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लोग मिलते हैं सवालों की तरह [ग़ज़ल] - दीपक गुप्ता

लोग मिलते हैं सवालों की तरह
जैसे बिन चाबी के तालों की तरह

भूख में लम्हात को खाया गया
सख्त रोटी के निवालों की तरह

घर अगर घर ही रहें तो ठीक है
क्यों बनाते हो शिवालों की तरह

दीप सा किरदार तो पैदा करो
लोग चाहेंगे उजालों की तरह

ख़ुद को तुम इन्सान तो साबित करो
याद आओगे मिसालों की तरह
***** 

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15 टिप्पणियाँ

  1. दीप सा किरदार तो पैदा करो
    लोग चाहेंगे उजालों की तरह

    ख़ुद को तुम इन्सान तो साबित करो
    याद आओगे मिसालों की तरह
    बहुत खूब...प्रेरणा देती आपकी गज़ल पसन्द आई

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  2. ham insan to bnana chahte hee nahi, sidhe bhagwan ho jana chahte hain. magar bhagwan to ban nahi pate insan bhee nahi rahte. narayan narayan

    जवाब देंहटाएं
  3. भूख में लम्हात को खाया गया
    सख्त रोटी के निवालों की तरह

    Very nice.

    Alok Kataria

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी ग़ज़ल है।

    लोग मिलते हैं सवालों की तरह
    जैसे बिन चाबी के तालों की तरह

    भूख में लम्हात को खाया गया
    सख्त रोटी के निवालों की तरह

    ख़ुद को तुम इन्सान तो साबित करो
    याद आओगे मिसालों की तरह

    बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. दीप सा किरदार तो पैदा करो
    लोग चाहेंगे उजालों की तरह

    दीपक जी बहुत अच्छी लगी आपकी यह ग़ज़ल।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत अच्छी गज़ल है दीपक जी, बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. निहायत खूबसूरत ख्यालों का मुजाहिरा किया है दीपक जी आपने इस गजल की मार्फ़त..पढ कर बहुत अच्छा लगा

    जवाब देंहटाएं
  8. घर अगर घर ही रहें तो ठीक है
    क्यों बनाते हो शिवालों की तरह
    "लाजवाब अभिव्यक्ति"

    Regards

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  9. बहुत अच्छी गजल है। भाव पक्ष सशक्त है।

    भूख में लम्हात को खाया गया
    सख्त रोटी के निवालों की तरह

    दीप सा किरदार तो पैदा करो
    लोग चाहेंगे उजालों की तरह

    जवाब देंहटाएं
  10. भूख में लम्हात को खाया गया
    सख्त रोटी के निवालों की तरह
    बहुत सुंदर.रंजन जी मतला एक बार चेक कर लें कहीं ग़ल्त तो नही टाईप हुआ.

    जवाब देंहटाएं
  11. लोग मिलते हैं सवालों की तरह
    दीपक जी आप की ग़ज़ल के इस मिसरे से जगजीत जी की गायी ग़ज़ल" लोग मिलते हैं बदलते हुए मौसम की तरह" याद आ गयी...बेहद खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने...बधाई...
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत अच्छी गज़ल है भाई। बधाईयाँ …ख़ूब…वाह वाह

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत अच्छी गजल है।

    ख़ुद को तुम इन्सान तो साबित करो
    याद आओगे मिसालों की तरह

    बहुत खूब... बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  14. दीप सा किरदार तो पैदा करो
    लोग चाहेंगे उजालों की तरह

    बहुत खूब...
    बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत अच्छी गजल है।

    ख़ुद को तुम इन्सान तो साबित करो
    याद आओगे मिसालों की तरह

    बहुत खूब... बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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