
मैं एक
आम आदमी हूँ
अज़र-अमर
और शाश्वत!
हर बार मुझे
कुचला, जलाया
सताया जाता है
फिर भी—
हर बार ज़िन्दा
हो जाता हूँ --
एक संजीवनी है
जो हर बार
जिला जाती है।
नेता,अभिनेता
पुलिस अधिकारी
सभी कर्मचारी
मेरी ही फिक्र में
घुलते रहते हैं
मुझे नष्ट करने के
स्वप्न बुनते रहते हैं
किन्तु मेरा कुछ
नहीं बिगाड़ पाते।
मेरी जिजीविषा
कभी नहीं मरती
मेरे अन्तर में
विश्वास की लौ
जगमगाती है।
और मुझे
विश्वास दिलाती है
कि मैं विशिष्ट हूँ
अति विशिष्ट!
इसीलिए मुझे
मिटाने वाले मिट गए
और मैं आज भी
जिए जा रहा हूँ
संकटों में भी
मुसकुरा रहा हूँ।
मैं इसी तरह आगे भी
यूँ ही जीता जाऊँगा
और अपने अहसानों से
तुम्हें लज्जित करता जाऊँगा।
18 टिप्पणियाँ
हर बार मुझेकुचला, जलाया सताया जाता हैफिर भी—हर बार ज़िन्दाहो जाता हूँ --एक संजीवनी हैजो हर बारजिला जाती है।
जवाब देंहटाएंसुंदर पंक्तियाँ और अच्छी कविता।
bahut sunder kavita
जवाब देंहटाएंhumre madari ko tipayiye
regards
मेरे अन्तर में
जवाब देंहटाएंविश्वास की लौ
जगमगाती है।
और मुझे
विश्वास दिलाती है
कि मैं विशिष्ट हूँ
अति विशिष्ट!
bahut sundar....
shobha ji,
badhaee
वाह जी शोभा जी!! बहुत बढ़िया!!
जवाब देंहटाएंमैं इसी तरह आगे भी
जवाब देंहटाएंयूँ ही जीता जाऊँगा
और अपने अहसानों से
तुम्हें लज्जित करता जाऊँगा।
बहुत सुन्दरता से आप आदमी को अपनी कविता में आपने अभिव्यक्त किया है।
अच्छा लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता !
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा बात कही | पहली बार देखा और पढा की उलाहना के साथ आशावादिता भी पिरोई जा सकती है | आम आदमी की आवाज़ है जो सिर्फ़ दर्द और तड़प नही कुछ और भी कहती है |
जवाब देंहटाएंek achchee kavita--aam aadmi ki peeda bakhaan kartee hui--
जवाब देंहटाएंआम आदमी को शब्द देना सच्चा काव्यकर्म है। बहुत अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंbahut sundar baat kahi aapne kaavy roop me.aabhaar.
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंसरल शब्द लिए एक अच्छी व्यंग्यात्मक कविता....
जवाब देंहटाएंशोभा जी,
जवाब देंहटाएंआपकी कविता बेहद प्रभावी है और बहुत सशक्तता से अपनी बात कह जाती है।
और अपने अहसानों से
तुम्हें लज्जित करता जाऊँगा।
बहुत बडा कथ्य सहजता से प्रस्तुत हुआ है आपके शब्दों में।
***राजीव रंजन प्रसाद
एक आम आदमी की पीडा और अहसासो का सुन्दर चित्रण किया है आपने अपने रचना में
जवाब देंहटाएंअच्छी व्यग्यात्मक शैली।
जवाब देंहटाएंऔर सुहागा भी, आपने उस का विश्वास खंडित नहीं होने दिया।
प्रवीण पंडित
क्या आम आदमी को दर्शाया है... मजा आ गया.. बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कविता...
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.