
क्या आप में से किसी ने .... कभी रेलवे स्टेशन पर रिजर्वेशन कराने के लिए गए हुए किसी सैनिक के साथ रिजेर्वेशन करने वाले क्लर्क का अपमान भरा वर्ताव देखा है? बड़े बड़े शब्दों में देशभक्ति और सैनिकों के कल्याण का दावा करने वाले राजनीतिक और कार्यालयों में कार्य करने वाले जनता के लोग, सैनिकों के आत्मसम्मान को बहुधा ठेस पहुँचाने से भी परहेज नहीं करते। यह जो चार दिनों के लिए देश और शहीदों के नाम का जज्बा है समुद्र में आया तूफ़ान नहीं है....... शायद यह भी चाय की प्याली मैं आए तूफ़ान की तरह बैठ जाएगा ... आज का राजनेता भी यह बहुत अच्छी तरह जानता है और मीडिया भी।
उंगली पर गिने चुने एक या दो चैनेल को छोड़ दिया जाए तो सभी को पता है कि बहुत दिनों तक इसके सहारे टी आर पी नहीं बढ़ाई जा सकेगी। इसलिए बहती गंगा में जितना हाथ साफ़ कर सकते हो कर लो ......
संभवतः ताज होटल से सुरक्षित बाहर आने वाले एक सांसद का मीडिया पर बयान लोग अब तक नहीं भूल सके होंगे। इन महोदय ने मीडिया पर आते ही शेखी बघारते हुए कहा था कि वो तो योद्धा हैं डर कैसा .. ? वह तो अपने लैपटाप पर 'एन्जॉय' करते रहे। इन 'स्वयंभू बहादुर' नेता जी से क्या कोई पूंछना चाहेगा कि आतंकवादियों के आते ही दरवाजा क्यों बंद कर दिया....!!!! ? उन्हें बहादुरी से मुकाबला करना चाहिए था ... अथवा अपने प्रेरक भाषण से आतंकवादियों का हृदय परिवर्तन करने के लिये प्रयास करना चाहिए था। देश का दुर्भाग्य है कि यदि ऐसे राजनीतिक, नकली शेर योद्धा हैं तो फिर अमर शहीद मेजर उन्नीकृष्णन, हवलदार गजेंदर, हेमंत करकरे सहित अन्य बलों के अमर शहीद क्या हैं ....
माइक और कैमरा देखते ही शेर बन जाने वाले नेता जी संभल जाइये। देश की जनता को बहुत ही दुःख और पीड़ा पहुंचा चुके हैं आप ......... देश की जनता से यही निवेदन है कि किसी भी सैनिक के लिये सच्चे सम्मान से अधिक बड़ा प्रतिकार कुछ भी नहीं हो सकता है किंतु यह कुछ पलों का न होकर स्थाई बना रहे यही शहीदों के और उनके परिवारों के लिए सच्ची श्रृद्धांजलि होगी।
24 टिप्पणियाँ
योद्धा,
जवाब देंहटाएंऔर lap top पे......
भाई जी इन कमाल के योद्धा की जानकारी दी .......धन्यवाद......
दुःख भरी बात है पर हंसने का मन होता है
""बे-तक्ख्ल्लुस" क्या कहे इस बे-शरम की शान में,
जवाब देंहटाएंभेडिये-गीदड़ भी अब बसने लगे इनसान में""
बाहर निकल कर पता नहीं पटाखों को क्यों नहीं ""एन्जॉय" किया.......???
Being in army i cam understand your pain.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
आपके लेख में निहित भावनाओं से पूरी सहमति है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद......
जवाब देंहटाएंदुःख की बात है ....
हमारे नेता सिर्फ कागज़ी शेर है....
जवाब देंहटाएंआपकी बात से पूर्णत्या सहमत...
