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आतंकवाद की लपट से मुस्कराती ज़िन्दगी की दर्दनाक मौत [कवि एवं हिन्दीसेवी राजीव सारस्वत पंचतत्व में विलीन - श्रद्धांजलि] - देवमणि पाण्डेय

सोमवार 1 दिसम्बर को अपने परिजनों को रोता बिलखता छोड़कर कवि एवं हिन्दीसेवी राजीव सारस्वत पंचतत्व में विलीन हो गए| मुम्बई में पांचसितारा होटल ताज पर हुए आतंकी हमले ने इस मुस्कराती ज़िन्दगी को मौत में तबदील कर दिया| वे इस होटल में अपने अधिकारियों के साथ राजभाषा कार्यान्वयन से जुड़ी संसदीय समिति की बैठक में भाग लेने के लिए आए हुए थे| मुरादाबाद (उ.प्र.) के मूल निवासी 50 वर्षीय राजीव सारस्वत हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरशन लि. (HPCL) में प्रबंधक (राजभाषा) के पद पर कार्यरत थे| हँसमुख और मिलनसार स्वभाव वाले राजीव सारस्वत का व्यक्तित्व अभिनेताओं जैसा था| कवि और लेखक होने के साथ ही प्रश्नमंच और क्विज जैसे कार्यक्रमों के संचालन में उन्हें महारत हासिल थी|

पहली दिसम्बर की शाम को 'राजीव सारस्वत अमर रहे' नारे के साथ जब उनके आवास मिलेनियम टावर, सानपाड़ा, नई मुम्बई से उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई त्तो मित्रों,परिचितों,पड़ोसियों,सहकर्मियों, और सहित्यकारों को मिलाकर हज़ार से भी अधिक लोगों ने उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दी| रचनाकार जगत से जो लोग वहां मुझे नज़र आए उनमें उनमें शामिल थे- डॉ.विजय कुमार, डॉ.सरोजिनी जैन, विभा रानी, अक्षय जैन, पूर्ण मनराल, बसंत आर्य, अरविंद राही, अनंत श्रीमाली, राजेश्वर उनियाल, वागीश सारस्वत, अशोक तिवारी, सतीश शुक्ला, जाफ़र रज़ा, लोचन सक्सेना, राजेन्द्र गुप्ता, एम.एल.गुप्ता, रविदत्त गौड़, उमाकांत वाजपेयी, सुरेश जैन, अशोक बाफना, गुजराती कवि चेतन फ्रेमवाला और अभिनेता-कवि विष्णु शर्मा| कॉलेज जाने वाली दो बेटियों के पिता राजीव सारस्वत का अंतिम संस्कार यू.के. से आए उनके बड़े भाई नरेश सारस्वत ने किया|

यह मुस्कराती ज़िन्दगी जिस तरह मौत में तबदील हुई उसे देखकर ये लाइनें बार-बार याद आतीं हैं-

हमेशा के लिए दुनिया में कोई भी नहीं आता
पर जैसे तुम गए हो इस तरह कोई नहीं जाता

मित्रों और सहकर्मियों से टुकड़े टुकडे में जो जानकारी हासिल हुई उसे सुनकर दिल दहल जाता है| अभी तक फ़िज़ाओं में कुछ ऐसे सवाल तैर रहे हैं जिनके जवाब नहीं मिल पाए हैं| अभी तक इस सचाई का पता नहीं चल सका है कि राजीव सारस्वत आतंकवादियों का शिकार हुए या एनएसजी कमांडों की गलतफ़हमी के कारण मारे गए| कुछ सिरे जोड़कर यह दर्दनाक कहानी इस तरह बनती है|

बुधवार 26 दिसम्बर को वे होटल ताज में संसदीय समिति के दौरे के कारण रूम नं.471 में कार्यालयीन ड्यूटी पर तैनात थे| इस कमरे को कंट्रोल रूम (सूचना केन्द्र) का रूप दिया गया गया था| यानी बैठक से संबंधित सभी फाइलों और काग़ज़ात को यहां रखा गया था| राजीव सारस्वत के साथ उनके तीन और सहकर्मी भी यहां मौजूद थे| रात में दो सहकर्मी सांसदों के साथ रात्रिभोज के लिए तल मंज़िल पर डाइनिंग हाल में गए| आधे घंटे बाद तीसरे सहकर्मी ने कहा कि मैं नीचे देखकर आता हूं कि इन लोगों के लौटने में देर क्यों हो रही है| अब राजीव सारस्वत कमरे में अकेले थे| ठीक इसी समय आतंकवादियों ने धावा बोल दिया| सहकर्मियों ने तत्काल फोन करके उन्हें हमले की जानकारी दी और सावधानी बरतने की सलाह दी| आतंकवादी गोलीबारी करते हुए सीधे ऊपर चढ़ गए| इसका फ़ायदा उठाकर ताज के स्टाफ ने डाइनिंग हाल के लोगों को पिछले दरवाज़े से सुरक्षित बाहर निकाल दिया| पहले सेना ने और कुछ घंटे बाद एनएसजी ने ताज को पूरी तरह अपनी गिरफ़्त में ले लिया| राजीव सारस्वत अपने मोबाइल के ज़रिए लगातार अपने परिवार और मित्रों के सम्पर्क में थे| लग रहा था कि थोड़ी देर में यह खेल समाप्त हो जाएगा मगर ऐसा नहीं हुआ और रात गुज़र गई|

