
आगे बढ कर दिखलाओ
गलत राह पर अगर चलोगे
काँटे ही होंगे राहों में
फूल अगर तुमको पाना है
सच्चाई से राह बनाओ
अपनी ही तुम कलम उठाओ
और लिखो अपनी परिभाषा
भटक गये जो राह कभी तुम
नही संभल फिर पाओगे
दाग लगी चूनर को तुम
किस दरिया में धो आओगे
ख्वाब कब्र फिर बन जायेंगे
आँसू बन फिर बह जायेंगे
जीना क्या पोली उम्मीदें
आँखें खोलो भूलो नींदें
अंत हरईक मुश्किल का होगा
संदल बन कर तुम दिखलाओ
सफल हो कर तुम दिखलाओ...
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20 टिप्पणियाँ
रितु जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संदेश दिया है आपने इस कविता में.
जीना क्या पोली उम्मीदें
जवाब देंहटाएंआँखें खोलो भूलो नींदें
अंत हरईक मुश्किल का होगा
संदल बन कर तुम दिखलाओ
सफल हो कर तुम दिखलाओ.
आशावादी पंक्तिया हैं। अच्छी कविता।
Good poem.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
बहुत अच्छी भाव की रचना है...
जवाब देंहटाएंप्रेरणा और अनुभव दोनों को साथ मिला कर अपनी राह बनाने का सुखद और सुंदर अहसास से भरी रचना के लिये रितु जी को बधाई..
बहुत अच्छी कविता है। बधाई।
जवाब देंहटाएंLIKHNA ZAAREE RAKHIYE,AAGE BADHENGEE AAP.
जवाब देंहटाएंप्रेरणा देती आपकी कविता पसन्द आई....
जवाब देंहटाएंवसंत पंचमी के दिन
जवाब देंहटाएंवसंत ऋतु के दिन
सफलता ऋतु की कविता
रितु ने गजब किया है
सफल होकर दिखलाने के लिए
नया जोश भर दिया है।
दाग लगी चूनर को तुम
जवाब देंहटाएंकिस दरिया में धो आओगे
achchha hai...
badhaai..
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी पर्व की हार्दिक शुभकामना
रितु रंजन की कविता “सफल हो कर तु्म दिखलाओ” आत्मा के ओज और उर्जा से अनुस्यूत एक बेहतरीन कविता है जिसकी भाषा से संवेग और लय की दिप्ति प्रस्फुटित होती है जिसकी चमक से पाठक अभिभूत हुये बिना रह नहीं पाता। इस कविता में जीवन को जीने की खनक है, आगे बढ़ अपने मंजिल को पाने की लहक है। कहना होगा कि यह कविता राजीव रंजन की काव्यात्मकता को चुनौती देती हुई उसके आगे की कविता है। अगर कवयित्री का कवि-कर्म जारी रहा, तो मुझे भासित होता है कि सुभद्रा कुमारी चौहान की अग्रिम पीढियां की एक कड़ी बनने की संभावना यहाँ बीज रूप में विद्यमान है जिसे अनुकूल ऋतु चाहिये विकसित होने के लिये,बस! रितु, आप मेरी बधाई लें इस अच्छी कविता के लिये।- सुशील कुमार।
जवाब देंहटाएंIts very good inspirational poem.
जवाब देंहटाएंKeep writing Ritu Bhabhi
-----------Anupama
Ritu ji bhaut hi josh dilati hui kavita
जवाब देंहटाएंअच्छी सुंदर कविता...
जवाब देंहटाएंजीना क्या पोली उम्मीदें
जवाब देंहटाएंआँखें खोलो भूलो नींदें
अंत हरईक मुश्किल का होगा
संदल बन कर तुम दिखलाओ
सफल हो कर तुम दिखलाओ...
अच्छी कविता है रितु जी।
सुंदर संदेश ...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना के लिये
रितु जी !
बधाई..
एक आशावादी भाव लिये सुन्दर कविता के लिये बधाई.
जवाब देंहटाएंRitu bhabhi ji ,
जवाब देंहटाएंnamaskar aur deri se aane ke liye maafi chahunga [ internet problems ]
Aapki kavita bahut hi prabhaavshaali hai .. jeevan ke sandesh se paripoorn hai ..
सफल हो कर तुम दिखलाओ... in pankhiyon ne jaise praan phoonkne ka kaam kiya hai ,ham sabhi ke man men ..
kitna sahi baat kahi hai...aapne , bhatak gaye jo raah kabhi tum , nahi sambhal phir paaonge..
aapko dil se badhai ..
wah ji wah ..
आपकी रचना के माध्यम से आशाएं बलवती हुईं।
जवाब देंहटाएंप्रवीण पंडित
रंग बदलती दुनियाँ में जीवन जीना आसान नही ।
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.