
भूल जाने को या याद आने को
मानो जैसे किसी के जादू सा कर दिया हो
चुटकी बजी सुई हिली और बस
छू मंतर ही हो जाते हैं ना
तन्हाई में बैठे बैठे
या भीड़ में ही सही कहीं
लेकिन जब एक दम से खो से जाते हैं
किसी और दुनिया में निकल जाते हैं
कुछ होश नहीं होता किसी का
पलक झपकी या नही.. साँस ली की नही
खा पी रहे हो या नहीं..
मानो खुली आँखों से
सोते हुए खाब देख रहे हैं
फिर क्या होना है..
चाय में डुबोया हुआ बिस्कुट जब
मुँह तक आते आते गोद में गिर जाता है
हड़बड़ा के होश में आते हैं
और लगभग भूल ही जाते हैं कि
कहाँ थे....क्य सोच रहे थे
रह जाती है तो एक मुस्कान या गहरी साँस
कि चलो बैठे बिठाए घूम आए...
है ना...!
*****
15 टिप्पणियाँ
चाय में डुबोया हुआ बिस्कुट जब
जवाब देंहटाएंमुँह तक आते आते गोद में गिर जाता है
हड़बड़ा के होश में आते हैं
और लगभग भूल ही जाते हैं कि
कहाँ थे....क्य सोच रहे थे
रह जाती है तो एक मुस्कान या गहरी साँस
कि चलो बैठे बिठाए घूम आए...
है ना...!
कोमल अहसासों से सजी अच्छी कविता है उपासना जी।
चाय की उपासना
जवाब देंहटाएंबिस्कुट डुबाने में
सावधानी
या कविता की
है राजधानी।
ham bhi aksar kho jate hain jab lecture sunte sunte neend aane lagti hai aur haath se kalam gir jati hai tab hosh aata hai... chai ka naam aapki rachna mein aaya to ham ab chai pine ja rahe hain :)
जवाब देंहटाएंअच्छी भावाभिव्यक्ति के लिये साधुवाद स्वीकारें...
जवाब देंहटाएंचाय में डुबोया हुआ बिस्कुट जब
जवाब देंहटाएंमुँह तक आते आते गोद में गिर जाता है
हड़बड़ा के होश में आते हैं
और लगभग भूल ही जाते हैं कि
कहाँ थे....क्य सोच रहे थे
रह जाती है तो एक मुस्कान या गहरी साँस
कि चलो बैठे बिठाए घूम आएbahut achhi aur dil ko chhu lene wali kavita
Nice Poem.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
bahut badiyaa likha hai chalo ab ham bhi kahin ghoom aate hain namaskaar
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता है
जवाब देंहटाएंअपने साथ भी अक्सर ऐसा हो जाता है ...
जवाब देंहटाएंबस एक लम्हा ही काफ़ी है
जवाब देंहटाएंभूल जाने को या याद आने को.....
बहुत अच्छी भावाभिव्यक्ति है।
हल्की-फुल्की दिल को छूती रचना।अंत आते-आते चेहरे पर हँसी छोड़ जाती है।
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक ’तन्हा’
बहुत खूब। अहसास को सुदर शब्द मिले हैं इस कविता में।
जवाब देंहटाएंचुटकी बजी सुई हिली और बस
जवाब देंहटाएंछू मंतर ही हो जाते हैं ना
सच है। अच्छी कविता।
upasana ji
जवाब देंहटाएंbilkul acchi aur sacchi kavita
badhai
vijay
मन इतना चंचल है की क्षण भर में न जाने कहाँ कहाँ भ्रमण कर आता है.. इसकी गति को जिसने काबू में कर लिए वही सिकंदर. सुंदर भाव भरी कविता के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.