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परायों के घर [कविता] - विजय कुमार सपत्ति



नींद की आंखो से देखा तो
तुम थीं

मुझसे मेरी नज्में मांग रही थीं
उन नज्मों को, जिन्हें संभाल रखा था, मैंने तुम्हारे लिए;
एक उम्र भर के लिए ...

आज कही खो गई थी, वक्त के धूल भरे रास्तों में ......
शायद उन्ही रास्तों में ..
जिन पर चल कर तुम यहाँ आई हो....

क्या किसी ने तुम्हे बताया नहीं कि
परायों के घर, भीगी आंखों से नहीं जाते.....

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15 टिप्पणियाँ

  1. bhigi aankho se to kisi ke yahan bhee nahi jana chahiye, chahe ghar apna ho ya paraya. narayan narayan

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  2. बहुत ही अच्छी कविता.. बधाई स्वीकारें।

    क्या किसी ने तुम्हे बताया नहीं कि
    परायों के घर, भीगी आंखों से नहीं जाते

    जवाब देंहटाएं
  3. क्या किसी ने तुम्हे बताया नहीं कि
    परायों के घर, भीगी आंखों से नहीं जाते.....

    last lines are ultimate. Thanks.

    Alok Kataria

    जवाब देंहटाएं
  4. नींद की आंखो से देखा तो
    तुम थी

    मन प्रसन्न हो गया कविता पढ कर। हर पंक्ति कविता है।

    जवाब देंहटाएं
  5. डूब कर लिखा है आपने।
    वाह वाह।

    जवाब देंहटाएं
  6. शायद उन्ही रास्तों में ..
    जिन पर चल कर तुम यहाँ आई हो....

    क्या किसी ने तुम्हे बताया नहीं कि
    परायों के घर, भीगी आंखों से नहीं जाते.....

    जबरदस्त।

    जवाब देंहटाएं
  7. क्या पता कोई अपना समझ कर ही भीगी आंखों से आया हो उन्हीं नज्मों को तलाशता जिन्हें आप खो बैठे हैं... :)
    सुन्दर भाव प्रदर्शन

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन कविता
    सबसे अच्‍छी जो मुझे लगी वैसे सारी कविता ही काबिलेतारीफ है
    आज कहीं खो गई थी, वक्‍त के धूल भरे रास्‍तों में

    शायद उन्‍हीं रास्‍तों में

    जिन पर चल कर तुम यहां आई हो

    क्‍या बात है सपत्ति साहब जी दिल खुश हो गया बहुत बहुत बधाई आपको

    जवाब देंहटाएं
  9. VIJAY KUMAAR JEE,KAVABHIVYAKTI ATI
    SUNDER HAI.MEREE BADHAAEE SVEEKAAR
    KAREN.

    जवाब देंहटाएं
  10. क्या किसी ने तुम्हे बताया नहीं कि
    परायों के घर, भीगी आंखों से नहीं जाते.....


    वाह।....

    बहुत सुन्दर भाव ....

    बधाई स्वीकारें...

    जवाब देंहटाएं
  11. क्या किसी ने तुम्हे बताया नहीं कि
    परायों के घर, भीगी आंखों से नहीं जाते...

    अनिर्वचनीय पीड़ाजनित रोष की सशक्त अभिव्यक्ति ... उससे जो करक और जनक हो फ़िर भी उम्मीद ... अद्भुत अभिव्यक्ति .. बधाई

    जवाब देंहटाएं
  12. क्या किसी ने तुम्हे बताया नहीं कि
    परायों के घर, भीगी आंखों से नहीं जाते.....

    दिल को छू गई।

    जवाब देंहटाएं
  13. क्या किसी ने तुम्हे बताया नहीं कि
    परायों के घर, भीगी आंखों से नहीं जाते.....

    पते की बात...

    जवाब देंहटाएं
  14. main aap sab ke pyaar ke liye aapka dhanyawad deta hoon..

    aapka
    vijay
    http://poemsofvijay.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं

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