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चर्चा जारी रहने दो [गज़ल] - योगेन्द्र मौदगिल


विजयघोष के सन्नारों की चर्चा जारी रहने दो
अपने-अपने अधिकारों की चर्चा जारी रहने दो

वरना तुमको खा जायेंगे ये दहशत के सौदागर
बात-बात में अंगारों की चर्चा जारी रहने दो

जिन कूचों में खेल खेलते, बचपन छूट गया हमसे
उन कूचों की, गलियारों की चर्चा जारी रहने दो

चैनल युग की आपाधापी, घर का हिस्सा बन बैठी
विज्ञापित साहूकारों की चर्चा जारी रहने दो

समता व सद्भाव-एकता और समन्वय की खातिर
कंगूरों से मीनारों की चर्चा जारी रहने दो

सुबह लान में बैठ चाय की प्याली में तूफान लिये
पुन: ’मौदगिल’ अखबारों की चर्चा जारी रहने दो

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22 टिप्पणियाँ

  1. वैसे भी योगेन्द्र जी के गज़लो का जबाब नहीं.. एक और खुबसूरत गज़ल के लिये बधाई

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  2. वरना तुमको खा जायेंगे ये दहशत के सौदागर
    बात-बात में अंगारों की चर्चा जारी रहने दो

    समता व सद्भाव-एकता और समन्वय की खातिर
    कंगूरों से मीनारों की चर्चा जारी रहने दो

    सुबह लान में बैठ चाय की प्याली में तूफान लिये
    पुन: ’मौदगिल’ अखबारों की चर्चा जारी रहने दो

    बहुत खूब।

    जवाब देंहटाएं
  3. वरना तुमको खा जायेंगे ये दहशत के सौदागर
    बात-बात में अंगारों की चर्चा जारी रहने दो

    बहुत अच्छी गज़ल। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  4. वरना तुमको खा जायेंगे ये दहशत के सौदागर
    बात-बात में अंगारों की चर्चा जारी रहने दो.
    बहुत खूब भाई साहब ,आनन्द आ गया .

    जवाब देंहटाएं
  5. मौदगिलजी ,
    आपकी गज़ल मेँ
    वास्तविकता अँगारोँ की लपट सी उजागर हुई है !
    जारी रखिये ...
    - लावण्या

    जवाब देंहटाएं
  6. समसामयिक विष्यों को अपने में समेटे हुए आपकी गज़ल पसन्द

    जवाब देंहटाएं
  7. जिन कूचों में खेल खेलते, बचपन छूट गया हमसे
    उन कूचों की, गलियारों की चर्चा जारी रहने दो
    वाह मौदगिल भाई..वाह...कसम से आप को गले लगाने को दिल चाहता है...आज के हालत को आप जिस खूबी से अपनी ग़ज़लों में उतारते हैं वो बेमिसाल है...जिंदाबाद भाई जिंदाबाद...
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  8. गंभीर मुद्दों को ग़ज़ल किस तरह प्रस्तुत कर सकती है आपकी यह रचना उदाहरण है।

    जवाब देंहटाएं
  9. सुबह लान में बैठ चाय की प्याली में तूफान लिये
    पुन: ’मौदगिल’ अखबारों की चर्चा जारी रहने दो
    daad kabool kareN.
    bahut khoob!!

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर मन के उदगार... निश्चय ही यह जरूरी है कि सभी आभावों और दुर्भावनापूर्ण षडयंत्रों के खिलाफ़ जंग लडी जाये .. प्रेरणात्मक रचना के लिये आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. "मौदगिल" जी, आपकी गज़ल मुझे बेहद पसंद आई।नीरज जी की बात से मैं भी इत्तेफाक रखता हूँ कि समसामयिक विषयों पर आपकी लेखनी एक अलग हीं रंग में नज़र आती है।

    मौदगिल जी! गज़ल-विधा में रदीफ और काफिया की मुझे जानकारी है, लेकिन अभी बहर की जानकारी ले रहा हूँ,सीख रहा हूँ। इसलिए अच्छा होता कि आप गज़ल के अंत में लिख देते कि गज़ल किस बहर में है। उम्मीद करता हूँ कि आगे से आप इस बात का ध्यान रखेंगे।

    रचना के लिए पुनश्च बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  12. Dear Yogendra ji,

    aapne bahut accha likha hai , specially ye lines , aaj ke hindustan ke liye bahut jaroori hai .

    समता व सद्भाव-एकता और समन्वय की खातिर
    कंगूरों से मीनारों की चर्चा जारी रहने दो

    bahut bahut badhai.

    regards
    vijay
    B : http://poemsofvijay.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  13. वरना तुमको खा जायेंगे ये दहशत के सौदागर
    बात-बात में अंगारों की चर्चा जारी रहने दो
    kavi ne bahut hi saral tarike se vartaman samay main ho rahi ghatnao aur usse nipatne ka sandesh prastoot kiya hain. Mera sadhuvad.
    A.L. Hanfee, Assistant Registrar, IPS Academy, Indore

    जवाब देंहटाएं
  14. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  15. आज और आज के सच को बेहद सधे अंदाज़ मे नाख़ूनों की हल्की मार के साथ प्रस्तुत किया ।
    बहुत अच्छा ।

    प्रवीण पंडित

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत खूब है गजल में छुपा जीवन का तानाबाना
    नई सुबह की नई गजल की चर्चा जारी रहने दो

    जवाब देंहटाएं
  17. चर्चा जारी रहने दो क्या बात है

    जवाब देंहटाएं

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