साहित्य शिल्पी के उद्देश्यों में सम्मिलित है कि वे साहित्यकार जो अंतर्जाल से संबद्ध नहीं हैं तथा वे जो उन सुदूर अंचलों से हैं जहाँ अंतर्जाल की पहुँच अभी कम है, को भी इस विशाल माध्यम से जोडा जा सके। साथ ही साथ ख्यातिनाम रचनाकारों, ब्लोगरों, पत्रकारों व नये रचनाकारों के बीच सेतु का भी काम किया जा सके। बहुत हद तक तो कंप्यूटर के कीबोर्ड के माध्यम से यह कारवां बनाने का कार्य जारी है साथ ही साथ निजी संपर्कों व प्रयासों द्वारा भी साहित्य शिल्पी अपने पंख प्रसारित कर उँची उडान का स्वप्न दृष्टा है। इसी कडी में साहित्य शिल्पी के दो सदस्य राजीव रंजन प्रसाद तथा अभिषेक सागर अपने छतीसगढ प्रवास (विशेष तौर पर दंडकारण्य प्रवास) के दौरान साहित्य शिल्पी से इस सूदूर अंचल को जोडने में सक्रिय रहे।
इस प्रवास में साहित्य शिल्पी का पहला बड़ा पडाव था रायपुर। अनिल पुसदकर जो कि वरिष्ठ ब्लॉगर हैं व क्षेत्र के जाने माने पत्रकार तथा पत्रकार संघ के अध्यक्ष भी; के सौजन्य से प्रेस क्लब रायपुर में बैठक संपन्न हुई। 
(अनिल पुसदकर एवं राजीव रंजन प्रसाद)
अनिल पुसदकर, संजीत त्रिपाठी, राजीव रंजन प्रसाद, अभिषेक सागर के अलावा कई पत्रकार व फोटोग्राफर साथी भी बैठक में सम्मिलित हुए। साहित्य शिल्पी के वर्तमान स्वरूप के प्रति प्रसन्नता दर्शाते हुए अनिल पुसदकर जी नें इस प्रयास को अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया। वे इस मंच पर सामयिक स्तंभ आदि लिखने के लिये भी सहमत हुए। संजीत त्रिपाठी नें साहित्य शिल्पी के प्रयासों की सराहना करते हुए छतीसगढ अंचल के वरिष्ठ रचनाकारों को भी इस मंच से जोडने की सलाह दी।
(अभिषेक सागर, संजीत त्रिपाठी, अनिल पुसदकर, राजीव रंजन प्रसाद)
प्रेस फोटोग्राफर बंधुओं ने भी अपने खींचे छाया चित्र साहित्य शिल्पी के लिये उपलब्ध कराने की सहमति प्रदान की। निष्कर्षत:, अनिल पुसदकर जी के मार्गदर्शन व सहयोग से शीघ्र ही सम-सामयिक विषयों पर स्तंभ आरंभ किये जाने की योजना पर कार्य चल रहा है। इसी क्रम में, रायपुर में ही पत्रकार, कवि, रंगमंच कलाकार केवल कृष्ण से साहित्य शिल्पी एवं उसकी दिशा पर विस्तृत चर्चा हुई।
( केवल कृष्ण तथा राजीव रंजन प्रसाद)
प्रख्यात रंग कर्मी सत्यजीत भट्टाचार्य से जगदलपुर स्थित उनके निवास पर साहित्य शिल्पी के नाटक स्तंभ के लिये विमर्श हुआ।
( सत्यजीत भट्टाचार्य, राजीव रंजन प्रसाद तथा टी. एस. एस. प्रकाश)
सत्यजीत भट्टाचार्य नें उदारता से अपने निर्देशित नाटकों की वीडियो तथा अनेकों नाटक संबंधी विवरण व छायाचित्र भी साहित्य शिल्पी को प्रदान किये। रंगकर्मी तथा लेखक टी. एस. एस. प्रकाश भी इस बात चीत में सम्मिलित थे।
(सत्यजीत भट्टाचार्य तथा राजीव रंजन प्रसाद)
