

गज़ल के बोल हैं:
ज़िंदगी यूँ भी जली, यूँ भी जली मीलों तक
चाँदनी चार क़दम, धूप चली मीलो तक
प्यार का गाँव अजब गाँव है जिसमें अक्सर
ख़त्म होती ही नहीं दुख की गली मीलों तक
प्यार में कैसी थकन कहके ये घर से निकली
कृष्ण की खोज में वृषभानु-लली मीलों तक
घर से निकला तो चली साथ में बिटिया की हँसी
ख़ुशबुएँ देती रही नन्हीं कली मीलों तक
माँ के आँचल से जो लिपटी तो घुमड़कर बरसी
मेरी पलकों में जो इक पीर पली मीलों तक
मैं हुआ चुप तो कोई और उधर बोल उठा
बात यह है कि तेरी बात चली मीलों तक
हम तुम्हारे हैं 'कुँअर' उसने कहा था इक दिन
मन में घुलती रही मिसरी की डली मीलों तक
तो लीजिये पेश है, यह गज़ल:
चाँदनी चार क़दम, धूप चली मीलो तक
प्यार का गाँव अजब गाँव है जिसमें अक्सर
ख़त्म होती ही नहीं दुख की गली मीलों तक
प्यार में कैसी थकन कहके ये घर से निकली
कृष्ण की खोज में वृषभानु-लली मीलों तक
घर से निकला तो चली साथ में बिटिया की हँसी
ख़ुशबुएँ देती रही नन्हीं कली मीलों तक
माँ के आँचल से जो लिपटी तो घुमड़कर बरसी
मेरी पलकों में जो इक पीर पली मीलों तक
मैं हुआ चुप तो कोई और उधर बोल उठा
बात यह है कि तेरी बात चली मीलों तक
हम तुम्हारे हैं 'कुँअर' उसने कहा था इक दिन
मन में घुलती रही मिसरी की डली मीलों तक
तो लीजिये पेश है, यह गज़ल:
कुँवर बेचैन जी की इस गज़ल का आनंद मैँ प्रत्यक्ष रूप से भी सुनीता(शानू) जी के कवि सम्मेलन में ले चुका हूँ।साहित्य शिल्पी को इसे प्रस्तुत करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
उत्तर देंहटाएंघर से निकला तो चली साथ में बिटिया की हँसी
उत्तर देंहटाएंख़ुशबुएँ देती रही नन्हीं कली मीलों तक
डॉ. कुँवर बेचैन की पसंदीदा ग़ज़लों मेंसे एक है। उनकी आवाज में सुनने का आनंद ही अलग है। साहित्य शिल्पी का धन्यवाद।
ज़िंदगी, प्रेम, रिश्ते और उनसे जुड़ी भावनाओं को बहुत खूबसूरत ढंग से गज़ल में पिरोया गया है.
उत्तर देंहटाएंइस खूबसूरत गज़ल को सुनवाने के लिये डॉ० कुँअर बेचैन और साहित्य शिल्पी, दोनों का आभार!
कुँवर साहब की यह मन को छू जाने वाली ग़ज़ल है।
उत्तर देंहटाएंचाँदनी चार क़दम, धूप चली मीलो तक
जवाब नहीं इसमें प्रयुक्त एक एक पंक्ति का। सुनने का आनंद आ गया।
Very Nice presentation.
उत्तर देंहटाएंAlok Kataria
मैं कुँवर साहब की बडी प्रशंसक हूँ। इनके लेखन और प्रस्तुतिकरण दोनो का जवाब नहीं।
उत्तर देंहटाएंडॉ. साहब की रचना
उत्तर देंहटाएंऔर गायन की सरंचना
का वाकई जवाब नहीं
रूह तक को चैन
आ जाता है
कुंअर बेचैन के
काव्य पाठ को सुनकर
मन एक असीम आनंद
से भर जाता है।
डॉ. कुँअर बैचैन वर्तमान के उन शायरों में हैं को इस काल की शायरी का मापदंड कहे जायेंगे। उन्हे सुनवाने का आभार।
उत्तर देंहटाएंबहुत अच्छी ग़ज़ल है। बधाई।
उत्तर देंहटाएंडॉक्टर की यह गज़ल सामने सुन चुका हूँ मगर हर बार नई लगती है. बहुत आभार इसे उपलब्ध कराने का.
