
जब कभी आप खुलकर हंसोंगे ,
तो मेरे परिवार को याद कर लेना ...
जो अब कभी नही हँसेंगे...
जब आप शाम को अपने
घर लौटें ,और अपने अपनों को
इन्तजार करते हुए देखे,
तो मेरे परिवार को याद कर लेना ...
जो अब कभी भी मेरा इन्तजार नही करेंगे..
जब आप अपने परिवार के साथ खाना खाएं
तो मेरे परिवार को याद कर लेना ...
जो अब कभी भी मेरे साथ खा नही पायेंगे.
जब आप अपने बच्चो के साथ खेले ,
तो मेरे परिवार को याद कर लेना ...
मेरे बच्चों को अब कभी भी
मेरी गोद नही मिल पाएंगी
जब आप सकून से सोयें
तो मेरे परिवार को याद कर लेना ...
वो अब भी मेरे लिए जागते है ...
मेरे देशवाशियों ;
शहीद हूँ मैं ,
मुझे भी कभी याद कर लेना ..
आपका परिवार आज जिंदा है ;
क्योंकि ,
नही हूँ...आज मैं !!!!!
शहीद हूँ मैं …………..
जब आप सकून से सोयें
तो मेरे परिवार को याद कर लेना ...
वो अब भी मेरे लिए जागते है ...
मेरे देशवाशियों ;
शहीद हूँ मैं ,
मुझे भी कभी याद कर लेना ..
आपका परिवार आज जिंदा है ;
क्योंकि ,
नही हूँ...आज मैं !!!!!
शहीद हूँ मैं …………..
20 टिप्पणियाँ
बहुत संवेदनशील कविता है।
जवाब देंहटाएंशहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि।
नमन करता हूँ शहीदोँ को.
जवाब देंहटाएंSensitive Poem. Salute to our AMAR SAHEED's.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
मेरे देशवाशियों ;
जवाब देंहटाएंशहीद हूँ मैं ,
मुझे भी कभी याद कर लेना ..
आपका परिवार आज जिंदा है ;
क्योंकि ,
नही हूँ...आज मैं !!!!!
शहीद हूँ मैं ………….
यह सत्य है। देश इन सैनिकों के कारण ही जीवित है वरना नेताओं ने इसकी हत्या की कोई कसर नहीं रखी। विजय जी आपकी संवेदनायें गहरी हैं।
हम सुरक्षित हैं क्योंकि हमारे सिपाही हमारे लिये सजग हैं। बहुत अच्छी कविता। बधाई।
जवाब देंहटाएंआपका परिवार आज जिंदा है ;
जवाब देंहटाएंक्योंकि ,
नही हूँ...आज मैं !!!!!
दो टूक सच। अमर शहीदों को श्रद्धांजलि।
बहोत ही दर्द भरा ,मार्मिक लिखा है आपने...... स्तब्ध हूँ ...
जवाब देंहटाएंइस त्रासदी का घोर विरोध होना चाहिए. बूढ़े सियासतदानों की शिराओं मे सर्द लहू दौड़ रहा है.ये लोग नक्कारा हैं इन्हें बदलना होगा और मै तो ये समझता हूँ कि पूरे देश मे जलूस निकाले जाने चाहिए इस सियासत के खिलाफ़. महाराश्ट्र को अपना कहने वाले "राज" आज कहाँ हैं? जब देश्वासियों का खून बहा तो वो किस बिल मे छुप गए?ये पूरी ज़मात ही कसूरबार है. जब संसद पे हमला हुआ था तो ये कह रहे थे कि आर-पार की लड़ाई होगी, क्या हुआ?
जवाब देंहटाएंकाश! इनको भी पता चले कि दुख क्या होता है!त्रासदी क्या होती है! बेशर्मी की हद होती है ये लोग कहते हैं कि बड़े शहरों मे ऐसा होता ही रहता है,मुझे कहना तो नही चाहिए लेकिन काश इन हमलो मे इनके घरों मे भी मातम होता ! तो पता चलता कि दर्द क्या होता है.
ये सियासत की तवायफ़ का दुपट्टा है
ये किसी के आंसुओं से तर नहीं होता।
बहुत मार्मिक, हृदयस्पर्शी ...शहीदों को शत-शत नमन...
जवाब देंहटाएंhttp://www.dilkedarmiyan.blogspot.com/
कफन में लिपटे…
अपने बेटे को देख !
माँ का कलेज़ा फट पड़ा !
Bhawna....
हमारे शासक कमजोर हैं। कभी आर-पार की लडाई नहीं होगी। होगी तो केवल लफ्फाजी।
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक कविता है। शहीदों को नमन।
मेरे देशवाशियों ;
जवाब देंहटाएंशहीद हूँ मैं ,
मुझे भी कभी याद कर लेना ..
आपका परिवार आज जिंदा है ;
क्योंकि ,
नही हूँ...आज मैं !!!!!
शहीद हूँ मैं ………….
-संवेदनशील कविता.
-शहीदों को श्रद्धांजलि.
विजय जी,
जवाब देंहटाएंआतंकवाद अब नासूर बन गया है। यह सच है कि अगर हम जीवित हैं तो इस लिये कि राष्ट्र प्रहरी हमारे जवान हमारे लिये संघर्षरत हैं। मुम्बई हादसे में शहीद जवानों की याद तो कृतघ्न भारतवासी कुछ दिन करेंगे फिर भूल जायेंगें लेकिन उनके परिवार यह त्रासदी जीवन भर ढोयेंगे।..। आपकी कविता आँख नम करती है।
***राजीव रंजन प्रसाद
शहीदोँ को नमन.....
जवाब देंहटाएंबहुत विनम्र भावनात्मक कविता -
जवाब देंहटाएंऐ मेरे वतन के लोगोँ,
जरा आँख मेँ भर लो पानी
जो शहीद हुए हैँ उनकी,
जरा याद करो कुरबानी
हिला कर रख दिया। सेल्यूट आपको भी और जांबजों को तो है ही। अब लग रहा है, अगर सभी आप जैसा सोचने लगें तो किसी सैनिक की बेवा, मां और बहन की आंख में आंसू नहीं होंगें। जाने वाले की कमी पूरी नहीं होती, लेकिन उनके दायित्वों में से हम कुछ एक भी निभा पाएं तो उनके चहरों पर बेशक मुस्कान न ला सकें लेकिन अवसाद तो कम कर ही सकते हैं।
जवाब देंहटाएंसुन्दर मन के उदगार
जवाब देंहटाएंपढ कर लता जी का गाया एक अमर गीत याद आ गया... " ऎ मेरे वतन के लोगो... जरा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुये हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी "
रचना ने आंख नम कर दी, शक़ नहीं।
जवाब देंहटाएंपर एक कौंध बाक़ी रह गयी भीतर ही भीतर -- काश ऐसा हुआ करे, ऐसा हो।
प्रवीण पंडित
पूरी तरह कड़वे सच को बयान करती हुई कविता. हमारी और देश की कोशिश रहनी चाहिये कि कम से कम उनके परिवारों की समुचित देखभाल और सम्मान हो सके यही उनको हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
जवाब देंहटाएंमेरे देशवाशियों ;
जवाब देंहटाएंशहीद हूँ मैं ,
मुझे भी कभी याद कर लेना ..
आपका परिवार आज जिंदा है ;
क्योंकि ,
नही हूँ...आज मैं !!!!!
शहीद हूँ मैं ………….
बहुत संवेदनशील कविता...
बहुत अच्छी कविता है
जवाब देंहटाएंभावुक कर दिया
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.