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वैक्यूम [लघुकथा] - सूरज प्रकाश


21वीं शताब्दी के आगमन के उपलक्ष्य में हमारे कार्यालय ने भी अपना योगदान दिया और इस योजना की पहली किस्त के रूप में सफाई के लिए एक वैक्यूम क्लीनर खरीदा गया। दफ्तर के बाबू और दफ्तरी बहुत ख़ुश थे कि अब उन्हे पुरानी फाइलों के अंबार में से अपने काम की फाइलें तलाशते समय धूल से अपने हाथ, मुँह और कपड़े गंदे नहीं करने पड़ेगे। बड़े बाबू खुश थे कि अब साहब उन्हें सुबह-सुबह अपने केबिन में बुलाकर अपनी मेज़ पर उँगली फिराकर धूल की परत नहीं दिखा पाएँगे। वैक्यूम क्लीनर से उनका केबिन चकाचक रहेगा।
वैक्यूम क्लीनर आया। सबने देखा, सराहा। अब तक पत्रिकाओं और कैटेलॉगो ने देखा था, आज साक्षात देख लिया। कम्पनी का आदमी खुद आकर पूरे स्टाफ के सामने डिमांस्ट्रेट कर गया।
अगले दिन सबने देख, ऑफिस की सफाई झाडू से ही की गई है। सफाई वालों को तलब किया गया। उन्होंने साफ इंकार कर दिया, ”चुँकि यह झाडू नही है और उनकी ड्यूटी में सिर्फ झाडू से ही सफाई करना शामिल है, अत: वे इसे हाथ नही लगाएँगे। जाते-जाते वे यह सलाह दे गए - यह बिजली का है, इसे बिजली-मिस्त्री ही चला सकता है।
बिजली-मिस्त्री को बुलवाया गया। वह सुनते ही बिदका, "मेरा काम बिजली की बिगड़ी चीजों को दुरूस्त करने का है उन्हे चलाने का नहीं"। वह भी मार्गदर्शन दे गया, "इसे पंप ऑपरेटर से चलाए तो बेहतर"। पंप ऑपरेटर ने भी मना कर दिया-“है तो झाडू ही, क्या हुआ जो बिजली का है। यह मेरा काम कतई नहीं"। जाते-जाते कह गया- “इसके लिए तो बड़े बाबू आप सरकार को लिखकर एक ठो रोबोट मँगवा लें"।

नतीजा यह हुआ कि अतिरिक्त भत्ते के लालच और अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी दिए जाने के बावजूद उसे किसी ने हाथ नहीं लगाया। वैक्यूम क्लीनर आज भी गोदाम में एक कोने मे पड़ा धूल खा रहा है।

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9 टिप्पणियाँ

  1. आज के दौर मे लघुकथा ने कहानी की जगह ले ली है.... बहुत ही अच्छी लघुकथा.. बधाई स्वीकारें

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  2. सही कहा आपने वैसे ही जैसे कई कीमती मशीने अस्पतालों और दूसरे सरकारी दफ़तरों में टेकन्शीयन की राह तकती तकती बूढी हो जाती हैं..

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  3. SURAJ PRAKASH JEE,EK BADIYA
    LAGHUKATHA KE LIYE AAPKO DHERON
    BADHAAEEAN.

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  4. सरकारी दफ्तरों में काम ना करने के सैंकड़ों बहाने खोज लिए जाते हैँ या अविष्कृत कर लिए जाते हैँ.....


    वाह री लाल फीताशाही....तेरा क्या कहना?...

    बढिया कटाक्ष....अच्छी कहानी

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  5. badhiyaa hai bhai
    prateek achha chuna hai... thodi aour gahrai hoti to aour maza aata..khair laghukatha ka apna kaam hota hai aour use yah bakhoobi karti hai.
    badhayee.

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  6. विकर्मण्यता का नमूना है और बहुधा देखने को मिलता है।

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  7. लालफीताशाही पर कटाक्ष है :)

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