- Home-icon
- स्थाई स्तंभ
- _काव्य शास्त्र
- __काव्य का रचना शास्त्र
- __ग़ज़ल: शिल्प और संरचना
- __छंद परिचय
- _हिन्दी साहित्य का इतिहास
- _मैंने पढ़ी किताब
- _भाषा सेतु
- _नाटक पर स्थाई स्तंभ
- _सप्ताह का कार्टून
- स्वर शिल्पी
- विधायें
- _गद्य
- __अनुवाद
- __आत्मकथा
- __आलेख
- __आलोचना
- __कहानी
- __जीवन परिचय
- __नाटक
- __यात्रा वृतांत
- __व्यंग्य
- __संस्मरण
- __साक्षात्कार
- _पद्य
- __कविता
- __काव्य-पाठ
- __कुण्डलियाँ
- __ग़ज़ल
- __गीत
- __गीतिका
- __मुक्तक
- __हाइकू
- _बाल-साहित्य
- _प्रेरक प्रसंग
- _श्रद्धांजलि
- _समाचार
- _कार्टून
- _पेंटिंग
- रचनाकार
- पुस्तकालय
17 टिप्पणियाँ
तीनों क्षणिकाएं बेहतरीन हैं। तीसरी वाली में ज्यादा नयापन नहीं है,लेकिन बाकी दो तो शुभान-अल्लाह!!!
जवाब देंहटाएंदोनों को ईश्वर नहीं मिला ,
जवाब देंहटाएंतुम्हें वो नहीं मिला,
मुझे तुम ।
-----
जीवन भर ,
मैनें अपनी पहचान ढूँढी,
फ़िर -
मुझे तुम मिले ।
वाह बहुत खूब
दोनों को ईश्वर नहीं मिला ,
जवाब देंहटाएंतुम्हें वो नहीं मिला,
मुझे तुम ।
kyaa baat hai
kavitaa to theekthak hai...lekin behtar hoga is mutual admiration committee se bachen jahan har kachraa vaah vaah hai.
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना है!
जवाब देंहटाएंभाई हमें तो मज़ा नहीं आया :(
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है...लिखते रहें...
जवाब देंहटाएंनीरज
आलोक जी! आपकी काव्य-प्रतिभा से परिचित होने के नाते मुझे आपकी यह रचनायें (बल्कि कहना चाहिये कि रचना क्योंकि मेरे विचार से ये तीन स्वतंत्र क्षणिकायें न होकर एक कविता है) आपके स्तर के अनुरूप नहीं लगीं. आपसे इससे बहुत बेहतर की उम्मीद रहती है.
जवाब देंहटाएंआशा है कि आप इसे सकारात्मक लेंगे.
आप की क्षणिकाएं बहुत अच्छी लगीं।
जवाब देंहटाएंदोनों को ईश्वर नहीं मिला ,
तुम्हें वो नहीं मिला,
मुझे तुम ।
तीनों क्षणिकाएं ...
जवाब देंहटाएंअच्छी हैं ।
आपकी क्षणिका
जवाब देंहटाएंयानी
चाँद शब्दों में
भावों की पूरी मनिका
बधाई स्वीकारें.
दोनों को ईश्वर नहीं मिला ,
जवाब देंहटाएंतुम्हें वो नहीं मिला,
मुझे तुम ।.....
तीनों क्षणिकाएँ.....अच्छी हैँ....बढिया हैँ.....
सुन्दर...
जवाब देंहटाएंकभी कभी हम जिसको सारे जहान में ढूंढते फ़िरते हैं वो अपने आस पास या अपने अन्दर ही मिल जाता है..गूढ दार्शनिक विचार है.
बहुत बढ़िया भाई ...
जवाब देंहटाएंशब्द जी उठे है आपकी कविता में ..
मुझे ये पंक्तियाँ अच्छी लगी ..
दोनों को ईश्वर नहीं मिला ,
तुम्हें वो नहीं मिला,
मुझे तुम ।
यार दोनों का काबा काशी एक ही है .....
मोहब्बत और ईश्वर दोनों को मेरा सलाम
बहुत बहुत बधाई
विजय
दोनों को ईश्वर नहीं मिला ,
जवाब देंहटाएंतुम्हें वो नहीं मिला,
मुझे तुम ।
kavi ki sanikaye bahut kam shabdo main kafi gahri bate darsha rahi hain. ek vakya ke anek arth hain, apko likhne ka adhikar hain, meri shubhkamnaye
A L Hanfee, Assistant Registrar, IPS Academy, Indore
हम दोनों ही
जवाब देंहटाएंबड़ा बनना चाहते थे-
तुम्हें
उनकी नजरों में बड़ा दिखना था,
मुझे
मेरी नजरों में ।
-----
दोनों को ईश्वर नहीं मिला ,
तुम्हें वो नहीं मिला,
मुझे तुम ।
chhu gaye sir sach
you have a nice shanika. I would like to hear such beautiful lines ever. do email me like this, I would be happy if you write for Dharti ke liye, how to save dharti earth.
जवाब देंहटाएंcongratulations
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.