
इस जगत के शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं
है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये हैं
है नमन उस देहरी को जिस पर तुम खेले कन्हैया
घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये हैं
घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये हैं
है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय ....
हमने भेजे हैं सिकन्दर सिर झुकाए मात खाऐ
हमसे भिडते हैं हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है
नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी
सिंह के दांतों से गिनती सीखने वालों के आगे
शीश देने की कला में क्या गजब है क्या नया है
जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी
उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है
है नमन उनको की जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन
काल कऔतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये हैं
है नमन उनको की जिनके सामने बोना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये हैं
लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे
विजय के उदघोष, गीता के कथन तुमको नमन है
राखियों की प्रतीक्षा , सिन्दूरदानों की व्यथाऒं
देशहित प्रतिबद्ध यौवन कै सपन तुमको नमन है
बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे
पिता के व्रत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है
है नमन उनको की जिनको काल पाकर हुआ पावन
शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये हैं
कंचनी तन, चन्दनी मन , आह, आँसू , प्यार ,सपने,
राष्ट्र के हित कर चले सब कुछ हवन तुमको नमन है
है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये
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22 टिप्पणियाँ
कंचनी तन, चन्दनी मन , आह, आँसू , प्यार ,सपने,
जवाब देंहटाएंराष्ट्र के हित कर चले सब कुछ हवन तुमको नमन है
है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये
बहुत खूब। डॉ. साहब की इस मूड की रचना से पहली बार परिचय हुआ। बहुत गंभीर व उच्च कोटि की कविता है।
ऐसे सोद्देश्य और अर्थपूर्ण गीत
जवाब देंहटाएंमंच पर जमते हैं तो
फिर कवि मंच के सुखद
भविष्य को दुख नहीं दे सकता कोई।
Nice Poem.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
देशभक्ति से परिपूर्ण ओजस्वी कविता के लिए कुमार विश्वास जी को धन्यवाद
जवाब देंहटाएंDesh bhakti se aotprot aesi kavita
जवाब देंहटाएंDr Kumar vishwas ki pahli baar padhne ko mili
unka ye roop bahut pasand aaya
डॉ कुमार विश्वास को पढ़ना और सुनना, दोनों ही अद्भुत है.
जवाब देंहटाएंदेशप्रेम से ओतप्रोत कविता को गणतंत्र दिवस के मौके पर पढना काफी अच्छा लगा....आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन कविता.. कुमार भाई, महेंन्द्रगढ़ के कविसम्मेलन में आपसे सुनी भी थी.... बेहतरीन........ दुबई यात्रा के लिये अग्रिम शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंहमने भेजे हैं सिकन्दर सिर झुकाए मात खाऐ
जवाब देंहटाएंहमसे भिडते हैं हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है
नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी
सिंह के दांतों से गिनती सीखने वालों के आगे
शीश देने की कला में क्या गजब है क्या नया है
जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी
उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया
बहुत अच्छा लिखा है।
है नमन उनको की जो यशकाय को अमरत्व देकर
जवाब देंहटाएंइस जगत के शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं
नमन मेरा भी।
बहुत अच्छी कविता।
अच्छी रचना है डॉ. विश्वास। बधाई स्वीकार करें।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कविता लिखी है आपने डॉ. कुमार विश्वासजी इस कविता के लिए तह दिल से धन्यवाद् 👏
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कविता लिखी है आपने डॉ. कुमार विश्वासजी इस कविता के लिए तह दिल से धन्यवाद् 👏
जवाब देंहटाएंVery useful
जवाब देंहटाएंआप अद्वितीय हैं डा० विश्वास, आपकी रचनाओं को, आपको नमन...
जवाब देंहटाएंYe bharat ki aan our ban hii
जवाब देंहटाएं..dr vishwas
.......ye nye bharat ki odhan hii
Ye bharat ki aan our ban hii
जवाब देंहटाएं..dr vishwas
.......ye nye bharat ki odhan hii
Bhart Mata ki jai
जवाब देंहटाएंJai Javan Jai kisan
हृदय से बहुत बहुत बहुत धन्यवाद देशभक्ति कविता के लिए श्रीमान् जी
जवाब देंहटाएं🙏
जवाब देंहटाएंJabardast rachna bhai sahab ko shreshthtam kavitaaon me se ek
जवाब देंहटाएंआपको कोटि कोटि धन्यावाद, आप ऐसे ही अपनी कविता के माध्यम से भारतवासियों के दिलों में वीर शहीदों की याद रुपी ज्योति को जलाये रखें.... 🙏 जय हिंद 🇮🇳
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.