"किसी भी सैनिक के लिये सच्चे सम्मान से अधिक बड़ा प्रतिकार कुछ भी नहीं हो सकता है किंतु यह कुछ पलों का न होकर स्थाई बना रहे यही शहीदों के और उनके परिवारों के लिए सच्ची श्रृद्धांजलि होगी।"
जवाब देंहटाएंसही कहा आपनें।
आपने वाकई खरी खरी कहा है। बहुत अच्छा आलेख है।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंझकझोर देने वाला लेख है।
जवाब देंहटाएंयोद्धा और लैपटौप वाली घटना सिद्ध करती है कि राजनेताओं ने शर्म-हया और ईमान सब कुछ धोकर पी लिया है।
जवाब देंहटाएंकान्त जी,
आपका आलेख बहुत कुछ बयां करता है। आपकी लेखनी यूँ हीं अनवरत चलती रहे, यही कामना करता हूँ।
मर्म को छू गया
जवाब देंहटाएंLEKH SOCHNE PAR VIVASH KARTAA HAI
जवाब देंहटाएंshrikant ji ,
जवाब देंहटाएंलेख पढ़कर मन में बहुत से सवाल आए , जिनके कोई जवाब नही थे , ये देश अब पूरी तरह से banana country बन चुका है . हमें अब कुछ ऐसे decisions लेने होंगे कि नेताओ को अक्ल आ जाएँ .
विजय
देश पर निज प्राण के जो पुष्प न्यौछावर करे
जवाब देंहटाएंजो कफ़न का ओढ़ चोला देश पर ही मिट मरे
उस तनय के जनक द्वय को नमन बारंबार है
जो गँवाकर प्राण करता देश का शृंगार है ।
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में आज जो कुहासा छाया हुआ है इसका हल केवल राष्ट्रीय जनमानस के पास ही है नेताओं और संस्थानों से अपक्षा के बिना जो मानवीय सैलाव सड़कों पर उतरा है उसे सही दिशा में ले जाते हुए सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय चेतना के रूप में परिवर्तित की क्षमता बुद्धिजीवी वर्ग में ही है.. ग्लैमर की दुनिया से अप्रभावित रहकर आयें आज सही अर्थों में हम एक कारवां बनायें. जाति वर्ग धार्मिक आस्थाओं के भेदसे विहीन एक नए समाज का ...... प्रयास जारी रखें और सच्ची राष्ट्रीय चेतना की इस लौ को किसी को बुझाने न दें
जवाब देंहटाएंShreekant ji you have written very correct in your article and i am very much agreed. this is the time when we know that our future is not safe in the hands of politicians.... we have to stand together....
जवाब देंहटाएंNeha
Your article is very nice and have revealed the truth about our country politicians and showed the bravery of our soldiers.... nice article to light our feelings towrads nattion....
जवाब देंहटाएंइन नेताओ को हमने बनाया है और हम ही इन्हे हटाने का अधिकार रखते है यदि हमें आगे जाके इन्हे देश के सत्ता से निकालना पड़ा तो हम पीछे नही हटेंगे ये देश हमारा है जनता का न की नेताओ के जागीर मै इस लडाई मै जनता के साथ हूँ श्रीकान्त जी.
जवाब देंहटाएंताशु
जिन परिवारों ने अपना कोई खोया है वही जवानों को सही श्रधांजलि दे पाते है नेता तो सिर्फ़ भाषण देना जानते है उनका दर्द नही.
जवाब देंहटाएंज्योति
manyawar netao ne sirf janta ka shoshan kiya hai wo jo karte hai dikhawa matr hota hai hame unki santwana nahi cahiye hamkhud kahde hosakte hai.
जवाब देंहटाएंpriti
manyawar netao ne sirf janta ka shoshan kiya hai wo jo karte hai dikhawa matr hota hai hame unki santwana nahi cahiye hamkhud kahde hosakte hai.
जवाब देंहटाएंpriti
जा तन लागे सो तन जाने... और कौन जाने पीर पराई..
जवाब देंहटाएंश्रीकान्त जी जीवन का मूल्य वही जानते है जो इसे निछावर करते हैं या उनके घर वाले... जिन्हें सिर्फ़ सान्त्वनाओं के अतिरिक्त देश से कुछ नहीं मिलता.. एक आतंकवादी और और एक सैनिक की मौत राज नेताओं के लिये एक समान सी हैं और मुआवजे में भी कुछ खास फ़र्क नहीं होता..
एक संवेदनशील लेख के लिये बधाई
srikantji!
जवाब देंहटाएंI must congratulate for bringing up the true feeling of a soldier. but you know the change will come only when our own people will stop electing this shameless politician. Continue with true sprit and Keep it up.
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.