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’अमर उजाला’ में साहित्य शिल्पी [विशेष]

हमारे लिये यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि साहित्य शिल्पी पर प्रकाशित माननीय आकांक्षा यादव जी के आलेख (खूब लड़ी मरदानी, अरे झाँसी वारी रानी) को लोकप्रिय दैनिक समाचार-पत्र अमर-उजाला ने प्रकाशित कर हमारा मान बढ़ाया है। इसके लिये हम उनका शुक्रिया अदा करते हैं।
साथ ही आकांक्षा जी और उन जैसे अन्य सभी साहित्य-शिल्पियों के भी हम शुक्रगुज़ार हैं जो अपनी उच्चस्तरीय रचनायें हमें भेजकर साहित्य शिल्पी के स्तर को उत्तरोत्तर ऊँचा उठाने में हमारी मदद करते हैं।

अमर-उजाला में प्रकाशित आलेख की स्कैन की गई एक प्रति:

[स्पष्ट न होने की स्थिति में कृपया चित्र पर चटका लगायें]

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16 टिप्पणियाँ

  1. अभी तो अंगडाई है , आगे और लड़ाई है ..:-)

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  2. वाकई आलेख बहुत बढिया है - आकाँक्षाजी को बधाई -
    साहित्य शिल्पी प्रगति करता रहे यही शुभकामना है
    - लावण्या

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  3. ब्लॉगर'स के लिए आपने बड़ा काम किया
    बधाई और शुक्रिया ही कहूंगा

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. साहित्य शिल्पी की पूरी team को मेरी बहुत बधाई और मेरी दिल से शुभकामनाएं है की ,ये पत्रिका , हिन्दी जगत में नए कीर्तिमान स्थापित करें...

    और हाँ , मैं इस पत्रिका से जुड़ा हुआ हूँ ,इस बात का गर्व है ..

    विजय

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  6. आकांक्षा जी और सहित्यशिल्पी को बधाई कि रानी लक्ष्मीबाई पर लिखे इस लेख को लीडिंग हिंदी समाचार पत्र अमर उजाला में ब्लॉग कोना में प्रस्तुत किया गया है.

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  7. अमर उजाला में सम्पादकीय पृष्ठ पर ब्लॉग कोना में यह अदभुत लेख पढना रोचक लगा. वाकई आकांक्षा यादव जी का यह लेख अलग हटकर है, बधाई स्वीकारें.

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  8. Amar Ujala akhbar men blog ke kone men Akanksha ji ke is lekh ko padhkar achha laga.

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  9. आकांक्षा जी की सुन्दर लेखनी से एक और अतिसुन्दर एवं सारगर्भित प्रस्तुति.

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  10. Adbhut...Sahitya Shilpi aur Akanksha ji ko badhai.Bas yun hi kadam badhate rahen, karvan judta jayega !!

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  11. साहित्य शिल्पी की चर्चा चारों तरफ है, कम समय में अच्छा नाम कमाया इस पत्रिका ने. फिर अमर उजाला और अन्य अख़बार क्यों न इसकी चर्चा करें....हार्दिक बधाई!!

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