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धरती के फूल [कविता] - श्रीकान्त मिश्र 'कान्त'

धरती के फूल
उग आए हैं इस बार....
राजनीति की आँधी,
और आतंक की बेमौसम
'मुंबई बरसात' से

होती हैं जड़ें बहुत गहरी
सुना है पाताल तक ...
धरती के फूल की
कंक्रीट के जंगल में
पांचसितारा संस्कृति में
परोसे जाने वाले व्यंजन ने
फैला दी है अपनी
खेत खलिहान ...
विलोपित जंगलों से लाई
खालिश देशज उर्जा
..और माटी की गंध सड़कों पर

धरती के फूल ......
यानी कुकुरमुत्ते की जाति...
उगते हैं उसी जगह
जहाँ करते हैं बहुधा 'कुत्ते'
टांग उठाने की राजनीति
गाँव की 'विलुप्त-बिजली के खम्भे' पर
प्रधान जी के 'स्कूलनुमा-बारातघर' में
अथवा 'भीड़तंत्री-गाड़ी' के
'अन्तुलाते' पहिये पर
वोटबैंक की तुच्छ बीमारी से लाचार.. ..
सत्तालोलुपता से दंशित राष्ट्र
पी सकेगा क्या ...?
इसबार ......
राष्ट्रीय स्वाभिमान का
उर्जावान पंचसितारा सूप
मिट्टी से पैदा धरती के फूल का

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20 टिप्पणियाँ

  1. गहरी सोच और चिंता को दर्शाती कविता.
    सामायिक है.और तीखे व्यंग्य का सहारा भी कविता को अर्थपूर्ण बना रहा है.
    वर्तमान राजनीती स्थिति पर एक तमाचा ही है.
    बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  2. धरती के फूल ......
    यानी कुकुरमुत्ते की जाति...
    उगते हैं उसी जगह
    जहाँ करते हैं बहुधा 'कुत्ते'
    टांग उठाने की राजनीति
    गाँव की 'विलुप्त-बिजली के खम्भे' पर
    प्रधान जी के 'स्कूलनुमा-बारातघर' में
    अथवा 'भीड़तंत्री-गाड़ी' के
    'अन्तुलाते' पहिये पर
    वोटबैंक की तुच्छ बीमारी से लाचार.. ..
    सत्तालोलुपता से दंशित राष्ट्र
    पी सकेगा क्या ...?इसबार ......
    राष्ट्रीय स्वाभिमान का
    उर्जावान पंचसितारा सूप
    मिट्टी से पैदा धरती के फूल का

    वाह! प्रभावशाली तरीके से कवि नें बात कही है।

    जवाब देंहटाएं
  3. ACHCHHEE KAVITA HAI.MEREE DAAD
    KABOOL KIJIYE,SHREEKANT JEE.

    जवाब देंहटाएं
  4. धरती के फूल ......
    यानी कुकुरमुत्ते की जाति...
    उगते हैं उसी जगह
    जहाँ करते हैं बहुधा 'कुत्ते'
    टांग उठाने की राजनीति
    गाँव की 'विलुप्त-बिजली के खम्भे' पर
    प्रधान जी के 'स्कूलनुमा-बारातघर' में
    अथवा 'भीड़तंत्री-गाड़ी' के
    'अन्तुलाते' पहिये पर
    वोटबैंक की तुच्छ बीमारी से लाचार.. ..
    सत्तालोलुपता से दंशित राष्ट्र
    पी सकेगा क्या ...?

    इसबार ......
    राष्ट्रीय स्वाभिमान का
    उर्जावान पंचसितारा सूप
    मिट्टी से पैदा धरती के फूल का
    वाह .बहुत सुंदर प्रतीक लिए hain

    जवाब देंहटाएं
  5. अथवा 'भीड़तंत्री-गाड़ी' के
    'अन्तुलाते' पहिये पर
    वोटबैंक की तुच्छ बीमारी से लाचार.. ..
    सत्तालोलुपता से दंशित राष्ट्र
    पी सकेगा क्या ...?इसबार .....

    कथन भी और प्रयोग भी, दोनो दृष्टि से कविता अच्छी है।

    जवाब देंहटाएं
  6. bahut ghari soch aur chinta ko darshati hui kavita
    aaj ke samay ko sajeev karti kaviata
    bahut hi achhe shabdon ka chayan kiya hai

    bahut prabhavshali kavita rahi

    जवाब देंहटाएं
  7. क्या बात कही है श्रीकांत जी! बहुत बढ़िया रचना है बधाई स्वीकार करे

    ज्योति

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बढ़िया आजकल की राजनीती की सही व्याख्या है

    अमिता

    जवाब देंहटाएं
  9. श्रीकांत जी

    इसबार ......
    राष्ट्रीय स्वाभिमान का
    उर्जावान पंचसितारा सूप
    मिट्टी से पैदा धरती के फूल.....

    इन पंन्क्तियो में अच्छा व्यग्य है तथा आजकल की परिस्थति छलकती है

    जवाब देंहटाएं
  10. भावानुकूल शब्द-चयन और सुंदर प्रतीकों के साथ अर्थपूर्ण कविता है। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  11. श्रीकान्त जी

    जहाँ करते हैं बहुधा 'कुत्ते'
    टांग उठाने की राजनीति
    गाँव की 'विलुप्त-बिजली के खम्भे' पर
    प्रधान जी के 'स्कूलनुमा-बारातघर' में
    अथवा 'भीड़तंत्री-गाड़ी' के
    'अन्तुलाते' पहिये पर

    वाह क्या व्यंग्य है ...... फिर भी क्या इस राष्ट्र में किसी के कानो में जू तक रेंगेगी ?
    मेरी ओर से आगे की रचनाओ के लिए शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  12. ..
    जहाँ करते हैं बहुधा 'कुत्ते'
    टांग उठाने की राजनीति
    गाँव की 'विलुप्त-बिजली के खम्भे' पर
    प्रधान जी के 'स्कूलनुमा-बारातघर' में
    अथवा 'भीड़तंत्री-गाड़ी' के
    'अन्तुलाते' पहिये पर

    वाह बहुत सुंदर ..........बधाई !!

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत बढ़िया रचना है श्रीकांत जी ऐसे ही लिखते रहिये !

    जवाब देंहटाएं
  14. श्रीकांत जी
    अर्थपूरण भावभीनी रचना के लिए बधाई

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत अच्छी कविता है
    बधाई स्वीकार करें

    जवाब देंहटाएं
  16. अर्थपूर्ण कविता....

    जवाब देंहटाएं
  17. जहाँ करते हैं बहुधा 'कुत्ते'
    टांग उठाने की राजनीति
    गाँव की 'विलुप्त-बिजली के खम्भे' पर
    प्रधान जी के 'स्कूलनुमा-बारातघर' में
    अथवा 'भीड़तंत्री-गाड़ी' के
    'अन्तुलाते' पहिये पर

    सामयिक व्यंग्य....

    जवाब देंहटाएं
  18. shrikaant ji ,

    bahut sundar aur maujuda haalat ko darshati hui kavita

    aapko badhai

    vijay

    जवाब देंहटाएं

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