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कैद बख्शी है हमें यों ज़िन्दगी के नाम पर [ग़ज़ल] - योगेन्द्र मौदगिल

कैद बख्शी है हमें यों ज़िन्दगी के नाम पर
ज्यों अंधेरे का कत़ल हो रौशनी के नाम पर

और क्या करते भला हम आदमी के नाम पर
छल-कपट करते रहे हैं बन्दगी के नाम पर

भूख की सौगात बच्चों को मिलेगी भेंट में
युद्धरत संसार से नूतन सदी के नाम पर

बुतपरस्ती का जुनूं बढ़ता रहा तो एक दिन
घर जलेंगें मुफलिसों के आरती के नाम पर

स्पर्श कुण्ठित भावना गूंगी बधिर संवेदना
नीर नयनों में नहीं निश्छल हंसी के नाम पर

इन्द्र की आदत तपस्या भंग करने की रही
मेनका रंभा शची या उर्वशी के नाम पर
*****

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22 टिप्पणियाँ

  1. बुतपरस्ती का जुनूं बढ़ता रहा तो एक दिन,
    घर जलेंगें मुफ़लिसों के, आरती के नाम पर

    क्या ब्बात कह गए योगी बड्डे आप ! बहुत ख़ूब ! हमेशा की तरह. उपरोक्त शेर पुरवज़्न है.

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  2. बहुत खूब मौदगिल साहब। आपकी गजल से गजल लिखने वालों को यह सीख लेनी चाहिये कि कैसे गजल में जन को आवाज़ दी जाती है। बात है कि जिनकी दृष्टि में मध्यमवर्गीय कुंठा न होकर लोकजगत का धूसर-धूमिल होता दृश्य होता है और जिनका लेखकीय संस्कार लोक की व्यापक अनुभूतियों से पगा होता है वे तो रचना में जन-गण को स्वर देंगे ही। उनकी रचना में समय का द्वंद्व स्वयं स्वभावगत होकर परिलक्षित होती है और रचना का मूल्य बढ़ा देती है।मैं आपकी गजल का कायल हूँ। बधाई-बधाई-बधाई!!!-सुशील कुमार( मो. 09431310216 , sk.dumka@gmail.com

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  3. ग़ज़ल बहुत अच्छी है लेकिन एक सवाल पूछना चाहता हूँ कि क़त्ल को कतल लिखना कितना सही है? क्या सिर्फ़ वज़्न बराबर करने के लिए ऐसा लिखा गया? मै मौदगिल जी से गुज़ारिश करता हूँ कि वो इस पर रौशनी डालें.

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  4. भूख की सौगात बच्चों को मिलेगी भेंट में
    युद्धरत संसार से नूतन सदी के नाम पर


    bahut sunder

    जवाब देंहटाएं
  5. भूख की सौगात बच्चों को मिलेगी भेंट में
    युद्धरत संसार से नूतन सदी के नाम पर

    क्या खूब लिखा है आपनें।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत अच्छी गज़ल है। हर शेर उम्दा।

    जवाब देंहटाएं
  7. स्पर्श कुण्ठित भावना गूंगी बधिर संवेदना
    नीर नयनों में नहीं निश्छल हंसी के नाम पर

    वाह्! क्या बात है.
    बहुत ही उम्दा गजल,जिसका हर शेर लाजवाब

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  8. हरेक शेर एक एक रत्न के समान है,किसकी प्रशंशा करूँ और किसे छोड़ दूँ........बहुत बहुत सुंदर यथार्थपरक रचना.साधुवाद.

    माँ शारदा आप पर सदा सहाय रहें.

    जवाब देंहटाएं
  9. एक आदमक़द ग़ज़ल और क्या कहूँ !
    शेर गहरे दिल मे उतरकर जगह बना लेते हैं … बधाइयाँ ।

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  10. कैद बख्शी है हमें यों ज़िन्दगी के नाम पर
    ज्यों अंधेरे का कत़ल हो रौशनी के नाम पर




    स्पर्श कुण्ठित भावना गूंगी बधिर संवेदना
    नीर नयनों में नहीं निश्छल हंसी के नाम पर

    वाह्....
    हर शेर उम्दा.....

    बहुत अच्छी गज़ल .....

    मौदगिल जी
    बधाई...

    जवाब देंहटाएं
  11. सभी शेर सुँदर लिखे हैँ योगेन्द्र जी ने बहुत अच्छे !

    जवाब देंहटाएं
  12. योगेन्द्र जी
    आपकी ग़ज़ल बहुत पसंद आई।

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत प्रभावशाली रचना

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  14. भूख की सौगात बच्चों को मिलेगी भेंट में
    युद्धरत संसार से नूतन सदी के नाम पर

    बहुत सच लिखा आपने .बहुत खूब ..

    जवाब देंहटाएं
  15. पढ़ने मे बहुत अच्छी ग़ज़ल ।
    महसूस करने मे उससे भी ज़्यादा अच्छी।

    प्रवीण पंडित

    जवाब देंहटाएं
  16. yogendra ji ,

    aapne itni jeeti jaagti gazal likhi hai ,ki , koi shabd hi nahi tareef karne ke liye ..
    mujhe ye lines bahut pasand aayi ..

    और क्या करते भला हम आदमी के नाम पर
    छल-कपट करते रहे हैं बन्दगी के नाम पर

    aapko bahut badhai ..

    vijay
    poemsofvijay.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  17. वाह साब वाह--
    क्या कहने।
    बहुत खूबसूरत ग़ज़ल

    प्रवीण पंडित

    जवाब देंहटाएं
  18. सतपाल जी
    आप कतल पढ़ते ही क्यों हैं
    मरण पढ़ लीजिये
    आप भी राजी
    मैं राजी
    बस्स

    जवाब देंहटाएं
  19. भूख की सौगात बच्चों को मिलेगी भेंट में
    युद्धरत संसार से नूतन सदी के नाम पर

    बहुत खूब मौदगिल साहब।

    जवाब देंहटाएं

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