
ज़रा ये सोच मेरे दोस्त दुश्मनी क्या है
दिलों में फूट जो डाले वो दोस्ती क्या है
हज़ार बार ही उलझा हूँ इसके बारे में
कोई तो मुझको बताये कि जिंदगी क्या है
ये माना आदमी की जात है मगर तूने
कभी तो जाना ये होता कि आदमी क्या है
कभी तो बेबसी से टकराव तेरा होता
तुझे भी कुछ पता चलता कि बेबसी क्या है
खुदा की बंदगी करना चलो ज़रूरी सही
मगर इंसान की ऐ दोस्त बंदगी क्या है
किसी अमीर से पूछा तो तुमने क्या पूछा
किसी गरीब से पूछो कि जिंदगी क्या है
नज़र में आदमी अपनी नवाब जैसा सही
नज़र में दूसरे की "प्राण" आदमी क्या है
24 टिप्पणियाँ
प्राण शर्मा जी की ग़ज़लों का सिर्फ़ मुझे ही नहीं, बहुत से लोगों को इंतज़ार रहता है।
जवाब देंहटाएंइस बार भी ग़ज़ल के हर शे'र में गहरा फ़लसफ़ा है। कहने को तो सरल भाषा में आसानी से बात कह दी लेकिन जब ग़ौर से देखते हैं तो एक एक शेर का विस्तार सारी कायनात की तरह फैल जाता है। एक ही शे'र में न जाने कितनी घटनाएं
समा जाती हैं।
'किसी गरीब से पूछो कि जिंदगी क्या है'
एक छोटा सा मिस्रा पढ़ते ही पड़तों पर पड़तें खुल जाती हैं। इस छोटे से मिस्रे को पढ़ते ही आंखों के आगे अखबारों में, फ़िल्मों में, निजी अनुभवों
में देखी हुई विश्व भर के ग़रीबों की दर्द भरी दास्ताँ चलचित्र की रीलों की तरह ज़हन के आगे घूमने लगती है। एक सवाल से मस्तिष्क झनझनाने लगता हैः
'किसी गरीब से पूछो कि जिंदगी क्या है?'
गहराई तक पहुंचने के लिए पूरी ग़ज़ल पढ़ने के लिए काफ़ी वक़्त चाहिए।
ग़ज़ल-शिल्प के तो प्राण जी एक जाने माने गुणी गुरू हैं।
बधाई हो प्राण जी।
महावीर शर्मा
बढ़िया प्रस्तुति। बधाई। चलिए मेरी तरफ से भी इसी तर्ज पर तात्कालिक तुकबंदी की दो पँक्तियाँ-
जवाब देंहटाएंपहन खादी को तुम घूमे सदा उजले लिबासों में।
किसी भी गाँव के आदम से पूछो सादगी क्या है?
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
प्राण साहब की ग़ज़ल के किस शेर का उल्लेख करूँ। हर शेर उम्दा।
जवाब देंहटाएं-मानोशी
क्या बात है! खूबसूरत गज़ल। प्राण शर्मा जी धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंप्राण जी! आपकी गज़ल की तारीफ करना सूरज को दिया दिखाने जैसा ही लगता है. इसलिये प्रशंसा नहीं सिर्फ आभार व्यक्त करूँगा, एक खूबसूरत गज़ल पढ़ाने के लिये.
जवाब देंहटाएंएक बात और, "कभी तो बेबसी से टाकरा तेरा होता" ये मिसरा और "टाकरा" शब्द कुछ जमा नहीं.
खरी बातें...बढिया गज़ल....उम्दा शेर
जवाब देंहटाएंThanks for presenting Pran jees Gazal. It is experience reading it.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
आदरणीय प्राण शर्मा जी और ग़ज़ल पर्याय हैं, आपकी न केवल शिल्प पर गहरी पकड है अपितु भावपक्ष आपकी ग़ज़लों का सबसे सशक्त पहलु है।
जवाब देंहटाएंहज़ार बार ही उलझा हूँ इसके बारे में
कोई तो मुझको बताये कि जिंदगी क्या है
खुदा की बंदगी करना चलो ज़रूरी सही
मगर इंसान की ऐ दोस्त बंदगी क्या है
नज़र में आदमी अपनी नवाब जैसा सही
नज़र में दूसरे की "प्राण" आदमी क्या है
***राजीव रंजन प्रसाद
बहुत अच्छी और गहरी ग़ज़ल है। बहुत बधाई प्राण जी।
जवाब देंहटाएंशर्मा जी,
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत ख्याल "जिन्दगी क्या है" को आपने दिलकश गजल के रूप में ढाला है.
किसी अमीर से पूछा तो तुमने क्या पूछा
किसी गरीब से पूछो कि जिंदगी क्या है
नज़र में आदमी अपनी नवाब जैसा सही
नज़र में दूसरे की "प्राण" आदमी क्या है
वाह वाह
हरेक लफ्ज़ पे
जवाब देंहटाएंठहर कर
सोचने को मजबूर करे
वही तो सच्चा लिखना होता है
प्राण भाई साहब का यही कमाल फिर एक बार, हाज़िर है -
स स्नेह सादर,
- लावण्या
ये माना आदमी की जात है मगर तूने
जवाब देंहटाएंकभी तो जाना ये होता कि आदमी क्या है
क्या बात है!!!
