HeaderLarge

नवीनतम रचनाएं

6/recent/ticker-posts

चंदन की लकड़ी से तुम्हें बनाया है [कविता] - देवेश वशिष्ठ 'खबरी'


चुन चुन कर नग
किस शिल्पी ने
तुम्हें सजाया है।
शायद
चंदन की लकड़ी से
तुम्हें बनाया है।

हवा बसंती
ठहर गयी है
तुम्हारे होठों पर,
या फिर
सावन की मस्ती ने
तुम्हें बुलाया है ?

गंगा में अर्पित पुष्पों सा
है मेरा जीवन,
श्रृध्दा ने ले
रंग सुनहरा
रुप बनाया है।

शीशे जैसे मन में दिखते
पावन कुछ बंधन,
या फिर बादल ने घूँघट में
चाँद छिपाया है।

*****

एक टिप्पणी भेजें

8 टिप्पणियाँ

  1. शब्द भाव का संगम ऐसा मुझको भाया है।
    ऐसा लगता आपने मेरा दर्द बताया है।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  2. सरल शब्द...बढिया भाव....सुन्दर कविता

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन रचना है।

    जवाब देंहटाएं
  4. शीशे जैसे मन में दिखते
    पावन कुछ बंधन,
    या फिर बादल ने घूँघट में
    चाँद छिपाया है।
    waah! bahut sundar likha hai. badhayi sweekaren.

    जवाब देंहटाएं
  5. सहज बोल हैं किंतु मधुर मृदु।
    पढ़ने के बाद अच्छा अच्छा महसूस होता रहा।
    प्रवीण पंडित

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर सहज शब्दों में मन की गहरी बात कह गये आप इस रचना के माध्यम से.. बधाई

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत बढ़िया भाई ...

    शब्द जी उठे है आपकी कविता में , और मौसम के रंग छा गए है मेरे मन पर......

    बहुत बहुत बधाई


    विजय

    जवाब देंहटाएं

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

आइये कारवां बनायें...

~~~ साहित्य शिल्पी का पुस्तकालय निरंतर समृद्ध हो रहा है। इन्हें आप हमारी साईट से सीधे डाउनलोड कर के पढ सकते हैं ~~~~~~~

डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें...