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जाने कौन डगर ठहरेंगे [कविता] - डॉ. कुमार विश्वास


कुछ छोटे सपनो के बदले,
बड़ी नींद का सौदा करने,
निकल पडे हैं पांव अभागे, जाने कौन डगर ठहरेंगे

वही प्यास के अनगढ़ मोती,
वही धूप की सुर्ख कहानी,
वही आंख में घुटकर मरती,
आंसू की खुद्दार जवानी,
हर मोहरे की मूक विवशता, चौसर के खाने क्या जाने
हार जीत तय करती है वे, आज कौन से घर ठहरेंगे
निकल पडे हैं पांव अभागे, जाने कौन डगर ठहरेंगे

कुछ पलकों में बंद चांदनी,
कुछ होठों में कैद तराने,
मंजिल के गुमनाम भरोसे,
सपनो के लाचार बहाने,
जिनकी जिद के आगे सूरज, मोरपंख से छाया मांगे,
उन के भी दुर्दम्य इरादे, वीणा के स्वर पर ठहरेंगे
निकल पडे हैं पांव अभागे, जाने कौन डगर ठहरेंगे

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18 टिप्पणियाँ

  1. नमस्कार कुमार जी ,
    बहोत खूब कविता लिखी है आपने बहोत ही बढिया भाव भरे है.. आपको ढेरो बधाई साहब...

    जवाब देंहटाएं
  2. कुछ पलकों में बंद चांदनी,
    कुछ होठों में कैद तराने,
    मंजिल के गुमनाम भरोसे,
    सपनो के लाचार बहाने,
    जिनकी जिद के आगे सूरज, मोरपंख से छाया मांगे,
    उन के भी दुर्दम्य इरादे, वीणा के स्वर पर ठहरेंगे
    निकल पडे हैं पांव अभागे, जाने कौन डगर ठहरेंगे

    बेहद प्रभावी कविता। बधाई डॉ. विश्वास

    जवाब देंहटाएं
  3. कुछ छोटे सपनो के बदले,
    बड़ी नींद का सौदा करने,
    निकल पडे हैं पांव अभागे, जाने कौन डगर ठहरेंगे

    गहरी रचना है। आपको इस मंच से सुनसे की भी तमन्ना है, गुजारिश पूरी करें।

    जवाब देंहटाएं
  4. "निकल पडे हैं पांव अभागे, जाने कौन डगर ठहरेंगे" आपको इस रंग में पहली बार देखा। आपको पढना, आपको सुनने जितना ही आनंददायक अनुभव रहा। बधाई।

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  5. One of the bestof Dr. Kumar Vishwas

    Alok Kataria

    जवाब देंहटाएं
  6. डॉ. कुमार विश्वास जी,
    साहित्य शिल्पी पर आपको पढ कर प्रसन्नता हुई। कविता में प्रवाह और बिम्ब नितांत प्रभावी हैं। यह आपके अनुभवी कलम की सुन्दर बानगी है...मैं अनुरोध करूंगा कि डॉ. नंदन की गुजारिश भी पूरी करें।

    ***राजीव रंजन प्रसाद

    जवाब देंहटाएं
  7. कुछ पलकों में बंद चांदनी,
    कुछ होठों में कैद तराने,
    मंजिल के गुमनाम भरोसे,
    सपनो के लाचार बहाने,
    जिनकी जिद के आगे सूरज, मोरपंख से छाया मांगे,
    उन के भी दुर्दम्य इरादे, वीणा के स्वर पर ठहरेंगे
    निकल पडे हैं पांव अभागे, जाने कौन डगर ठहरेंगे

    कविता की लय...तारत्म्यता....भाव...बेहद पसन्द आया....बधाई स्वीकारें

    जवाब देंहटाएं
  8. namaskar kumar ji ,

    bahut sundar bhaav hai aaapki kavita mein .



    badhai

    vijay

    जवाब देंहटाएं
  9. sahitya shilpi par apko padhkar bahut achcha laga. Kavita to sada ki tarah atyant sundar aur pravawshali hai

    जवाब देंहटाएं
  10. प्रदेश पलायन का सुन्दर चित्रण व
    मन की चंचलता व विहलता का सटीक प्रसार करती रचना.

    जवाब देंहटाएं
  11. ise padhkar aisa lagtaa hai aapko pahlee baar padh rahaa hon.
    behad gambheer aur arthpoorn rachnaa.

    जवाब देंहटाएं
  12. आह आज लगा कि मैं किसी मंच कि नहीं साहित्य कि कविता पढ़ रहा हुं।

    जवाब देंहटाएं

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