
विजयघोष के सन्नारों की चर्चा जारी रहने दो
अपने-अपने अधिकारों की चर्चा जारी रहने दो
वरना तुमको खा जायेंगे ये दहशत के सौदागर
बात-बात में अंगारों की चर्चा जारी रहने दो
जिन कूचों में खेल खेलते, बचपन छूट गया हमसे
उन कूचों की, गलियारों की चर्चा जारी रहने दो
चैनल युग की आपाधापी, घर का हिस्सा बन बैठी
विज्ञापित साहूकारों की चर्चा जारी रहने दो
समता व सद्भाव-एकता और समन्वय की खातिर
कंगूरों से मीनारों की चर्चा जारी रहने दो
सुबह लान में बैठ चाय की प्याली में तूफान लिये
पुन: ’मौदगिल’ अखबारों की चर्चा जारी रहने दो
22 टिप्पणियाँ
वैसे भी योगेन्द्र जी के गज़लो का जबाब नहीं.. एक और खुबसूरत गज़ल के लिये बधाई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन महाराज..वाह!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया योगेँद्र जी.
जवाब देंहटाएंवरना तुमको खा जायेंगे ये दहशत के सौदागर
जवाब देंहटाएंबात-बात में अंगारों की चर्चा जारी रहने दो
समता व सद्भाव-एकता और समन्वय की खातिर
कंगूरों से मीनारों की चर्चा जारी रहने दो
सुबह लान में बैठ चाय की प्याली में तूफान लिये
पुन: ’मौदगिल’ अखबारों की चर्चा जारी रहने दो
बहुत खूब।
ACHCHHEE GAZAL HAI MOUDGIL JEE.
जवाब देंहटाएंवरना तुमको खा जायेंगे ये दहशत के सौदागर
जवाब देंहटाएंबात-बात में अंगारों की चर्चा जारी रहने दो
बहुत अच्छी गज़ल। बधाई।
वरना तुमको खा जायेंगे ये दहशत के सौदागर
जवाब देंहटाएंबात-बात में अंगारों की चर्चा जारी रहने दो.
बहुत खूब भाई साहब ,आनन्द आ गया .
मौदगिलजी ,
जवाब देंहटाएंआपकी गज़ल मेँ
वास्तविकता अँगारोँ की लपट सी उजागर हुई है !
जारी रखिये ...
- लावण्या
vaah-vaah
जवाब देंहटाएंkya kahne hain
khooooooooooooob
समसामयिक विष्यों को अपने में समेटे हुए आपकी गज़ल पसन्द
जवाब देंहटाएंजिन कूचों में खेल खेलते, बचपन छूट गया हमसे
जवाब देंहटाएंउन कूचों की, गलियारों की चर्चा जारी रहने दो
वाह मौदगिल भाई..वाह...कसम से आप को गले लगाने को दिल चाहता है...आज के हालत को आप जिस खूबी से अपनी ग़ज़लों में उतारते हैं वो बेमिसाल है...जिंदाबाद भाई जिंदाबाद...
नीरज
Nice Gazal.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
गंभीर मुद्दों को ग़ज़ल किस तरह प्रस्तुत कर सकती है आपकी यह रचना उदाहरण है।
जवाब देंहटाएंसुबह लान में बैठ चाय की प्याली में तूफान लिये
जवाब देंहटाएंपुन: ’मौदगिल’ अखबारों की चर्चा जारी रहने दो
daad kabool kareN.
bahut khoob!!
बहुत सुन्दर मन के उदगार... निश्चय ही यह जरूरी है कि सभी आभावों और दुर्भावनापूर्ण षडयंत्रों के खिलाफ़ जंग लडी जाये .. प्रेरणात्मक रचना के लिये आभार
जवाब देंहटाएं"मौदगिल" जी, आपकी गज़ल मुझे बेहद पसंद आई।नीरज जी की बात से मैं भी इत्तेफाक रखता हूँ कि समसामयिक विषयों पर आपकी लेखनी एक अलग हीं रंग में नज़र आती है।
जवाब देंहटाएंमौदगिल जी! गज़ल-विधा में रदीफ और काफिया की मुझे जानकारी है, लेकिन अभी बहर की जानकारी ले रहा हूँ,सीख रहा हूँ। इसलिए अच्छा होता कि आप गज़ल के अंत में लिख देते कि गज़ल किस बहर में है। उम्मीद करता हूँ कि आगे से आप इस बात का ध्यान रखेंगे।
रचना के लिए पुनश्च बधाई।
Dear Yogendra ji,
जवाब देंहटाएंaapne bahut accha likha hai , specially ye lines , aaj ke hindustan ke liye bahut jaroori hai .
समता व सद्भाव-एकता और समन्वय की खातिर
कंगूरों से मीनारों की चर्चा जारी रहने दो
bahut bahut badhai.
regards
vijay
B : http://poemsofvijay.blogspot.com
वरना तुमको खा जायेंगे ये दहशत के सौदागर
जवाब देंहटाएंबात-बात में अंगारों की चर्चा जारी रहने दो
kavi ne bahut hi saral tarike se vartaman samay main ho rahi ghatnao aur usse nipatne ka sandesh prastoot kiya hain. Mera sadhuvad.
A.L. Hanfee, Assistant Registrar, IPS Academy, Indore
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआज और आज के सच को बेहद सधे अंदाज़ मे नाख़ूनों की हल्की मार के साथ प्रस्तुत किया ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा ।
प्रवीण पंडित
बहुत खूब है गजल में छुपा जीवन का तानाबाना
जवाब देंहटाएंनई सुबह की नई गजल की चर्चा जारी रहने दो
चर्चा जारी रहने दो क्या बात है
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.