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राई - द स्टोन [अंतर्जाल पर पहली बार देखें नाटक] : निर्देशक - सत्यजीत भट्टाचार्य, प्रस्तोता - 'अभियान' जगदलपुर। ,

अंतरजाल पर पहली बार, साहित्य शिल्पी प्रस्तुत करता है नाटक - राई-द स्टोन।

अभियान, जगदलपुर की इस प्रस्तुति का महत्व इस मायने में भी बढ जाता है कि नाटक को मंच के साथ साथ अंतर्जाल की स्क्रीन पर प्रस्तुत करने के इस प्रयास द्वारा हमारा यत्न इस जमीन खोती हुई विधा को नया मंच और आयाम प्रदान करना भी है। साहित्य शिल्पी आपसे अनुरोध करता है कि आज अपने व्यस्ततम समय से 45 मिनट अवश्य निकालें और इस प्रस्तुति को अवश्य देखें।

नाटक विधा इस नये मंच द्वारा आपकी सराहना की प्रतीक्षा में है, साहित्य शिल्पी मंच का यह वायदा है कि यदि इस अभियान में आपनें हमें सफलता दिलायी तो नियमित अंतराल पर आप अच्छे और चर्चित नाटकों का आनंद अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर ले सकेंगे।

तो नीचे दिये गये प्लेयर पर चटखा लगायें और नाटक देखें।

नाटक - "राई-द स्टोन"
प्रस्तोता - अभियान जगदलपुर
मंच- साहित्य शिल्पी www.sahityashilpi.com
निर्देशक - सत्यजीत भट्टाचार्य










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27 टिप्पणियाँ

  1. नाटक जैसी विधा को जिंदा रखने के लिए आपका प्रयास सराहनीय है? कृपया इस प्रयास को जारी रखें।

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  2. i will call this as KRANTIKARI STEP. Keep it up Sahitya Shilpi>

    Alok Kataria

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  3. नाटक को इंटरनेट पर लाने के इस प्रयास के लिये साहित्य शिल्पी की टीम बधाई की पात्र है। सत्यजीत भट्टाचार्य को विशेष रूप से बधाई इस शानदार प्रस्तुति के लिये। प्रस्तुतिकरण अच्छा है, कहीं कहीं डायलोग अस्पष्त रह गये हैं यह वीडियो की क्वालिटी के कारण हो सहता है। प्रकाश व्यवस्था की जितनी तारीफ की जाये कम है। नाटक का अंतिम दृश्त मैं कभी नहीं भूस सकूंगा।

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  4. नाटक को इंटरनेट पर देखना अलग ही अनुभव रहा, स्लो सिस्टम होने के बावजूद मैं देख सका यह मेरे समझने के लिये काफी है कि प्रयोग सफल है। सत्यजीत जी बहुत बधाई आपको। अभियान जगदलपुर को शुभकामनायें।

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  5. वीडियो में कई जगह रुकावटें रहीं लेकिन नाटक देखने में कोई बडी असुविधा नहीं थी। इस नाटक की पृष्ठ भूमि दमदार है, कैसे एक आम आदमी शोषण से टूटता है और कैसे उसके भीतर क्रांति पनपती है बहुत अच्छी तरह प्रस्तुत हुआ है। निर्देशन दाग रहित है और बारीक बारीक पहलुओं को भी ध्यान में रखा गया है।

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  6. पात्र परिचय भी दिया जाना चाहिये था। निर्देशन अच्छा है। साहित्य शिल्पी को बधाई।

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  7. नाटक को नया मंच प्रदान करने का धन्यवाद। अच्छा कदम है।

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  8. नया अनुभव था। आभार इस प्रस्तुतिकरण के लिये।

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  9. इस नवीन प्रयास के लिये बधाई...हांलाकि नाटक लम्बा होने और नेट स्पीड धीमी होने के कारण पूरा आन्नद नहीं ले पाये..

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  10. स्वर शिल्पी का यह अति उत्तम प्रयास है। सुनने में थोड़ी बाधा आई है किन्तु एक नवीन प्रयोग देखकर अच्छा लगा। पूरी टीम को बधाई।

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  11. RAJIV JEE,AAP APNEE TEAM KE SATH
    NAYE-NAYE EXPERIMENTS KAR RAHEE.BAHUT KHOOB.NATAK ACHCHHA
    LAGAA.SABHEE KALAAKAARON KAA KAAM
    SARAHNIY HAI.NATAK KE NIRDESHAK
    MANJE HUE LAGTE HAIN.SABKO MEREE
    BADHAAEE

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  12. A very good initiative towards attracting people to a very important art. The play was a splendid one in terms of acting as well as direction. Also the video quality was fine.
    Keep it up!

