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आग घर के ही चरागों से है इस घर मे लगी [ग़ज़ल] - सतपाल 'ख़्याल'

खौफ़ से सहमी हुई है खून से लथपथ पड़ी
अब कोई मरहम करो घायल पड़ी है ज़िंदगी।

पुर्जा-पुर्जा उड़ गए कुछ लोग कल बारुद से
आज आई है खबर कि अब बढ़ी है चौकसी।

किस से अब उम्मीद रक्खें हम हिफ़ाजत की यहाँ
खेत की ही बाड़ सारा खेत देखो खा गई ।

यूँ तो हर मुद्दे पे संसद में बहस खासी हुई
हल नहीं निकला फ़कत हालात पर चर्चा हुई।

कौन अपना दोस्त है और कौन है दुश्मन यहाँ
बस ये उलझन थी जो सारी ज़िंदगी उलझी रही।

अपना ही घर लूटकर खुश हो रहें हैं वो ख्याल
आग घर के ही चरागों से है इस घर मे लगी।

*****

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14 टिप्पणियाँ

  1. खौफ़ से सहमी हुई है खून से लथपथ पड़ी
    अब कोई मरहम करो घायल पड़ी है ज़िंदगी।

    आज के हालात को बहुत अच्छी तरह बयां करती है आपकी ग़ज़ल।

    जवाब देंहटाएं
  2. अपना ही घर लूटकर खुश हो रहें हैं वो ख्याल
    आग घर के ही चरागों से है इस घर मे लगी।
    I agree.

    Alok Kataria

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. पुर्जा-पुर्जा उड़ गए कुछ लोग कल बारुद से
    आज आई है खबर कि अब बढ़ी है चौकसी।

    हमारे सिस्टम के काम करने का यही तरीका है। अफसोस! बहुत अच्छी गज़ल।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी ग़ज़ल, बधाई सतपाल जी।

    जवाब देंहटाएं
  6. अपना ही घर लूटकर खुश हो रहें हैं वो ख्याल
    आग घर के ही चरागों से है इस घर मे लगी।
    अच्छी गज़ल। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. ghazal to achhi hai hi, lekin aapka saadiq jazba qaabile.ehtraam
    hai...salaam karta hooN.
    "martbaa ooncha rahe un`ka hamesha vishv meiN ,
    ab shaheedoN ke lahu ki laaj rakkheiN hum sabhi."
    ---MUFLIS---

    जवाब देंहटाएं
  8. यूँ तो हर मुद्दे पे संसद में बहस खासी हुई
    हल नहीं निकला फ़कत हालात पर चर्चा हुई।
    -ना जाने कब चर्चा से आगे भी बात बढेगी kabhi?


    ग़ज़ल सामायिक है और अच्छी भी.

    जवाब देंहटाएं
  9. सच को बयान करती एक अच्छी गज़ल!

    जवाब देंहटाएं
  10. शाबाश.

    बहुत ख़ूब.

    यहाँ कुछ सिरफिरों ने हादिसों की धुंध बाँटी है
    नज़र में इसलिए दिलकश कोई मंज़र नहीं आता.

    द्विज

    जवाब देंहटाएं
  11. bahot hi khub likha hai aapne satpal ji ... dhero badhai aapko.......

    जवाब देंहटाएं
  12. सतपाल जी,

    बहुत अच्छी ग़ज़ल,

    बधाई |

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुंदर गजल है
    बधाई देता हूं

    जवाब देंहटाएं
  14. Satpal ji ,

    aapki ye gazal bahut acchi laghi specially ye lines

    खेत की ही बाड़ सारा खेत देखो खा गई ।

    bahut hi satik aur sartak warnan hai ..

    badhai

    vijay

    जवाब देंहटाएं

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