
मैं शातिर हूँ नहीं इतना कि, जितना सब समझते हैं
ज़माने को समझने में हमारी उम्र गुजरी है
मियां, हम आपकी हर बात का मतलब समझते हैं
जमूरा भूख् से जब पेट पकड़े छ्ट्पटाता है
अजब हैं लोग उसको भी महज करतब समझते हैं
तुम्हारी हर अदा जैसे कि मुझसे बात करती है
तुम्हारी आँख की बोली को मेरे लब समझते है
यकीं मानो न मानो तुमसे ही किस्मत हमारी है
खुदा भी जानता है हम तुम्हें ही रब समझते हैं
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17 टिप्पणियाँ
जमूरा भूख् से जब पेट पकड़े छ्ट्पटाता है
जवाब देंहटाएंअजब हैं लोग उसको भी महज करतब समझते हैं
बहुत अच्छी गज़ल। अच्छे भाव।
अच्छी गजल बधाई
जवाब देंहटाएंkhoob kahaa hai 1
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे दीपक जी, जमे रहिये। हर शेर अच्छा है।
जवाब देंहटाएंजमूरा भूख् से जब पेट पकड़े छ्ट्पटाता है
जवाब देंहटाएंअजब हैं लोग उसको भी महज करतब समझते हैं
aapki baat hi nirali hai
aapki kya tarif ki jaaye
aapka kahan aapka bolne ka andaaj aur aapki soch aapko visisth banati hai
ye sher khas kar bhaut pasand aaya
ismain duniya ki fitrat saaf dikhayi padti hai
यही है दर्द मेरा, लोग मुझको कब समझते हैं
जवाब देंहटाएंमैं शातिर हूँ नहीं इतना कि, जितना सब समझते हैं
जमूरा भूख् से जब पेट पकड़े छ्ट्पटाता है
अजब हैं लोग उसको भी महज करतब समझते हैं
अच्छी गज़ल।
Very nice.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
एक बहुत बढ़िया ग़ज़ल ! एक एक शे'र प्रभावित करता है। बधाई !
जवाब देंहटाएंतुम्हारी हर अदा जैसे कि मुझसे बात करती है
जवाब देंहटाएंतुम्हारी आँख की बोली को मेरे लब समझते है
sundar ghazal.
तुम्हारी हर अदा जैसे कि मुझसे बात करती है
जवाब देंहटाएंतुम्हारी आँख की बोली को मेरे लब समझते है
"इस शेर ने कुछ ख़ास प्रभावित किया सुंदर..."
Regards
यकीं मानो न मानो तुमसे ही किस्मत हमारी है
जवाब देंहटाएंखुदा भी जानता है हम तुम्हें ही रब समझते हैं
--वाह!! वाह! भव्य शेर कहा है जनाब!!
जमूरा भूख् से जब पेट पकड़े छ्ट्पटाता है
जवाब देंहटाएंअजब हैं लोग उसको भी महज करतब समझते हैं
यह शेर बढिया लगा।
बधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक
कब नहीं कम कहें
जवाब देंहटाएंयही है दर्द मेरा कि लोग मुझे कम समझते हैं
हा हा हा हा
क्या बात है. बहुत उम्दा शेर.
जवाब देंहटाएंक्या बात है. बहुत उम्दा शेर.
जवाब देंहटाएंजमूरा भूख् से जब पेट पकड़े छ्ट्पटाता है
जवाब देंहटाएंअजब हैं लोग उसको भी महज करतब समझते हैं
बढिया गज़ल....उम्दा शेर
खूबसूरत ग़ज़ल ।
जवाब देंहटाएंजमूरे के करतब ने दिल छू लिया।
प्रवीण पंडित
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.