उत्तर देंहटाएंप्यार में कैसी थकन कहके ये घर से निकली
उत्तर देंहटाएंकृष्ण की खोज में वृषभानु-लली मीलों तक
घर से निकला तो चली साथ में बिटिया की हँसी
ख़ुशबुएँ देती रही नन्हीं कली मीलों तक
आज दिन बन गया दॉ. साहब को सुन कर। यह है कविता जो सीधे मन के भीतर उतरे और वहीं रह जाये।
आनंद आ गया। वाह!!!
उत्तर देंहटाएंइस ग़ज़ल को सुनने का अलग ही आनंद है। कुअर बेचैन जी का आभार।
उत्तर देंहटाएंbahut karnpriya gajal
उत्तर देंहटाएंbahut hii umda ghazal..har she'r kabilr taarif hai.
उत्तर देंहटाएंघर से निकला तो चली साथ में बिटिया की हँसी
ख़ुशबुएँ देती रही नन्हीं कली मीलों तक
bahut umda!! ghazal.
कुँवर जी की आवाज़ में कविता का आनन्द दुगुना हो गया। साहित्य शिल्पी को इस प्रस्तुति के लिए बधाई।
उत्तर देंहटाएंACHCHHEE RACHNA PADHNE YAA SUNNE
उत्तर देंहटाएंSE HAR BAAR AANAND DETEE HAI.JANAAB
KUNWAR BECHAIN KEE YE GAZAL KAALJAYEE HAI.
आभार !
उत्तर देंहटाएंएक बात कहना चाहता हूं कि पेड जितना घना होता है उतना ही ज्यादा छाया और सुकुंन देने वाला होता है. साहित्य शिल्पी पर आने वाले डाक्टर साहब जैसे कवियों की रचनाओ को हम साहित्य की डगर पर आने वाले लोगों को बार बार पढना चाहिये और समझना चाहिये कि जो लिखता है वह स्वभाव से भी बहुत विस्तृत होना चाहिये सरल होना चाहिये उम्दा मिसाल पेश करती यह रचना साहित्य शिल्पी पर भाव की पुन: सुंदर बरसात कर गई... बधाई हो... डाक्टर साहब को इस उत्तम रचना के लिये....
उत्तर देंहटाएंkunwar ji ko padhna bahut achha laga
उत्तर देंहटाएंhar sher kamaal har sher apne aap main itna pura ki dil wah wah kar utha
घर से निकला तो चली साथ में बिटिया की हँसी
ख़ुशबुएँ देती रही नन्हीं कली मीलों तक
आ. कुँवर जी को पहली बार सुना.
उत्तर देंहटाएंबेहद सुर मेँ, सही शब्दोँ का चयन !
लिहाजा, असर, देर तक,
जहन मेँ छाये रहा
बहुत सुँदर..
प्रस्तुति के लिये
साहित्य शिल्पी को बधाई व आभार !
-लावण्या
डॉ. कुंअर साहब की ग़ज़ल हमेशा ही आनंद का अनुभव देता है। शब्दों को सुर में बांध कर तो डॉ. साहेब ने दिल पर गहरी छाप छोड़ दी जिसे बार बार सुन कर भी दिल नहीं भरता।
उत्तर देंहटाएंbahut sundar prastuthi .. sahitya shilpi ko badhai
उत्तर देंहटाएंvijay
BUht e shandaar
उत्तर देंहटाएंRaksha Bandhan Wishes for sister