विजय सिंह वरिष्ठ लेखक/कवि हैं साथ ही साथ रंगमंच से भी जुडे हुए हैं। वर्तमान में वे त्रैमासिक पत्रिका “सूत्र” का संपादन कर रहे हैं। विजय सिंह साहित्य शिल्पी से एक सदस्य के तौर पर जुड रहे हैं। उनकी रचनायें शीघ्र ही साहित्य शिल्पी के पाठकों तक पहुँचेंगी। विजय सिंह से विस्तार पूर्वक प्रिंट माध्यमों तथा अंतर्जाल दोनों की साहित्य सेवा में उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा हुई।
निर्धारित कार्यक्रम में श्री लाला जगदलपुरी तथा श्री के. के. झा से मुलाकात भी सम्मिलित था किंतु उनका स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण मुलाकात संभव नहीं हो सकी। चलभाष द्वारा साहित्यकार हिमांशु शेखर झा तथा त्रिजुगी कौशिक से वार्ता हुई तथा साहित्य शिल्पी नें उनका सहयोग प्राप्त किया। शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक शालिनी गुप्ता से भी इस संदर्भ में विस्तृत वार्ता हुई।
रायपुर में जयराम दास ने मुलाकात के दौरान साहित्य शिल्पी प्रयास को अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करने की बात कही।
उदंती डॉट कॉम की संपादिका तथा लेखिका डॉ. रत्ना वर्मा नें साहित्य शिल्पी को एक सुनियोजित प्रयास कहा। उन्होंने इसमें प्रस्तुत होने वाली सामग्रियों की भी प्रशंसा करते हुए इस प्रयास को अपना रचनात्मक सहयोग प्रदान करने की बात कही।
जयप्रकाश मानस जी से मुलाकात बहुत शीघ्रता में तथा उनकी कार्यालयीन व्यस्तताओं के बीच ही हुई। मानस जी नें साहित्य शिल्पी प्रयास को अपना मार्गगर्शन व रचनात्मक सहयोग प्रदान करने की बात कर हमारा उत्साह वर्धन किया।
व्यस्त कार्यक्रम में दुर्ग रेलवे स्टेशन पर हुई संजीव तिवारी जी से मुलाकात व वार्ता भी कम महत्वपूर्ण नहीं। 
(संजीव तिवारी तथा राजीव रंजन प्रसाद)
साहित्य शिल्पी छत्तीसगढ अंचल से इन रचनाकारों का सहयोग प्राप्त कर उत्साहित है।
24 टिप्पणियाँ
dil prasann ho gaya, itne saare chitra dekh kar.main to aajkal goa me hoon, goa blogars ko soochit karen to main bhi unse mil sakoon. mera yahan ka mobile number 09421748081 hai. goa blogars mujhhe is number par sampark kar sakte hain.
जवाब देंहटाएंSahitya Shilpi Chhattisgarh mein---
जवाब देंहटाएंek bahut badee uplabdhi hai.Isee
tarah agrasar hote rahen.Shayad
Majrooh Sultaanpuri ne aap jaeson
ke liye hee ye sher kahaa thaa--
Main akela hee chalaa tha
janib-e-manzil magar
Log saath aate gaye
aur kaarvan bantaa gayaa
वाह बहुत सार्थक कार्य किया है राजीव जी आपने। इस प्रकार के सम्पर्कों द्वारा नई प्रेरणा मिलती है तथा उत्साह वर्धन होता है। मैने सोचा आप घूमने गए हैं - आप तो साहित्यिक सम्पर्क सूत्र जोड़कर आ रहे हैं। बधाई।
जवाब देंहटाएंकदम दर कदम बढाए चलें...हम आपके साथ हैँ
जवाब देंहटाएंआपके प्रयासोँ से साहित्य शिल्पी उत्तरोत्तर प्रगति करे यही
जवाब देंहटाएंशुभकामना है -
चित्रोँ से वहाँ के बारे मेँ प्रत्यक्ष जानकारी मिली
- लावण्या
Its a great achievement.
