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कुछ मुक्तक [कविता] - देवमणि पांडेय


मुश्किल सफ़र है फिर भी मंज़िल तुम्हें मिले
मझधार में हो नाव तो साहिल तुम्हें मिले
हमने ख़ुदा से रात दिन मांगी है यह दुआ
हर हाल में जो ख़ुश रहे वो दिल तुम्हें मिले

*****

बादल की तरह हमको छुपा ले जो धूप में
ऐसा तो एक दोस्त भी क़ाबिल नहीं मिला
भटकी रही हमेशा ये लहरों के दरमियां
इस ज़िंदगी को आज तक साहिल नहीं मिला

*****

याद के सहरा में अब जाऊं तो जाऊं किसलिए
थम गए आँखों के आँसू हिचकियां कम हो गईं
रेज़ा रेज़ा होके टूटा मेरे का दिल का आईना
दोस्ती में अब मेरी दिलचस्पियां कम हो गईं

*****

कौन है दोस्त यहां यार किसे कहते हैं
किसको ख़ामोशियां इज़हार किसे कहते हैं
फूल देकर किसी लड़की को रिझाने वालों
तुमको मालूम नहीं प्यार किसे कहते हैं

*****

साथ तेरा मिला तो मुहब्बत मेरी
दिल के काग़ज़ पे उतरी ग़ज़ल हो गई
तूने हँस के जो देखा मेरी ज़िंदगी
झील में मुस्कराता कँवल हो गई

*****

तेरी हर अदा है कमाल की
कि अज़ीब तेरा ये नाज़ है
जिसे सुनके गाती है ज़िंदगी
तू धड़कनों का वॊ साज़ है

*****

तेरे हुस्न में है बड़ी कशिश
तेरी आंख प्याला शराब का
है बदन की ख़ुशबू इस तरह
तू है फूल जैसे गुलाब का

*****

ग़मज़दा आँखों का पानी एक है
और ज़ख़्मों की निशानी एक है
हम दुखों की दास्तां किससे कहें
आपकी मेरी कहानी एक है

*****

हमको तुमको हर हालत में अपना फ़र्ज़ निभाना है
राह से भटके हर राही को मंज़िल तक पहुँचाना है
दिल से दिल तक सीधी सच्ची प्यार की कोई राह बने
दूर अँधेरा करे जो दिल का ऐसा दीप जलाना है

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20 टिप्पणियाँ

  1. सभी मुक्तक सरल है और मन भावन हैं।

    जवाब देंहटाएं
  2. बादल की तरह हमको छुपा ले जो धूप में
    ऐसा तो एक दोस्त भी क़ाबिल नहीं मिला
    भटकी रही हमेशा ये लहरों के दरमियां
    इस ज़िंदगी को आज तक साहिल नहीं मिला

    बहुत खूब।

    जवाब देंहटाएं
  3. हमने ख़ुदा से रात दिन मांगी है यह दुआ
    हर हाल में जो ख़ुश रहे वो दिल तुम्हें मिले

    याद के सहरा में अब जाऊं तो जाऊं किसलिए
    थम गए आँखों के आँसू हिचकियां कम हो गईं
    रेज़ा रेज़ा होके टूटा मेरे का दिल का आईना
    दोस्ती में अब मेरी दिलचस्पियां कम हो गईं

    साथ तेरा मिला तो मुहब्बत मेरी
    दिल के काग़ज़ पे उतरी ग़ज़ल हो गई
    तूने हँस के जो देखा मेरी ज़िंदगी
    झील में मुस्कराता कँवल हो गई

    ग़मज़दा आँखों का पानी एक है
    और ज़ख़्मों की निशानी एक है
    हम दुखों की दास्तां किससे कहें
    आपकी मेरी कहानी एक है

    हमको तुमको हर हालत में अपना फ़र्ज़ निभाना है
    राह से भटके हर राही को मंज़िल तक पहुँचाना है
    दिल से दिल तक सीधी सच्ची प्यार की कोई राह बने
    दूर अँधेरा करे जो दिल का ऐसा दीप जलाना है

    सभी अच्छे हैं, उद्धरित मुक्तक खास पसंद आये।

    जवाब देंहटाएं
  4. हमको तुमको हर हालत में अपना फ़र्ज़ निभाना है
    राह से भटके हर राही को मंज़िल तक पहुँचाना है
    दिल से दिल तक सीधी सच्ची प्यार की कोई राह बने
    दूर अँधेरा करे जो दिल का ऐसा दीप जलाना है

    दिल से कहे गये मुक्तक है। बहुत बधाई अच्छी इन रचनाओं के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  5. सरल शब्दों में गहरी बातें... प्रशंसनीय मुक्तक

    जवाब देंहटाएं
  6. तेरे हुस्न में है बड़ी कशिश
    तेरी आंख प्याला शराब का
    है बदन की ख़ुशबू इस तरह
    तू है फूल जैसे गुलाब का
    bahut khub