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  13. बहुत ही सुंदर और प्रभावी प्रस्तुति है. इस खूबसूरत नाटक के लिये ’अभियान’ व इसे एक नया मंच प्रदान करने के लिये साहित्यशिल्पी निश्चय ही बधाई के पात्र हैं.

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  14. सत्यजीत भट्टाचार्य जी द्वारा निर्देशित यह नाटक निस्संदेह बहुत उच्चस्तरीय प्रस्तुति है. सभी कलाकारों का प्रदर्शन सधा हुआ है और निर्देशक की पकड़ हर दृश्य पर साफ नज़र आती है. छायांकन भी सभी का ध्यान खींचने में सक्षम है.
    एक बेहतरीन प्रस्तुति के लिये ’अभियान’ के सभी सदस्यों को बहुत बहुत बधाई!

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  15. नाटक जैसी विधा को जिंदा रखने के लिए आपका प्रयास सराहनीय है .साहित्य शिल्पी को बधाई.

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  16. सुखद है , कारवां अब इस दिशा भी चल पड़ा है
    हमारे स्वप्न का दीया प्रबल हो जल पड़ा है
    कई हैं मंजिलें आगे , हमें जिन तक पहुंचना ;
    नई इक राह गढ़ने आज 'शिल्पी' चल पड़ा है
    -आलोक

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  17. सहित्य शिल्पी ने भावनाओं को अभिव्यक्ति दे दी अथवा नाट्य-मंच को एकदम सम्मुख, घर घर मे लाकर निःशब्द कर दिया।
    कौन सी बात कहूं?
    चरैवेति से अब काम कहां चलेगा, सो दौड़ेवेति।

    प्रवीण पंडित

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  18. Excellent play. Congrats to Sahitya shilpi for providing platform for such plays. Hope to see more such plays in future. Thanks

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  19. नाटक को साईट पर देखकर जो प्रतिक्रियायें मिल रही है, वो मेरे रंगकर्म को मॉझने में सहायक होगा। धन्‍यवाद साहित्‍य शिल्‍पी।

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    उत्तर
    1. सत्यजीत जी, मैं शिरीष गोंटिया, ओ.एफ.के. नाट्यकला संस्था जबलपुर से...काफी दिनों से राई की स्क्रिप्ट को पाने के लिए प्रयासरत हूँ... अगर आप इसे उपलब्ध करा सकें तो मैं आपका आभारी रहूँगा...
      shirishofk@gmail.com

      हटाएं
  20. सत्यजीत भट्टाचार्य का कार्य इस लिये भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि बस्तर जैसी छोटी सी जगह पर रह कर एडवांस थियेटर करना व इस विधा को जीवन बना कर समर्पित रहना आसान कार्य नहीं।

    सत्यजीत असाधारण निर्देशक हैं, स्थितियों व समस्याओं को देखने का उनका अपना ही नजरिया है और प्रस्तुतिकरण में जब वे अपनी अंतर्दृष्टि डालते हैं तो कोई भी स्क्रिप्ट दर्शक को स्तब्ध, व उनकी प्रतिभा के आगे नतमस्तक कर देती है।...।

    मेरा सौभाग्य रहा है कि मेरे लिखे नाटक "किसके हाँथ लगाम" को सत्यजीत भट्टाचार्य का निर्देशन प्राप्त हुआ था, जिसमें जगभग पंद्रह वर्ष पूर्व मुझे अभिनय करने का सौभाग्य भी उन्होने प्रदान किया था।...। मंच पर सत्यजीत भट्टाचार्य के साथ बहुत सी स्मृतियाँ नवीन हो उठीं। आभार बापी दा..

    ***राजीव रंजन प्रसाद

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  21. first of all , this is really one of the great steps taken by sahitya shilpi team towards saving this old art form.

    the entire team along with rajiv ji deservs kudos .

    bahut bahut badhai

    mujhe umeed hai ki , bhavishya mein hamen aur eise naye experiments dekhne ko milenge.

    regards

    vijay

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  22. नाटक देख कर मैं स्तब्ध रह गया, बेहद प्रभाव शाली प्रस्तुति। नेट पर एसा भी हो सकता है किसने सोचा था? प्रस्तुत कर्ता और निर्देशक बधाई के पात्र हैं।

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  23. नाटक को इंटरनेट पर लाने के इस प्रयास के लिये साहित्य शिल्पी की टीम बधाई

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