हिंदी नाटक का क्षेत्र कुछ कर गुजरने का जजबा मांगता है, तभी इस क्षेत्र में आकर कोई व्यक्ति अपना विकास एक रंग कर्मी की तरह कर सकता है। उसे कई मुकाम पर अपने आप में ही एक क्रांति करनी होती है, अपने परिवेश को समझना और समझाना होता है।
वास्तव में देश मे रंग कर्म की हालत बहुत गंभीर है। बाजार का प्रभाव इस विधा पर भी काफी हद तक देखा जा सकता है ऐसे में रंग कर्म को बुनियादी रूप से अपनाने वाले लोग और इसके लिये अपना सब कुछ दांव पर लगाने वाले लोग उंगलियों पर गिने जा सकते है। मनीष जोशी "बिस्मिल" बहुत जीवट वाले रंग कर्मी हैं. अभी हाल ही में पाकिस्तान के लाहौर मे आयोजित अंतर्राष्ट्रीय स्तर के नाट्य उत्सव में अपनी जबर्दस्त एकल प्रस्तुति देकर लौटे तो उनसे मेरी बात चीत हुई... उन्होंने पाकिस्तान मे जो प्रस्तुति की उसका नाम था " कहानी रंग कर्मी की" कहानी का सारंश है कि के रंग कर्मी जो अपने स्व के विवेक से नाट्य क्षेत्र में उतरता है पर एक समाज उसे स्वीकृति नहीं देता यहां तक की उसका अपना परिवार भी उसकी इस जीवन शैली से परेशान है... वहे एक झंझावात से गुजरता है और टूट जाता है... उसके साथ है उसका एक दोस्त पपेट के रूप में वह उसे समय समय पर सांतवाना देता है. उसे मार्ग की कठिनाईयों से लडने की प्रेरणा देता है..

एक वक्त तो ऐसा आता है कि जब वहा रंगकर्मी परेशानियों से टूट कर आत्महत्या का रास्ता चुन लेता है ऐसे मे पपेट उसे दृष्टांत देता है . कि जा मर जा पर कभी भी कलाकार नहीं मरता... मरती कला ही है... और अंत में वह रंग कर्मी अपनी क्षीणता से लडकर एक दिन नामी कलाकार बनता है...

इस एकल प्रस्तुति ने पाकिस्तान मे काफी वाह वाही लूटी. मनीष जी बताते है कि इस नाट्य उत्सव मे वैसे तो पूरी दुनिया से नाट्य ग्रुप आये थे पर भारत से कुल सात प्रस्तुतियां वहां गई थी. जिसमे से मीता वशिष्ठ, आशीष विद्यार्थी और मनीष जोशी 'बिस्मिल' के प्रस्तुतियां एकल प्रस्तुतियों के रूप में थीं.

मनीष जोशी पिछले १० वर्षों से नाटय क्षेत्र में है. मूल रूप से हिसार में जन्मा यह रंग कर्मी अपनी बालावस्था सी ही नाटक क्षेत्र मे सक्रिय हो गया था और हिसार में एक नाटक ग्रुप बना कर नाटक की सेवा कर रहा था. मंडी स्थित नाट्य विद्यायलय से औपचारिक रूप से नाटक क्षेत्र की शिक्षा प्राप्त करने के बाद आपने दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों मे नाटय प्रस्तुतियां दीं..

दिल्ली मे कई सारी नाट्य प्रशिक्षण शिविरों का सफल आयोजन किया. अखिल भारतीय स्तर के नाट्य प्रतियोगिताओं मे हिस्सा लिया जिसमे आपके द्वारा निर्देशित नाटक मैं फिर जन्म लूंगा.. दूसरे स्थान पर रहा.. आपको जोहरा सहगल, सुषमा सेठ व टाम अल्टर जैसे विख्यात कलाकारों के साथ कार्य करने का अवसर प्राप्त है... आप अति सुंदर अंदाज में नाटक का निर्देशन कर चुके है... दिल्ली मे "अंधा युग" की नये ढंग से की गई प्रस्तुति काफी चर्चा में रही थी...

अब पाकिस्तान मे भारत का प्रतिनिधित्व करने के गौरवशाली मौके पर साहित्य शिल्पी आपको बधाई देता है और आपके सुखद भविषय की कामना करता है...
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10 टिप्पणियाँ
मनीष जोषी को बधाई। फोटोग्राफ बहुत अच्छे हैं, पपेट का मेक-अप भी।
जवाब देंहटाएंबिस्मिल जी बधाई। साहित्य शिल्पी अगर इस नाटक का वेडियो उपलब्ध करा सके जैसा सत्यजीत भट्टाचार्य जी के नाटक का किया गया था तो हम प्रत्यक्ष लुत्द उठा सकेंगे।
जवाब देंहटाएंCongrats Manish Joshi je
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
बिस्मिल को बधाई।
जवाब देंहटाएंमनीष जोषी बिस्मिल को प्रस्तुति की बधाई।
जवाब देंहटाएंमनीष जोषी को इस नाट्य प्रस्तुति की बधाई।
जवाब देंहटाएंबधाई।
जवाब देंहटाएंमनीष जोषी
जवाब देंहटाएंको....
प्रस्तुति की बधाई।
bahut hi achha lekh aur presentation
जवाब देंहटाएंYogesh bhai jab bhi likhte hain jaan daal dete hain
dada ke direction me maine kam kiya hai we bade acche director bhi hai
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.