
एक अच्छी कविता पढ़ने का अनुभव कितना अद्भुत और सुखद होता है, इसे प्रत्येक साहित्य-प्रेमी जानता है। और यदि कविता पढ़ने के स्थान पर उसे स्वयं कवि के स्वर में सुना जाये तो यह अनुभव और भी बेहतर हो जाता है। इसीलिये "साहित्य शिल्पी" में हम आपको बेहतरीन रचनायें पढ़ने के साथ-साथ उन्हें सुनने-देखने का मौका भी उपलब्ध कराते रहते हैं।
इसी क्रम में आइये आज सुनते हैं, सुप्रसिद्ध कवयित्री श्रीमती लावण्या शाह जी की कविता "तुम लौट आओगे क्या"; खुद उनकी ही आवाज़ में:
मेरा ये गीत सुनकर, तुम लौट आओगे क्या?
मेरी पुकार सुनकर, तुम लौट आओगे क्या?
प्रिय लौट आओगे क्या?
मेरे तरुण ओ साथी! इस छूटती धरा पर
मिलन यामिनी में मुझको गले लगाने
तुम लौट आओगे क्या?
संगीत आज गूँजा, इस छोर पर धरा के
सुर माधुरी सजाने, तुम लौट आओगे क्या?
प्रिय लौट आओगे क्या?
देखो, क्षितिज वह भूरा, औ लौटती चमक वह
वे सूर्य की घटायें, तरंगित स्वस्थ नभ पर
आकाश से उतरकर, तुम लौट आओगे क्या?
आकाश से धरा तक, इक गूँजती उदासी
स्वर अश्रुसिक्त मेरा, पुकारता तुझे प्रवासी
ओ दूर जाने वाले, मेरी पुकार सुनकर
तुम लौट आओगे क्या?
रुक जाये प्रणय-गीत, बाहों में आज भर लो
झूम उठे खुशी से; आकाश और धरातल
मेरे गीत को बदलने, तुम लौट आओगे क्या?
चिर प्रतीक्षा प्रणय की, तुम बदल पाओगे क्या?
कहो न, कहो मुझसे, तुम लौट आओगे न!
प्रिय लौट आओगे न!
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27 टिप्पणियाँ
चिर प्रतीक्षा प्रणय की, तुम बदल पाओगे क्या?
जवाब देंहटाएंकहो न, कहो मुझसे, तुम लौट आओगे न!
प्रिय लौट आओगे न!
बहुत अच्छी रचना है।
सुबह से साईट पर मैं तीसरी बार आयी हूँ, कर यह कविता सुन सकी। संभवत: कोई तकनीकी दिक्कत थी। लावण्या जी की यह कविता बेहद अच्छी है एवं उनकी आवाज मधुर।
जवाब देंहटाएंआपकी कविता की प्रतीक्षा रहती है इस मंच पर। आपको पढना एसा ही है जैसे आज के संगीत के दौर में लता जी को सुनना। भाषा और शिल्प दोनों की सुन्दर। आपकी आवाज में सुनने की बात ही और है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर विरह प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंआकाश से धरा तक, इक गूँजती उदासी
जवाब देंहटाएंस्वर अश्रुसिक्त मेरा, पुकारता तुझे प्रवासी
ओ दूर जाने वाले, मेरी पुकार सुनकर
तुम लौट आओगे क्या?
"" बेहद नाजुक और कोमल भावो और शब्दों से सजी ये रचना दिल को छु गयी.."
Regards
खूबसूरत रचना और उस पर लावण्या जी की बेहद खूबसूरत और मीठी आवाज मे इस रचना को सुनना सच मे एक अनोखा सा अनुभव दे गया ।
जवाब देंहटाएंUltimate. Thanks.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
गहरी अनुभूति होती है रचना को पढ और सुन कर। आपकी आवाज मीठी है।
जवाब देंहटाएंविरह का अध्भुत गीत।
जवाब देंहटाएंआकाश से धरा तक, इक गूँजती उदासी
जवाब देंहटाएंस्वर अश्रुसिक्त मेरा, पुकारता तुझे प्रवासी
ओ दूर जाने वाले, मेरी पुकार सुनकर
तुम लौट आओगे क्या?
