति कल्याणं,
अरोग्यम धन: सम्पदा,
शत्रु बुद्धि विनाशाय,
दीपमज्योती नमोस्तुते,
शुभ दीपावली
सुंदर काव्य!
जवाब देंहटाएंदीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
प्रकाशपर्व आप के और आप के परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि लाए।
दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसाँसों से हारी वफ़ा भी
जवाब देंहटाएंअब थोङी सी बेवफ़ाई चाहती हूँ
बहुत खुब
शुभ दीपावली
दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुंदर!!
जवाब देंहटाएंदीपावली के इस शुभ अवसर पर आप और आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
अनुपमा जी,
जवाब देंहटाएंआपकी यह कविता मेरी प्रिय कविताओं में है, सादगी से बयाँ हुए जजबात रचना को उँचाई प्रदान कर रहे हैं।
छलके थे लबों के पैमाने
उस मयख़ाने में तेरा ही वज़ूद था
महफूज़ जिस धडकन में मेरी साँसें थीं
आज हर शख़्स वहाँ मौजूद था
साँसों से हारी वफ़ा भी
अब थोङी सी बेवफ़ाई चाहती हूँ
मैं कुछ दिनों तनहाई चाहती हूँ...
प्रशंसनीय
***राजीव रंजन प्रसाद
पलको पर् ख्वाबों का फिसलना और खाक हो जाना अच्छी कल्पना है। बहुत अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंअब थोङी सी बेवफ़ाई चाहती हूँ
जवाब देंहटाएंमैं कुछ दिनों तनहाई चाहती हूँ...
काश कि यह तनहाई आपको मिले। अच्छी कविता। बधाई।
बहुत अच्छी कविता है अनुपमा जी लेकिन न तो हर बंधन से रिहाई मिलती है न ही तनहाई। दीपावली की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता, बधाई। दीवाली की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंसुंदर.....
जवाब देंहटाएंदीपावली के शुभ अवसर पर
आप और आपके परिवार को
हार्दिक शुभकामनाऐं.......
वफा की चाहत किसी की होती, किसी की चाहत तन्हाई।
जवाब देंहटाएंसाँस बचे तो सब मिल सकता, जीवन से क्यों रूसवाई।।
दीपावली की शुभकामनाएँ।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
छलके थे लबों के पैमाने
जवाब देंहटाएंउस मयख़ाने में तेरा ही वज़ूद था
महफूज़ जिस धडकन में मेरी साँसें थीं
आज हर शख़्स वहाँ मौजूद था
साँसों से हारी वफ़ा भी
अब थोङी सी बेवफ़ाई चाहती हूँ
मैं कुछ दिनों तनहाई चाहती हूँ...
achha likha hai.
छलके थे लबों के पैमाने
जवाब देंहटाएंउस मयख़ाने में तेरा ही वज़ूद था
महफूज़ जिस धडकन में मेरी साँसें थीं
आज हर शख़्स वहाँ मौजूद था
साँसों से हारी वफ़ा भी
अब थोङी सी बेवफ़ाई चाहती हूँ
मैं कुछ दिनों तनहाई चाहती हूँ...
बहुत अच्छे,
दीपावली की शुभकामना।
अनुपमा जी,
जवाब देंहटाएंजजबातों का सुंदर मुजाहरा किया है आपने अपनी रचना में... बधाई.. साथ ही दीपावली की शुभकामनाएं
Happy Diwali to all of you.
जवाब देंहटाएंAnupama
मैं कुछ दिनों तनहाई चाहती हूँ
जवाब देंहटाएंहर बन्धन से बिदाई चाहती हूँ...bhaut hi sundar....
सुन्दर भावाभिवय्क्ति.....
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.