राजीव सारस्वत के सहकर्मियों ने पुलिस से अनुरोध किया कि कमरा नं.471 में एचपीसीएल का कंट्रोल रूम है| उसमें राजीव सारस्वत फंसे हुए हैं| कृपया यह जानकारी एनएसजी तक पहुंचाएं| पुलिस ने बताया कि ताज पर अब सारा नियंत्रण एनएसजी का है और उनसे सम्पर्क करने के लिए हमारे पास कोई साधन नहीं है| एक मित्र ने बताया कि एचपीसीएल के अधिकारियों ने दिल्ली तक फोन किया मगर राजीव सारस्वत की मदत में कामयाब नहीं हो पाए| गुरुवार 27 नवम्बर को अपराहन 3.45 बजे राजीव सारस्वत के कमरा नं. 471 पर दस्तक हुई| राजीव ने समझा कि बचाव दल आ गया है| फिर भी उन्होंने अंदर की जंज़ीर लगाकर बाहर झांकने की कोशिश की| बाहर खड़े आतंकवादी ने गोली चला दी जो उनके हाथ में लगी| उन्होंने फौरन दरवाज़ा बंद करके अपने एक सहकर्मी को फोन किया| सहकर्मी ने उन्हें सलाह दी कि आगे कोई कितना भी खटखटाए मगर दरवाज़ा नहीं खोलना| राजीव ने तत्काल पत्नी को फोन किया कि हाथ में गोली लग गई है| दर्द बहुत है मगर किसी तरह बरदाश्त कर लेंगे|

शाम 5.30 बजे मित्र अरविंद राही ने फोन पर मुझे बताया कि राजीव से सम्पर्क टूट गया है और घर वाले बहुत परेशान हैं| हमने अस्पताल से लेकर अख़बारों तक में फोन किया मगर कोई सुराग नहीं मिला| ऐसी चर्चा है कि पहले मास्टर की से कमरा नं. 471 को खोलने की कोशिश की गई मगर नहीं खुला क्योंकि यह भीतर से बंद था| आशंका यह जताई जा रही कि जब एनएसजी के कई बार खटखटाने के बावजूद राजीव सारस्वत ने दरवाज़ा नहीं खोला तो उन्हें लगा कि इसमें ज़रूर कोई आतंकवादी छुपा हुआ है| हो सकता है कि हाथ से रक्तस्राव और दर्द के कारण राजीव सारस्वत बेहोशी की हालत में पहुंच गए हों या डर के कारण उन्होंने दरवाज़ा न खोला हो| बहरहाल बताया जा रहा है कि एनएसजी ने विस्फोटक से दरवाज़े को उड़ा दिया और पल भर में सब कुछ जलकर राख हो गया| राजीव सारस्वत का भरा पूरा 100 किग्रा का शरीर सिमटकर 25 किग्रा का हो गया| पहले तो परिवारवालों ने इस शरीर को पहचानने से इंकार कर दिया क्योंकि पहचान का कोई चिन्ह ही नहीं बचा था| मगर बाद में स्वीकार किया क्योंकि उस कमरे में राजीव सारस्वत के अलावा कोई दूसरा था भी नहीं|

मुम्बई में घटी इस त्रासदी को कवर करने वाले हिन्दी समाचार चैनलों ने हमेशा की तरह ग़ैरजिम्मेदारी का परिचय दिया| उनके संवाददाता ऐसे चीख़ चीख़ कर बोल रहे थे जैसे ज़ुर्म या अपराध की रिपोर्टिंग करते हैं| एक चैनल ने जोश की सीमाएं लांघकर बताना शुरू कर दिया कि रूम नं.471 को आतंकवादियों ने अपना कंट्रोलरूम बना लिया है| जब उन्हें फोन करके अधिकारियों ने सूचित किया कि यह तो एचपीसीएल का कंट्रोलरूम है और उसमें राजीव सारस्वत हैं तो उन्होंने अपना यह समाचार तो हटा लिया मगर दर्शकों को सच नहीं बताया|

