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छूमंतर [कविता] – उपासना अरोरा

बस एक लम्हा ही काफ़ी है
भूल जाने को या याद आने को
मानो जैसे किसी के जादू सा कर दिया हो
चुटकी बजी सुई हिली और बस
छू मंतर ही हो जाते हैं ना
तन्हाई में बैठे बैठे
या भीड़ में ही सही कहीं
लेकिन जब एक दम से खो से जाते हैं
किसी और दुनिया में निकल जाते हैं
कुछ होश नहीं होता किसी का
पलक झपकी या नही.. साँस ली की नही
खा पी रहे हो या नहीं..
मानो खुली आँखों से
सोते हुए खाब देख रहे हैं
फिर क्या होना है..

चाय में डुबोया हुआ बिस्कुट जब
मुँह तक आते आते गोद में गिर जाता है
हड़बड़ा के होश में आते हैं
और लगभग भूल ही जाते हैं कि
कहाँ थे....क्य सोच रहे थे
रह जाती है तो एक मुस्कान या गहरी साँस
कि चलो बैठे बिठाए घूम आए...
है ना...!
*****

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15 टिप्पणियाँ

  1. चाय में डुबोया हुआ बिस्कुट जब
    मुँह तक आते आते गोद में गिर जाता है
    हड़बड़ा के होश में आते हैं
    और लगभग भूल ही जाते हैं कि
    कहाँ थे....क्य सोच रहे थे
    रह जाती है तो एक मुस्कान या गहरी साँस
    कि चलो बैठे बिठाए घूम आए...
    है ना...!

    कोमल अहसासों से सजी अच्छी कविता है उपासना जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. चाय की उपासना
    बिस्‍कुट डुबाने में
    सावधानी
    या कविता की
    है राजधानी।

    जवाब देंहटाएं
  3. ham bhi aksar kho jate hain jab lecture sunte sunte neend aane lagti hai aur haath se kalam gir jati hai tab hosh aata hai... chai ka naam aapki rachna mein aaya to ham ab chai pine ja rahe hain :)

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छी भावाभिव्यक्ति के लिये साधुवाद स्वीकारें...

    जवाब देंहटाएं
  5. चाय में डुबोया हुआ बिस्कुट जब
    मुँह तक आते आते गोद में गिर जाता है
    हड़बड़ा के होश में आते हैं
    और लगभग भूल ही जाते हैं कि
    कहाँ थे....क्य सोच रहे थे
    रह जाती है तो एक मुस्कान या गहरी साँस
    कि चलो बैठे बिठाए घूम आएbahut achhi aur dil ko chhu lene wali kavita

    जवाब देंहटाएं
  6. अपने साथ भी अक्सर ऐसा हो जाता है ...

    जवाब देंहटाएं
  7. बस एक लम्हा ही काफ़ी है
    भूल जाने को या याद आने को.....

    बहुत अच्छी भावाभिव्यक्ति है।

    जवाब देंहटाएं
  8. हल्की-फुल्की दिल को छूती रचना।अंत आते-आते चेहरे पर हँसी छोड़ जाती है।

    बधाई स्वीकारें।

    -विश्व दीपक ’तन्हा’

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत खूब। अहसास को सुदर शब्द मिले हैं इस कविता में।

    जवाब देंहटाएं
  10. चुटकी बजी सुई हिली और बस
    छू मंतर ही हो जाते हैं ना

    सच है। अच्छी कविता।

    जवाब देंहटाएं
  11. मन इतना चंचल है की क्षण भर में न जाने कहाँ कहाँ भ्रमण कर आता है.. इसकी गति को जिसने काबू में कर लिए वही सिकंदर. सुंदर भाव भरी कविता के लिए बधाई

    जवाब देंहटाएं

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