
कोलकाता. संध्या हिन्दी दैनिक राष्ट्रीय महानगर द्वारा भाषा और साहित्य के अनुरागियों के लिए स्थापित अपना मंच की प्रथम काव्य गोष्ठी शनिवार २९ नवम्बर को राष्ट्रीय महानगर सभा कक्ष में संपन्न हुई. गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ रचनाकार और भारतीय वांग्मय पीठ के प्रणेता प्रो. श्यामलाल उपाध्याय ने की. कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संयोजन प्रदीप कुमार धानुक ने किया, जबकि फर्स्ट न्यूज़ के संपादक संजय सनम ने अत्यन्त भावपूर्ण अंदाज में गोष्ठी का सञ्चालन किया. प्रारम्भ में राष्ट्रीय महानगर के संपादक प्रकाश चंडालिया ने गोष्ठी के आयोजन और अपना मंच के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि अपना मंच का मुख्या उद्देश्य नवागत रचनाकारों को मंच प्रदान करना है. अपना मंच की और से हर गोष्ठी में एक अनुभवी और एक उदीयमान रचनाकार को गोष्ठी के श्रेष्ठ रचनाकार के रूप में सम्मानित किया जाएगा. गोष्ठी में ४५ रचनाकारों में काव्य पाठ किया. वरिष्ठ कवि योगेन्द्र शुक्ल "सुमन" और नन्दलाल 'रोशन'

गोष्ठी में पढ़ी गई कवि विश्वजीत शर्मा विश्व की कविता:
रोज रोज डर डर के मरना
रोज रोज मर मर के जीना
बहुत हो चुका लोकाडम्बर
अब लड़ जाओ तान के सीना
जीओ जब तक शान से जियो
मर-मर कर भी क्या है जीना?
निज गौरव का जहर भला है
बिन गौरव क्या अमृत पीना?
हे हिन्द देश के कर्णधारो,
जो कहते हो, करके दिखलाओ
पद-कुरसी हथियाने वालो
अब तो करकरे बन दिखलाओ
बन्द करो घडिय़ाली आंसू
मत राजनीति को बदनाम करो
पुन: चाहते गर विश्व से इज्जत
हो संगठित, सार्थक काम करो.
9 टिप्पणियाँ
हे हिन्द देश के कर्णधारो,
जवाब देंहटाएंजो कहते हो, करके दिखलाओ
पद-कुरसी हथियाने वालो
अब तो करकरे बन दिखलाओ
बहुत खूब...आज के कर्ण धारों को सोचने पे विवश करती रचना...
नीरज
Thanks for sahitya samachar. Nice poem of Vishvajeet.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
इस तरह के आयोजन साहित्य की न केवल सेवा करते हैं अपितु उसे समाज से भी जोडते हैं। प्रकाश जी को इस प्रस्तुतिकरण की हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंप्रकाश जी आभार इस साहित्य समाचार के लिये। महानगर प्रकाशन के कार्य की जितनी प्रशंसा की जाये कम है।
जवाब देंहटाएं***राजीव रंजन प्रसाद
मित्रों,
जवाब देंहटाएंआभार आप सभी सुधि जनों का. और विशेष रूप से साहित्य शिल्पी परिवार का, जिसने हमारे प्रयास को हजारों लोगों तक पहुँचाया. महानगर प्रकाशन आपकी प्रेरणादायी प्रतिक्रियाओं को सभी रचनाकारों तक पहुँचा रहा है. इनमे से कई जनों को यकीं तक नही हो रहा कि साहित्य शिल्पी के जरिये उनका यश इतना दूर तक फ़ैल रहा है.
जानकारी के लिए शुक्रिया....
जवाब देंहटाएंऐसे कार्यक्रम लगातार होने चाहिए
धन्यवाद प्रकाश जी आपकी रिपोर्ट बहुत अच्छी है, एसे कार्यक्रम साहित्य सेवा हैं। कवि विश्वजीत शर्मा विश्व की कविता सामयिक है।
जवाब देंहटाएंबन्द करो घडिय़ाली आंसू
जवाब देंहटाएंमत राजनीति को बदनाम करो
पुन: चाहते गर विश्व से इज्जत
हो संगठित, सार्थक काम करो.
अच्छी रिपोर्ट और अच्छी कविता। इस कविता में लिखे गये उपरोक्त शब्दों के माध्यम से मैं केरल के मुख्यमंत्री के उस बयान की निंदा करता हूँ जिसमें उसने कहा कि "उन्नीकृष्णन शहीद न होते तो कुत्ता भी उनके घर नहीं जाता"। क्या एसे राजनेता इस देश की किसमत लिखेंगे।
साहित्य समाचार और कवितायें पढवाने के लिये प्रकाश जी को धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.