
धरती पे लाखों चुनमुन हैं
चुनमुन प्यारे प्यारे हैं
सारे जग से न्यारे हैं
एक दिन चाँद के मन में आयी
उसने माँ को बात सुनायी
सर्दी के दिन आऐ रे
मुझको ठँड सताऐ रे
सन सन करके पवन चले है
ठिठुर ठिठुर कर रात कटे है
मुझको ऊनी ड्रेस मँगा दे
सुंदर सी एक कैप लगा दे
नन्हे नन्हे मौजे ला दे
काले काले बूट मँगा दे
चन्दा की सुन बात रे
माता सोच के बोली रे
घटता बढता रोज तू
और कभी ना दिखता तू
कौन नाप की ड्रेस मँगायें
ये ना मेरी समझ में आये
किस उलझन में उलझा आजा
तू है नील गगन का राजा
मेरे प्यारे लाल लाडले
तेरा यूँ ही रूप सलोना
मेरी लाख दुआएँ तुझको
लगे कभी ना जादू टोना
तेरा रुप लुभाता है
तू मामा कहलाता है
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10 टिप्पणियाँ
Nice poem for childrens. Liked it.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
सरदी और मौसम के अनुकूल कविता। बच्चों को बहुत पसंद आयेगी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता है सुषमा जी, बधाई।
जवाब देंहटाएंअच्छी बाल कविता।
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकार कीजिये। बाल मन की आपको समझ है, सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहोत खूब लिखा है आपने ढेरो बधाई आपको...
जवाब देंहटाएंबाल सुलभ मन भाती कविता.. बधाई
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुषमा जी, बधाई।
मौसम के अनुरूप सुन्दर बाल-कविता
जवाब देंहटाएंरचना ने बच्चा बन जाने का अहसास करा दिया।
जवाब देंहटाएंऔर सुख किसे कहते हैं।
प्रवीण पंडित
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