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शहीद हूँ मैं .....[ मुम्बई में आतंकवादियों की कायरता से लडे जाबांज शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि] - विजय कुमार सपत्ति

मेरे देशवाशियों
जब कभी आप खुलकर हंसोंगे ,
तो मेरे परिवार को याद कर लेना ...
जो अब कभी नही हँसेंगे...

जब आप शाम को अपने
घर लौटें ,और अपने अपनों को
इन्तजार करते हुए देखे,
तो मेरे परिवार को याद कर लेना ...
जो अब कभी भी मेरा इन्तजार नही करेंगे..

जब आप अपने परिवार के साथ खाना खाएं
तो मेरे परिवार को याद कर लेना ...
जो अब कभी भी मेरे साथ खा नही पायेंगे.

जब आप अपने बच्चो के साथ खेले ,
तो मेरे परिवार को याद कर लेना ...
मेरे बच्चों को अब कभी भी
मेरी गोद नही मिल पाएंगी

जब आप सकून से सोयें
तो मेरे परिवार को याद कर लेना ...
वो अब भी मेरे लिए जागते है ...

मेरे देशवाशियों ;
शहीद हूँ मैं ,
मुझे भी कभी याद कर लेना ..
आपका परिवार आज जिंदा है ;
क्योंकि ,
नही हूँ...आज मैं !!!!!
शहीद हूँ मैं …………..

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20 टिप्पणियाँ

  1. बहुत संवेदनशील कविता है।

    शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि।

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  2. Sensitive Poem. Salute to our AMAR SAHEED's.

    Alok Kataria

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरे देशवाशियों ;
    शहीद हूँ मैं ,
    मुझे भी कभी याद कर लेना ..
    आपका परिवार आज जिंदा है ;
    क्योंकि ,
    नही हूँ...आज मैं !!!!!
    शहीद हूँ मैं ………….

    यह सत्य है। देश इन सैनिकों के कारण ही जीवित है वरना नेताओं ने इसकी हत्या की कोई कसर नहीं रखी। विजय जी आपकी संवेदनायें गहरी हैं।

    जवाब देंहटाएं
  4. हम सुरक्षित हैं क्योंकि हमारे सिपाही हमारे लिये सजग हैं। बहुत अच्छी कविता। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. आपका परिवार आज जिंदा है ;
    क्योंकि ,
    नही हूँ...आज मैं !!!!!

    दो टूक सच। अमर शहीदों को श्रद्धांजलि।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहोत ही दर्द भरा ,मार्मिक लिखा है आपने...... स्तब्ध हूँ ...

    जवाब देंहटाएं
  7. इस त्रासदी का घोर विरोध होना चाहिए. बूढ़े सियासतदानों की शिराओं मे सर्द लहू दौड़ रहा है.ये लोग नक्कारा हैं इन्हें बदलना होगा और मै तो ये समझता हूँ कि पूरे देश मे जलूस निकाले जाने चाहिए इस सियासत के खिलाफ़. महाराश्ट्र को अपना कहने वाले "राज" आज कहाँ हैं? जब देश्वासियों का खून बहा तो वो किस बिल मे छुप गए?ये पूरी ज़मात ही कसूरबार है. जब संसद पे हमला हुआ था तो ये कह रहे थे कि आर-पार की लड़ाई होगी, क्या हुआ?
    काश! इनको भी पता चले कि दुख क्या होता है!त्रासदी क्या होती है! बेशर्मी की हद होती है ये लोग कहते हैं कि बड़े शहरों मे ऐसा होता ही रहता है,मुझे कहना तो नही चाहिए लेकिन काश इन हमलो मे इनके घरों मे भी मातम होता ! तो पता चलता कि दर्द क्या होता है.

    ये सियासत की तवायफ़ का दुपट्टा है
    ये किसी के आंसुओं से तर नहीं होता।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत मार्मिक, हृदयस्पर्शी ...शहीदों को शत-शत नमन...

    http://www.dilkedarmiyan.blogspot.com/
    कफन में लिपटे…
    अपने बेटे को देख !
    माँ का कलेज़ा फट पड़ा !
    Bhawna....

    जवाब देंहटाएं
  9. हमारे शासक कमजोर हैं। कभी आर-पार की लडाई नहीं होगी। होगी तो केवल लफ्फाजी।
    बहुत मार्मिक कविता है। शहीदों को नमन।

    जवाब देंहटाएं
  10. मेरे देशवाशियों ;
    शहीद हूँ मैं ,
    मुझे भी कभी याद कर लेना ..
    आपका परिवार आज जिंदा है ;
    क्योंकि ,
    नही हूँ...आज मैं !!!!!
    शहीद हूँ मैं ………….


    -संवेदनशील कविता.

    -शहीदों को श्रद्धांजलि.

    जवाब देंहटाएं
  11. विजय जी,

    आतंकवाद अब नासूर बन गया है। यह सच है कि अगर हम जीवित हैं तो इस लिये कि राष्ट्र प्रहरी हमारे जवान हमारे लिये संघर्षरत हैं। मुम्बई हादसे में शहीद जवानों की याद तो कृतघ्न भारतवासी कुछ दिन करेंगे फिर भूल जायेंगें लेकिन उनके परिवार यह त्रासदी जीवन भर ढोयेंगे।..। आपकी कविता आँख नम करती है।

    ***राजीव रंजन प्रसाद

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत विनम्र भावनात्मक कविता -

    ऐ मेरे वतन के लोगोँ,
    जरा आँख मेँ भर लो पानी
    जो शहीद हुए हैँ उनकी,
    जरा याद करो कुरबानी

    जवाब देंहटाएं
  13. हिला कर रख दिया। सेल्यूट आपको भी और जांबजों को तो है ही। अब लग रहा है, अगर सभी आप जैसा सोचने लगें तो किसी सैनिक की बेवा, मां और बहन की आंख में आंसू नहीं होंगें। जाने वाले की कमी पूरी नहीं होती, लेकिन उनके दायित्वों में से हम कुछ एक भी निभा पाएं तो उनके चहरों पर बेशक मुस्कान न ला सकें लेकिन अवसाद तो कम कर ही सकते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  14. सुन्दर मन के उदगार
    पढ कर लता जी का गाया एक अमर गीत याद आ गया... " ऎ मेरे वतन के लोगो... जरा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुये हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी "

    जवाब देंहटाएं
  15. रचना ने आंख नम कर दी, शक़ नहीं।
    पर एक कौंध बाक़ी रह गयी भीतर ही भीतर -- काश ऐसा हुआ करे, ऐसा हो।

    प्रवीण पंडित

    जवाब देंहटाएं
  16. पूरी तरह कड़वे सच को बयान करती हुई कविता. हमारी और देश की कोशिश रहनी चाहिये कि कम से कम उनके परिवारों की समुचित देखभाल और सम्मान हो सके यही उनको हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

    जवाब देंहटाएं
  17. मेरे देशवाशियों ;
    शहीद हूँ मैं ,
    मुझे भी कभी याद कर लेना ..
    आपका परिवार आज जिंदा है ;
    क्योंकि ,
    नही हूँ...आज मैं !!!!!
    शहीद हूँ मैं ………….

    बहुत संवेदनशील कविता...

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत अच्छी कविता है
    भावुक कर दिया

    जवाब देंहटाएं

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