आनंद आ गया इस रचना को सुन कर और बार बार सुन कर।
बहुत अच्छी कविता। बधाई।
जवाब देंहटाएंLAVANYA JEE,ISEE TARAH AAP GEET-
जवाब देंहटाएंKAVITA SUNAATEE RAHEN AUR HUM
MANTRA-MUGDH HOKAR SUNTE RAHN.
काव्य पाठ प्रभावी लगा।
जवाब देंहटाएंमंत्र मुग्ध करती सुकोमल आवाज मे ये काव्य पाठ अति कर्ण प्रिय है. कविता के भाव भी आत्म विभोर कर गये. बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
जवाब देंहटाएंदीदी, मेरा भी हाल सु.निधि जैसा है..
बारंबार प्रयास के बावज़ूद आपकी आवाज़ सुनने से वंचित रहा !
है, कोई मददगार ?
मैं नहीं सुन पा रहा :-(
जवाब देंहटाएंकविता की प्रशंसा तो की ही जानी चाहिए ,लेकिन उससे भी ज्यादा जो चीज मन को मोहती है वह है कवयित्री का सुकोमल स्वर। लावण्या जी की आवाज़ में कविता को एक अलग हीं आयाम मिल गया है।
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक
डॉ. अमर कुमार,
जवाब देंहटाएंआपकी टिप्पणी के बाद दोनो प्लेयर जाँचे गये हैं जो सही चल रहे हैं। कृपया नेट कनेक्शन को जाँच लें। साहित्य शिल्पी पर आपका हृदय से अभिनंदन।
नव वर्ष
जवाब देंहटाएंनव हर्ष
नव उत्कर्ष लेकर आये -
साहित्य शिल्पी के मँच से
विविध उपहार मिलते रहे हैँ -
कभी कहानी,
तो कभी गज़ल सीखने की शिक्षा
तो कभी सुँदर गीत या कविता !
उसी तरह आज,
मेरे काव्य पाठ को
आप सभी का स्नेह प्राप्त हुआ है
आशा है
इस साल २००९ के नव वर्ष मेँ
साहित्य शिल्पी
अपनी सार्थकता को
एक नये शिखर पर ले जाये -
निर्बाध गति से यूँ ही चलता रहे
यह कला साधकोँ का कारवाँ
यही सद्` आशा है
स -स्नेह,
- लावण्या
मधुर आवाज-सुन्दर कविता!
जवाब देंहटाएंबधाई!
Lavanyaji,the poem touches our hearts.So many readers can identify with this Intazar--laut ane ki pratiksha hi kafi hai.And your voice sumadhur as ever.
जवाब देंहटाएंMahesh V
सुंदर कविता। मगर सुन नहीं पाई...प्लेयर चला नहीं।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा लावण्याजी की आवाज में यह सुन्दर कविता सुनना। आभार!
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावप्रद कविता...
जवाब देंहटाएंप्लेयर में कुछ कमी जरूर है..मैं भी दोनों प्लेयर पर नहीं सुन पा रहा.
lavanya ji ,
जवाब देंहटाएंmain geet to nahi sun paaya , kuch net problem hai .. par abhi padha hoon , bahut achi prstuti ..virah ko sundar shabdo mein baandha hai ..
bahut bahut badhai ..
aapka
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
आपकी कविता पढ़ने के साथ साथ आपके कोमल स्वर में कविता-पाठ सुन कर एक सुखद अनुभव हुआ है। सुनकर गहन अनुभूति होती है। कविता में कोमल भाव और सुंदर शब्दों का चयन देखते ही बनता है। बधाई।
जवाब देंहटाएंGreat blog
जवाब देंहटाएंRaksha Bandhan Wishes for sister
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.