
किसी आधी -अधूरी बात को अंजाम दे जाऊं
मेरी तस्वीर भी रख ले वो अपनी शामो- सुबहों मे
किसी अपने को, घर बैठे,ज़रा सा काम दे जाऊं
बहुत मुमकिन है वो शायद अभी तक रास्ता देखे
किसी राहगीर के हाथों उसे पैग़ाम दे जाऊं
समंदर के किनारे हमने अक्सर प्यास देखी है
किसी के सूखे होंठों को खुशी का जाम दे जाऊं
रहा हो ग़म कोई भी पर सदा हंसती रहीं आंखें
मैं उसकी इस हुनरमंदी पे कुछ ईनाम दे जाऊं
न खो जाये कहीं कल वो यहाँ अपनी ही गलियों में
गली के मोड़ पर अपना कहीं भी नाम दे जाऊं
19 टिप्पणियाँ
बहुत अच्छी ग़ज़ल है, बधाई।
जवाब देंहटाएंसमंदर के किनारे हमने अक्सर प्यास देखी है
जवाब देंहटाएंकिसी के सूखे होंठों को खुशी का जाम दे जाऊं
रहा हो ग़म कोई भी पर सदा हंसती रहीं आंखें
मैं उसकी इस हुनरमंदी पे कुछ ईनाम दे जाऊं
बहुत अच्छी ग़ज़ल है। बधाई प्रवीण जी।
bahut hi sunda badhai
जवाब देंहटाएंकिसी तपते सफ़र को भीगती सी शाम दे जाऊं
जवाब देंहटाएंकिसी आधी -अधूरी बात को अंजाम दे जाऊं
Nice Gazal.
Alok Kataria
raha ho gam koi------- bahut achha likhaa
जवाब देंहटाएंन खो जाये कहीं कल वो यहाँ अपनी ही गलियों में
जवाब देंहटाएंगली के मोड़ पर अपना कहीं भी नाम दे जाऊं
वाह वाह..
GAZAL KE SABHEE ASHAAR ACHCHHE BAN
जवाब देंहटाएंPADE HAIN.SHER KAHNE KAA ACHCHHA
SHAOOR HAI PRAVEEN JEE KO.
बहोत खूब लिखा है आपने ढेरो बधाई .................
जवाब देंहटाएंअर्श
न खो जाये कहीं कल वो यहाँ अपनी ही गलियों में
जवाब देंहटाएंगली के मोड़ पर अपना कहीं भी नाम दे जाऊं
बहुत सुन्दर लिखा है।
बहुत अच्छी ग़ज़ल है।
जवाब देंहटाएंमत्अला बहुत अछ्छा है
जवाब देंहटाएंबधाइ
कवि दीपक गुप्ता
www.kavideepakgupta.com
प्रवीण जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही संतुलन के साथ ...... एक एक मोती पिरोया है .... सुखद लगा आपको इस रूप में पढ़ना
सप्रेम शुभकामना
वाह वाह
जवाब देंहटाएंसमंदर के किनारे हमने अक्सर प्यास देखी है
जवाब देंहटाएंकिसी के सूखे होंठों को खुशी का जाम दे जाऊं
न खो जाये कहीं कल वो यहाँ अपनी ही गलियों में
गली के मोड़ पर अपना कहीं भी नाम दे जाऊं
वाह वाह.....
बहुत अच्छी ग़ज़ल...
बधाई।
praveen ji , bahut hi sundar gazal , maine abhi ise do baar padha hai , mazaa aa gaya
जवाब देंहटाएंसमंदर के किनारे हमने अक्सर प्यास देखी है
किसी के सूखे होंठों को खुशी का जाम दे जाऊं
ye lines bahut kuch kah jaati hai ..man ko chooti hui ...
aapko dil se badhai ..
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
"rahaa ho gham koi bhi
जवाब देंहटाएंpr sda hansti rhi aankhein ,
main uski iss hunar.mndi pe
kuchh inaam de jaaoon"
waah !
ek nihaayat hi khoobsurat
ghazal pr mubaarakbaad qubool farmaaein .
---MUFLIS---
ritu rangan bhot badea likho aur lekho
जवाब देंहटाएंयह रचना किसी और नाम से यहाँ छापी गयी है ...
जवाब देंहटाएंhttp://premkephool.blogspot.in/2013/09/blog-post_5358.html
satish ji, hum bhi apna wirodh darz kar aaye hain... us blog par sabhi rachnaayein doosron ki hi hain... janaab waah waahi bator rahe hain...
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