
उन्होने बताया कि हमें गांधीजी के मार्ग पर चलना चाहिए, और खुद जेनेवा जाने वाले मार्ग पर चले गये। स्विटजरलैंड में सुना है, उनके स्विस खाते हैं।
कई हैं, जो हमें महात्मा गांधी मार्ग पर ठेलकर खुद पेरिस के मार्ग पर चल निकलते हैं। मेरे शहर में महात्मा गांधी मार्ग का अंत बार पर होता है। बार में अपनी दिलचस्पी नहीं है। महात्मा गांधी मार्ग पर वह चलें, जिनकी बार में दिलचस्पी हो।
वैसे महात्मा गांधी मार्ग पर चलाने वाले एक मेरे शहर में विधायक हो गये और दारु के पांच ठेके उन्ही के हैं। बोले तो महात्मा गांधी मार्ग पर चलकर सिर्फ बार ही नहीं मिलता, दारु के ठेके भी मिल जाते हैं, अगर बंदा कायदे से मन लगाकर महात्मा गांधी मार्ग पर चले तो। एक हैं जो हमें तो बताते हैं कि हमें महात्मा गांधी के मार्ग पर चलना चाहिए, पर खुद रतन लाल मटका किंग के मार्ग पर चले जाते हैं। शहर में पांच जगह जुआ खेलने के अड्डे उन्ही के हैं।
मैंने उनसे पूछा कि आप तो खुद अलग रास्ते पर चलते हैं, और हमें अलग रास्ते पर भेज जाते हैं। तो उन्होने हंसकर बताया कि सब एक ही राह पर चलेंगे, तो ट्रेफिक हो जायेगा।
महात्मा गांधी मार्ग पर इसलिए बहुत ट्रेफिक हो गया है, यह बात अब समझ में आ गयी है। बोले तो अकलमंदी इसी में है कि बंदा खुद तो किसी और इंटरेस्टिंग से मार्ग चल चल निकले, और बाकियों से आह्वान कर दे कि चले रहो, भईया महात्मा गांधी मार्ग पर।
खैर, जानकारों के मुताबिक कतिपय रोचक मार्ग इस प्रकार हैं-
1- क्लिंटन मार्ग-इस मार्ग पर चलकर कई जातक कई सुंदरियों का प्यार हासिल कर सकता है। यह अलग बात है कि इसका अंत पिटाई आदि पर होता है। पर एक मार्ग पर चलने की प्रतिबद्धता बंदा दिखा ले, तो फिर पिटाई कुटाई से क्या डरना। पिटाई तो हर महत्वपूर्ण मार्ग में है। बंदा ग्रेटर नोएडा मार्ग पर निकल जाये, तो डाकू ठुकाई पिटाई करके सब कुछ लूट लेते हैं। क्लिंटन मार्ग जैसे महत्वपूर्ण मार्ग पर चलने की इच्छा रखने वाले जातक को पिटाई से ना घबराना चाहिए।
2- बुश मार्ग, जिसमें बंदा दूसरे देशों के पेट्रोल पर कब्जा कर लेता है। पहले मैं एक लोकल विधायकजी के रास्ते पर चलने का सपना देखता था। इस रास्ते पर चलकर दो पेट्रोल पंप हासिल किये जा सकते थे, उन्होने किये थे। बुश मार्ग पर चलकर पेट्रोल पंप नहीं, किसी देश के पेट्रोल पर ही कब्जा किया जा सकता है।
3- रामविलास पासवान मार्ग-इस मार्ग पर चलकर बंदा हर सरकार में मंत्री बन जाता है।
*****
13 टिप्पणियाँ
गहरा व्यंग्य है। बापू के मार्ग पर अब चलने वाले कहाँ हैं? बस उनके नाम पर मार्ग बर रह गये हैं।
जवाब देंहटाएंगाँधी मार्ग आज स्विस मार्ग की ओर जाने का शॉर्टकट है। करारा व्यंग्य है।
जवाब देंहटाएंठीक कह रहे है ब्लोगों में भी कितने गांधीवादी आ गये है आज.
जवाब देंहटाएंगाँधी जी को भुला ही दिया गया है। नेता, अफसर और आम जन भी गाँधी से अब जुडते नहीं हैं। गाँधी का रास्ता अब सडक का नाम भर है। व्यंग्य तीखा है और चुभता है। आत्मावलोकन कराता है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया व्यंग्य है।
जवाब देंहटाएंन केवल अच्छा कटाक्ष है बल्कि सच को उजागर भी करता है।
जवाब देंहटाएंGood satire. Bapu ko naman.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
गहरी अंतर्दृष्टि है।
जवाब देंहटाएंकरारा व्यंग्य.....
जवाब देंहटाएंनमन ...पूज्य महात्मा को.....
"
लोगों की मानसिकता को दर्शाते तीखे कटाक्ष.....
जवाब देंहटाएंआपने बाकी जितने मार्ग बताये हैं वे सारे एक्स्प्रेस हाईवे हो गये हैं। गाधी मार्ग पर 1948 के बाद मेंटेनेंस नहीं हुआ है। लोग चलें तो चलें कैसे?
जवाब देंहटाएंअच्छा व्यंग्य है।
जवाब देंहटाएंजी आजकल चलन है बाहर बोर्ड कुछ और होता है और अन्दर सामान कुछ और..इस रंग बदलती दुनिया में इन्सान की नीयत ठीक नहीं....
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.