    जवाब देंहटाएं
  7. देवमणि जी,

    आपके सभी मुक्तक अच्छे बन पडे हैं. शब्दों की जादूगरी आपके पास है, मन को छूने की महारत हासिल है आपको।

    ***राजीव रंजन प्रसाद

    जवाब देंहटाएं
  8. Bhai Deomadhi ji,
    Har subah achchhi lagi har sham bhi achchhi lagi,
    Aapse parichaya hua to zindagi achchhi lagi.
    Sang pakar aapka lagane laga mausam bhala,
    Chandani to chandani ab dhoop bhi achchhi lagi.
    AApke sabhi muktak padhe achchhe lage badhayee.
    Chandrabhan Bhardwaj

    जवाब देंहटाएं
  9. याद के सहरा में अब जाऊं तो जाऊं किसलिए
    थम गए आँखों के आँसू हिचकियां कम हो गईं
    रेज़ा रेज़ा होके टूटा मेरे का दिल का आईना
    दोस्ती में अब मेरी दिलचस्पियां कम हो गईं
    बहुत सुन्दर लिखा है।

    जवाब देंहटाएं
  10. आपकी रचनाएं अन्यत्र भी पढ़ता रहा हूं। यह मुक्तक भी आपकी अन्य रचनाओं की तरह
    बहुत सुंदर हैं। जैसा कि राजीव रंजन जी ने लिखा है कि 'शब्दों की जादूगरी आपके पास है' - इस में सन्देह की गुंजाईश नहीं है।

    याद के सहरा में अब जाऊं तो जाऊं किसलिए
    थम गए आँखों के आँसू हिचकियां कम हो गईं

    बादल की तरह हमको छुपा ले जो धूप में
    ऐसा तो एक दोस्त भी क़ाबिल नहीं मिला
    बधाई स्वीकारें
    महावीर शर्मा

    जवाब देंहटाएं
  11. Devmani jee,
    Main to aapkee shayree
    ko fan hoon .Gazal ho,geet ho ya
    muktak ho harek mein aapko maharat
    haasil hai.Aapke ye muktak seedhe
    dil mein utarte hain.Badhaaee.

    जवाब देंहटाएं
  12. जनाबे देव साहिब
    आपका फ़न
    जीवन और सादगी का खुबसूरत मुजस्मा है
    जिसमें इंसानी ज़मीर की आवाज़ और अंदाज़ भी शामिल हैं
    आपकी तहरीरें बहते पानियोँ में आग लगाने वाली ही नही
    बल्कि इंसानी रगों में दौड़ रहे खून को भी हरारत प्रदान करती है
    में आपको सलाम पेश करता हूँ और साहित्य शिल्पी के इस प्रयास को सराहता हूँ

    चाँद शुक्ला हदियाबादी
    डेनमार्क

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत उम्दा, क्या बात है!आनन्द आ गया.

    जवाब देंहटाएं
  14. साथ तेरा मिला तो मुहब्बत मेरी
    दिल के काग़ज़ पे उतरी ग़ज़ल हो गई
    तूने हँस के जो देखा मेरी ज़िंदगी
    झील में मुस्कराता कँवल हो गई

    सभी मुक्तक एक से बढ़कर एक।

    प्रवीण पंडित

    जवाब देंहटाएं
  15. अपने सभी पाठकों का शुक्रिया अदा करता हूं |आप सबके सम्मान में राणा का एक शेर -

    ख़ुशबू को फैलने का बहुत शौक़ है मगर
    मुमकिन नहीं हवाओं से रिश्ता किए बगैर

    देवमणि पांडेय, मुम्बई

    जवाब देंहटाएं
  16. बादल की तरह हमको छुपा ले जो धूप में
    ऐसा तो एक दोस्त भी क़ाबिल नहीं मिला
    भटकी रही हमेशा ये लहरों के दरमियां
    इस ज़िंदगी को आज तक साहिल नहीं मिला

    This is the one i liked most

    जवाब देंहटाएं
  17. वाहवा..... बहुत सुंदर....बधाई स्वीकारें...

    जवाब देंहटाएं
  18. एक नया मुक्तक -

    इक संग दिल के सामने फरियाद क्यों करें
    करता नहीं है वो तो उसे याद क्यो करें
    सब कुछ नहीं है प्यार तो हम अपनी ज़िदगी
    इक बेवफ़ा के वास्ते बरबाद क्यों करें

    जवाब देंहटाएं
  19. यहाँ लगता ऐसा जख्म भरे नही
    कहां छिपा गम दरिया पता नहीं
    नद बहता दर्द सागर पाता नहीं
    अरमान आधे मंजिल पाते नहीं ।
    सुंदर अभिव्यक्ति शब्दों की।बधाई ।

    जवाब देंहटाएं

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