जवाब देंहटाएंबहुत श्रम किया आपने राजीव जी। छतीसगढ साहित्यिक प्रतिभा का धनी क्षेत्र है। इंटरनेट को अगर इस तरह से समृद्ध किया जायेगा तो हिन्दी की क्रांति संभव है।
जवाब देंहटाएंGreat efforts by Sahitya shilpi Team. Really good work. Keep it up.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
राजीव जी जब आपने शांति से न बैठने की कसम खाई है तो बढे चलिये हम आपके साथ हैं। साहित्य शिल्पी नयी उँचाईयाँ छुएगा यह विश्वास बनता है इस समाचार को पढ कर।
जवाब देंहटाएंhttp://hindivangmay1.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंकदम बढाए चलें...हम आपके साथ हैँ
छतीसगढ साहित्यिक प्रतिभा का धनी क्षेत्र है।आपका
जवाब देंहटाएंसार्थक कार्य सराहनीय है/बहुत-बहुत बधाई/
साहित्य शिल्पी के कदम इसी तरह आगे बढते रहें, शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत सराहनीय प्रयास कर रहे हैं राजीव रंजन प्रसाद जी। पढ़कर दिल खुश हो गया। विजय सिंह जी को तो मै भी जानता हूँ।बहुत अच्छा लिखते है।निश्चय ही आपका यह कदम ’साहित्य शिल्पी’ को ऊँचाईयों पर ले जायेगा।
जवाब देंहटाएंसराहनीय कदम। साहित्य शिल्पी सही दिशा में प्रयासरत है।
जवाब देंहटाएंआपके अथक परिश्रम से 'साहित्य शिल्पी' साहित्याकाश में जगमगा कर अनेक
जवाब देंहटाएंसाहित्यकारों, पाठकों को विविध दिशा निर्देश करती हुई कल्याणकारी सामयिक साहित्य सृष्टि का प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।
शुभकामनाओं सहित
महावीर शर्मा
चलिये आप अपने घर वापस आये तो सही। सदा मुस्कुराते रहे।
जवाब देंहटाएंस्आहित्य शिल्पी को उत्तरोत्तर प्रगति के लिये शुभकामनायें। एसे प्रयास आवश्यक है।
जवाब देंहटाएंव्यक्तिगत संवाद और मुलाकात भविष्य के लिये उपयोगी और सार्थक सिद्ध होगी।
जवाब देंहटाएंराजीव जी,
जवाब देंहटाएंभ्रमण और चिंतन दोनों एक साथ निभा दिए आपने... साहित्य शिल्पी की लिए यह संपर्क सूत्र निश्चय ही मील का पत्थर साबित होंगे.
Really happy to see jagdalpur people in the cite. Mention of satyajeet, heemanshu shekhar, vijay singh and shalini made me realize that talents have no headquarters. They are recognised!.(dr. stanley john, jagdalpur)
जवाब देंहटाएंराजीव जी,
जवाब देंहटाएंसाहित्य शिल्पी प्रगति करे ...
हम आपके साथ हैँ..
देशाटन का सही अर्थ दिखाई दिया राजीव जी!
जवाब देंहटाएंइन प्रयासों के लिये साधुवाद ।
कभी, उचित समझें तो वहां की नैसर्गिक सम्पदा से भी परिचित कराएं।
प्रवीण पंडित
बहुत अच्छा लगा सभी चित्र देख कर...
जवाब देंहटाएंसाहित्य शिल्पी ने साहित्य और कला के कई आयामों को लेकर चलने का प्रयास किया है जो वाकई प्रशंसनीय है ।
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.