गिटलीघुम गिटलीघुम गिटलीघुम
आओ सारे साथ मिलके बादलों पे चलते हैं
वो बड़ा सा छेद मिलके फूलों से ही भरते हैं
प्यारा सा मौसम रहेगा हर दम
चिलचिलाती गर्मी में क्यूँ मरें हम तुम
गिटलीघुम गिटलीघुम गिटलीघुम
आओ चलें हम वो वाले किले में
काला से धुंए में पानी भरेंगे
चलके बुझाते हैं आग जो लगी है
खांसता खांसते क्यूँ निकले दम
गिटलीघुम गिटलीघुम गिटलीघुम
आओ चलो हम बाँटें खुशी
सबके चेहरों पे नाचे हँसी
अच्छे बच्चे बनके रहे हम
क्यूँ रहे यहाँ कोई गुम सुम
गिटलीघुम गिटलीघुम गिटलीघुम
13 टिप्पणियाँ
गिटलीघुम की उपासना
जवाब देंहटाएंएक नये शब्द की प्रस्तावना
बच्चों के लिए अच्छी रहती है
सदा ऐसी मनभावना।
वाह वाह!!! बहुत सुन्दर। बहुत अच्छी बाल रचना।
जवाब देंहटाएंआओ चलो हम बाँटें खुशी
जवाब देंहटाएंसबके चेहरों पे नाचे हँसी
अच्छे बच्चे बनके रहे हम
क्यूँ रहे यहाँ कोई गुम सुम
गिटलीघुम गिटलीघुम गिटलीघुम
बहुत अच्छी बाल कविता। बधाई।
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल रचना। निश्चित ही बच्चे इसे गुनगुनाना और याद रखना पसंद करेंगे। गिटलीगुम सुन्दर बन पडा है।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिखा है.
जवाब देंहटाएंउपासना जी आप में अपार रचनात्मक क्षमता है। बाल साहित्य लिखना असाधारण कार्य है। यह एसा ही है जैसे नयी पौध को खाद पानी से सींचना। अगर बच्चों में एसे संदेश जग गये तो समझिये क्रांति हो गयी। बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएं***राजीव रंजन प्रसाद
गिटलीघुम गिटलीघुम गिटलीघुम
जवाब देंहटाएंआओ सारे साथ मिलके बादलों पे चलते हैं
वो बड़ा सा छेद मिलके फूलों से ही भरते हैं
सुन्दर कल्पनाओं से सजी बहुत अच्छी कविता है।
बहुत अच्छी कविता है।
जवाब देंहटाएंसुंदर कल्पना , सरल शब्द और बेहतर शैली.. अच्छी रचना के लिए बधाई उपासना जी..
जवाब देंहटाएंरोचक और लयबद्ध गीत है। पढकर अच्छा लगा। सम्पादक मण्डल को एक सुझाव देना चाहूंगा कि रचना के साथ यदि चित्र हो, तो उसका इम्पैक्ट ज्यादा प्रभावी होता है। और मेरी समझ से बाल रचना के साथ वह जरूरी भी है।
जवाब देंहटाएंगिटलीघुम गुनगुनाकर बच्चे बन जाने का सुख मिला।
जवाब देंहटाएंअच्छी बाल कविता।
प्रवीण पंडित
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.