फिलहाल राजीव सारस्वत के आकस्मिक निधन से बहुत लोंगों ने बहुत कुछ खोया है जिसकी क्षतिपूर्ति सम्भव नहीं है| ईश्वर उनके परिवार को शक्ति दे कि वे इस गहरे दुःख को सहन कर सकें| एक जागरूक कवि होने के नाते राजीव प्राय: सामयिक विषयों पर लिखते रहते थे| 10 अक्तूबर को श्रुतिसंवाद कला अकादमी के कवि सम्मेलन में उन्होंने एक कविता सुनाई थी | उसकी अनुगूंज अभी भी मुझे सुनाई पड़ रही है-

नए दौर को अब नया व्याकरण दें
विच्छेद को संधि का आचरण दें

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19 टिप्पणियाँ

  1. हे भगवान !
    यह वृताँत पढकर पुनः आतँकियोँ के हमले का आँखोँ देखा हाल देखा हो ऐसी स्थिति हो रही है :-(
    -ईश्वर उनकी पत्नी व २ बेटीयोँ को इस करुण और भयानक आघात को सहने की क्षमता देँ --
    सच्चे ह्र्दय से श्रधाँजलि :-((

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  2. It is sad to read this article. How irresponsible our media is????

    Alok Kataria

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  3. राजीव सारस्वरत का दिवंगत होना एक अपूर्णीय क्षति है लेकिन उनकी मौत के कारण का दायित्व किसका है? भारत का मीडिया गैर जिम्मेदार है।

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  4. राजीव जी को श्रद्धांजलि. ईश्वर उनके परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की हिम्मत प्रदान करें. भारतीय मीडिया ने बहुत ही बचकाना आचरण किया है इस पूरे प्रकरण में. राजनीतिज्ञों, ख़ुफिया विभाग, पुलिस और नौकरशाही के साथ साथ मीडिया की जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिये.

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  5. राजीव जी के आकस्मिक निधन का अत्याधिक शोक है.. ईश्वर उनकी दिंवगत आत्मा को शान्ति प्रदान करें और उनके परिवार को यह क्षति सहन करने की हिम्मत दे.
    आतंकवादियों की जितनी भी भर्त्सना की जाये कम है.

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  6. बेहद अफसोसजनक और दु:खद समाचार है।
    मीडिया की गैरजिम्मेदाराना हरकत और पुलिस की लापरवाही ( यह कह देना कि NSG से संपर्क नहीं हो सकता) दोनों पर रोष आता है और आक्रोश भी।

    ईश्वर राजीव जी की आत्मा को शांति दे।

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  7. अफसोसनाक घटना है। राजीव सारस्वत जी को विनम्र श्रद्धांजलि।

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  8. दु:खद, वेदनापूर्ण घटना जो व्यवस्था के प्रति क्षोभ भर देती है।

    राजीव सारस्वत जो विनम्र श्रद्धांजलि।

    ***राजीव रंजन प्रसाद

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  9. इस घटना पर सिस्टम, आतंकवाद और मीडिया की निंदा करते हुए मैं राजीव सारस्वत को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ।

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  10. इतनी मार्मिक घटना पर कहने के लिए कोई शब्द नही हैं। बस् भगवान से यही प्रार्थना करूंगा कि राजीव जी की आत्मा को शांति प्रदान करें एवं उनके परिवार जनों को ऐसी दुखद घडी से उबरने में मदद करें।

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  11. DEVMANI PANDEY JEE KA LEKH PADH
    KAR MUN DRAVIT HO GAYAA HAI.ISHWAR
    SABHEE SHAHEEDON KEE AATMAAON KO
    SHANTI DE.

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  12. सभी शहीदों को श्रद्धांजलि!

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  13. राजीव सारस्वरत जी को श्रद्धांजलि...

    ईश्वर उनकी दिंवगत आत्मा को
    शान्ति प्रदान करें.... और
    उनके परिवार को
    क्षति सहन करने की हिम्मत दे....


    रोष और आक्रोश दोनों ....

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  14. दुख की इस घड़ी में आप सब हमारे साथ हैं यही हमारे लिये सबसे बड़ा सम्बल है|

    देवमणि पाण्डेय, मुम्बई

    जवाब देंहटाएं
  15. बेहद अफसोसजनक और दु:खद समाचार ..राजीव सारस्वत जो विनम्र श्रद्धांजलि.

    जवाब देंहटाएं
  16. दु:खद घटना। राजीव सारस्वत को श्रद्धांजलि।

    जवाब देंहटाएं
  17. main unko sat sat naman karta hoon, ishwar unke pariwar ko is sankat se ubharne ki taqat de..

    vijay

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