
जश्न है हर सू , साल नया है
हम भी देखें क्या बदला है
गै़र के घर की रौनक है वो
अब वो मेरा क्या लगता है
दुनिया पीछे दिलबर आगे
मन दुविधा मे सोच रहा है
तख्ती पे 'क' 'ख' लिखता वो-
बचपन पीछे छूट गया है
नाती-पोतों ने जिद की तो
अम्मा का संदूक खुला है
याद ख्याल आई फिर उसकी
आँख से फिर आँसू टपका है
दहशत के लम्हात समेटे
आठ गया अब नौ आता है
16 टिप्पणियाँ
खूबसूरत गज़ल है, सतपाल जी! आपको और अन्य पाठकों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएं'नाती-पोतों ने ज़िद की तो…'
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर! मन को छू जाने वाला शे'र।
नये साल की मंगलकामनायें।
सशक्त और मनहर ग़ज़ल है।
जवाब देंहटाएंतख्ती पे 'क' 'ख' लिखता वो-
बचपन पीछे छूट गया है
याद ख्याल आई फिर उसकी
आँख से फिर आँसू टपका है
नाती-पोतों ने जिद की तो
जवाब देंहटाएंअम्मा का संदूक खुला है
नये साल की शुभकामनायें। बहुत अच्छी ग़ज़ल है।
बहुत अच्छी ग़ज़ल है सतपाल जी बधाई।
जवाब देंहटाएंहर शेर सशक्त है। नव वर्ष की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंSATPAL JEE,NAYE SAAL AAPKEE YE GAZAL AAJ KE HAALAAT SAMETE HUE
जवाब देंहटाएंHAI.SABHEE ASHAAR ACHCHHE KAHEN
HAIN AAPNE.
सतपाल जी आपकी इस विधा में महारत है। हर शेर बेहतरीन है।
जवाब देंहटाएंयाद ख्याल आई फिर उसकी
आँख से फिर आँसू टपका है
उम्दा गज़ल...
जवाब देंहटाएंगै़र के घर की रौनक है वो
जवाब देंहटाएंअब वो मेरा क्या लगता है
तख्ती पे 'क' 'ख' लिखता वो-
बचपन पीछे छूट गया है
नाती-पोतों ने जिद की तो
अम्मा का संदूक खुला है
याद ख्याल आई फिर उसकी
आँख से फिर आँसू टपका है
ye chaar sher bhaut achhe lage Satpal ji aapki gazal padna hamesha se hi sukhad anubhav raha hai
गज़ल बहुत अच्छी है।
जवाब देंहटाएंजश्न है हर सू , साल नया है
हम भी देखें क्या बदला है
sab kaa aabhaar !
जवाब देंहटाएंनव वर्ष पर सुन्दर गजल के लिये आभार
जवाब देंहटाएंहर शे'र बार बार पढ़ा।
जवाब देंहटाएंतमाम ग़ज़ल कई बार पढ़ी।
हर बार प्यारी लगी , और नई भी।
प्रवीण पंडित
satpaal ji , naye saal par aapki ye rachana ka swagat hai ..
जवाब देंहटाएंbehad khoobsurat gazal
bahut bahut badhai ..
aapka
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है क्या कहने जिन्दाबाद ।।
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.