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दिल [कविता] – उपासना अरोरा

एक लम्हे पे रुका है
दिल मेरा ये मनचला है
ना तो मंज़िल ना रास्ता है
फिर कहाँ को बढ़ चला है
क्या जाने कब शब बुझी और
क्या जाने कब दिन ढला है...

ऑस बनकर जो गिरा था
धूप का जो इक सिरा था
दिलनशीं वो गुल सिताँ था
क्या कहें पर सब धुआँ था...
खाब के टूटे रेशे बुनता है ये पगला
औढ के फिर वो पैराहन
बादलों में जा बसा है
आँखों में एक आस सी और
दिल में डर का ज़लज़ला है...

वक़्त को तो गुज़रने दे
जी ले या फिर तू मरने दे
साँसों के गुंजल को खोलो
दिल की सारी बातें बोलो
दिन को भी रात में ही
क्यूँ गिनता है ये पगला
उंघति सी ज़िंदगी में
कोई तो इक वलवला हो
साथ कोई हमसफ़र हो
ना भी हो क्या खला है...

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10 टिप्पणियाँ

  1. sundar bahut pankhtiyaan...

    वक़्त को तो गुज़रने दे
    जी ले या फिर तू मरने दे

    ye lines apne aap mein bahut kuch kah jaati hai ..

    aapko bahut badhai ..

    vijay
    poemsofvijay.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर रचना....पढकर अच्‍छा लगा...बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत हे अच्छा लिखा है आपने..पढ़ कर अच्छा लगा...

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर रचना. भावपूर्ण अभिव्यक्ति.

    जवाब देंहटाएं
  5. ऑस बनकर जो गिरा था
    धूप का जो इक सिरा था
    दिलनशीं वो गुल सिताँ था
    क्या कहें पर सब धुआँ था...
    खाब के टूटे रेशे बुनता है ये पगला
    औढ के फिर वो पैराहन
    बादलों में जा बसा है
    आँखों में एक आस सी और
    दिल में डर का ज़लज़ला है...
    अच्छा लिखा है।

    जवाब देंहटाएं
  6. क्या कहें पर सब धुआँ था...
    खाब के टूटे रेशे बुनता है ये पगला
    "beautiful expressions"

    regards

    जवाब देंहटाएं
  7. जी बहुत पसन्द आई आपकी यह रचना...

    जवाब देंहटाएं
  8. रचना पसंद आई। अच्छे और अनूठे बिंबों की प्रस्तुति "दिल" को छू गई।
    बस
    "क्या जाने कब शब बुझी और
    क्या जाने कब दिन ढला है..."
    उपरोक्त पंक्तियाँ रक़ीब फिल्म के एक गाने
    "जाने कैसे शब ढली,
    जाने कैसे दिन खिला" की ओर ईशारा करती हुई प्रतीत हुई,जो दिल को थोड़ा सा खल गया।
    वैसे यह मेरा मन्तव्य है। हो सकता है कि यह समानता बस एक संयोग हो।

    -तन्हा

    जवाब देंहटाएं
  9. औढ के फिर वो पैराहन
    बादलों में जा बसा है
    आँखों में एक आस सी और
    दिल में डर का ज़लज़ला है...



    अच्छा है....

    जवाब देंहटाएं
  10. apne aisi rachna gadi ahin har pathak ki prashnasha ypgya
    babhut achi rachna lagi

    जवाब देंहटाएं

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