हज़ार बार ही उलझा हूँ इसके बारे में
जवाब देंहटाएंकोई तो मुझको बताये कि जिंदगी क्या है
" बहुत भावभीनी प्रस्तुती, सच कहा जिन्दगी क्या है ये प्रश्न हमेशा ही अनुतरित ही रहा है .....ग़ज़ल बेहद पसंद आई "
"Regards'
हर शे’र काबिले-तारिफ़ है और हम तो बस आप से आशीर्वाद ही माँग सकते हैं कोई टिप्पणी नही कर सकते.बहुत अच्छा लगा कि ग़ज़ल इस मंच पर महकने लगी है.
जवाब देंहटाएंप्राण जी को पढने की मुझे प्रतीक्षा रहती है। अनुभव से पगी इस गज़ल को पढवाने का आभार।
जवाब देंहटाएंकिसी अमीर से पूछा तो तुमने क्या पूछा
जवाब देंहटाएंकिसी गरीब से पूछो कि जिंदगी क्या है
उम्दा ग़ज़ल। बधाई प्राण साहब।
MERE GAZAL KE EK MISRE MEIN"TAAKRA"
जवाब देंहटाएंSHABD KAA PRAYOG BHAI AJAY YAADAV
KO ACHCHHA NAHIN LAGAA HAI.KYA
"SAAMNA"SHABD KAA PRAYOG CHALEGAA?
AGAR AJAY JEE KO PASAND HO TO MAIN
SHRI RAJIV JEE SE SHABD BADALNE KE
LIYE VINTEE KARUNGAA.VAESE BHEE
GALTI SE MISRE MEIN "TAKRAAV"SHABD
ISTEMAAL HO GAYAA HAI.
MAIN UNSAB KA AABHAAREE HOON
JINHONE GAZAL KE BAARE MEIN BAHU-
MOOLYA VICHAAR DIYEN HAIN.SABKO
MERA NAMAN.
"hazaar baar hi uljha hu isske baare meiN , koi to mujhko btaye k zindgi kya hai..."
जवाब देंहटाएंek phalsephana andaaz,
umdaa izhaar,
badhaaee.....!
---MUFLIS---
किसी अमीर से पूछा तो तुमने क्या पूछा
जवाब देंहटाएंकिसी गरीब से पूछो कि जिंदगी क्या है
बहुत अच्छी गजल। बधाई
"किसी अमीर से पूछा तो तुमने क्या पूछा
जवाब देंहटाएंकिसी गरीब से पूछो कि जिंदगी क्या है"वाह . जिंदगी के सटीक मायने तय किए आपने. उत्तम रचना.
किसी अमीर से पूछा तो तुमने क्या पूछा
जवाब देंहटाएंकिसी गरीब से पूछो कि जिंदगी क्या है
गागर में सागर भरने का करिश्मा अगर देखना हो तो प्राण शर्मा साहेब की शायरी पढ़नी चाहिए...इतने सीधे सरल शब्दों में जिंदगी का निचोड़ बाँध देते हैं की पढ़ कर हैरानी होती है...उन्हें पढने के बाद लगता है ग़ज़ल लेखन किस कला का नाम है...धन्य हैं हम लोग जिन को उन्हें पढने का मौका मिला है...ऐसे कमाल के शायर और बेहतरीन इंसान सदियों में पैदा होते हैं...इश्वर उन्हें लम्बी उमर और सेहत अता फरमाए ताकि हम उनके हुनर के ढेरों और रंग देख सकें...
नीरज
हज़ार बार ही उलझा हूँ इसके बारे में
जवाब देंहटाएंकोई तो मुझको बताये कि जिंदगी क्या है
मैं ज्यादा ब्लॉगों पर जा ही नहीं पाया....काम की प्रकृति के कारण समय के अभाव से.....आज प्राण साहब को पढ़ा तो वाकई मज़ा आ गया.....
अंधेरों में पलते लोगों से जानो रौशनी की ललक....
चकाचौध में जीते लोग क्या जाने रौशनी क्या है....!!
kya baat hai , gazal padhkar itna accha laga ki main teen baar pad dala .
जवाब देंहटाएंखुदा की बंदगी करना चलो ज़रूरी सही
मगर इंसान की ऐ दोस्त बंदगी क्या है
in lines ne bahut prabhavit kiya hai .. multi dimentions hai ..
bahut bahut badhai
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
प्राण जी की गज़लें उल्लेखनीय हैं. प्राण जी की गज़लों में एक प्रकार जो ताजगी होती है वही उन्हें दूसरों से अलग करती है.
जवाब देंहटाएंरूपसिंह चन्देल
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.