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ख्वाब देखा था जो मैने वो मुकम्मल होगा [ग़ज़ल] - धीरज आमेटा 'धीर'

ख्वाब देखा था जो मैने वो मुकम्मल होगा,
मुझ को उम्मीद है आबाद मेरा कल होगा!

धीरे धीरे ही सही नूर की आमद होगी,
दिल की आंखोँ से धुआं एक दिन ओझल होगा!

आ! इबादत में मुहब्बत को भी शामिल कर लें,
हम से मिलने को खुद अल्लाह भी बेकल होगा!

रन्ज की आग में जलता है तो जलने दो बदन,
कल मसर्रत से भिगोता हुआ बादल होगा!

इस से पहले कि ख़िज़ा खाक में दफ़्ना दे उसे,
गुल को, माला में पिरो लें तो मुकम्मल होगा!

नींद लौटा दे ये मखमल का बिछौना ले ले,
आँख लग जाएगी तो संग भी मखमल होगा!

दिल के बहलाने को इक़रार ए मुहब्बत कर ले,
दिल तो नाज़ुक है खरी बात से घायल होगा!

चैन की नींद जो आये तो गुमाँ होता है :धीर:,
हो न हो सर पे तेरे ख्वाब का आँचल होगा!


कवि परिचय:-



धीरज आमेटा का तखल्लुस 'धीर' है। 

आप राजस्थान के उदयपुर शहर के रहने वाले हैं। वर्तमान में आप गुड़गाँव (हरियाणा) में एक हार्डवेयर कम्पनी में इन्जिनियर हैं। 

आप अंतर्जाल पर सक्रिय हैं तथा ई-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।

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18 टिप्पणियाँ

  1. आपका उर्दू की नज़ाकत पर भी अच्छा दख़ल है। गुणी जन की फार्म कर अपने विचार रख सकेंगे। मुकम्मल शब्द की एक गज़ल में दो बार आवृत्ति से यदि बचा जाता तो अच्छा था। उम्दा गज़ल।

    जवाब देंहटाएं
  2. इस से पहले कि ख़िज़ा खाक में दफ़्ना दे उसे,
    गुल को, माला में पिरो लें तो मुकम्मल होगा!

    Nice.

    Alok Kataria

    जवाब देंहटाएं
  3. लिखते रहें धीरज जी। यह अच्छा रहता कि कुछ उर्दू शब्दों का अर्थ भी साथ में दिया जाता।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह ! वाह ! वाह !
    लाजवाब.........इतनी सी उम्र में इतनी परिपक्व ग़ज़ल लिखी है आपने कि आपके लिए माँ वीणापाणी से यही दुआ है ,वो आपके जोर कलम को और बुलंद करें.....
    आशा से भरी सुंदर शब्द शिल्प युक्त अतिसुन्दर रचना...

    जवाब देंहटाएं
  5. धीरे धीरे ही सही नूर की आमद होगी,
    दिल की आंखोँ से धुआं एक दिन ओझल होगा!

    इस से पहले कि ख़िज़ा खाक में दफ़्ना दे उसे,
    गुल को, माला में पिरो लें तो मुकम्मल होगा!

    नींद लौटा दे ये मखमल का बिछौना ले ले,
    आँख लग जाएगी तो संग भी मखमल होगा

    आप अपार संभावनाओं से भरे शायर हैं। बहुत अच्छी और परिपक्व ग़ज़ल है।

    जवाब देंहटाएं
  6. इस से पहले कि ख़िज़ा खाक में दफ़्ना दे उसे,
    गुल को, माला में पिरो लें तो मुकम्मल होगा!
    wah! wah!
    inke baare me kya kaheN masha allah bahut ache shayar hain.

    जवाब देंहटाएं
  7. दिल के बहलाने को इक़रार ए मुहब्बत कर ले,
    दिल तो नाज़ुक है खरी बात से घायल होगा!
    "
    "बात सच मे खरी है.....खुबसुरत ग़ज़ल"

    Regards

    जवाब देंहटाएं
  8. नींद लौटा दे ये मखमल का बिछौना ले ले,
    आँख लग जाएगी तो संग भी मखमल होगा!

    बहुत खूब।

    जवाब देंहटाएं
  9. इस से पहले कि ख़िज़ा खाक में दफ़्ना दे उसे,
    गुल को, माला में पिरो लें तो मुकम्मल होगा!



    नींद लौटा दे ये मखमल का बिछौना ले ले,
    आँख लग जाएगी तो संग भी मखमल होगा

    सुंदर ग़ज़ल....

    जवाब देंहटाएं
  10. भाई कमाल है .... "धीर" जी को सलाम.. बहुत उम्दा शेर. बहुत अच्छी ग़ज़ल.

    जवाब देंहटाएं
  11. पहले तो धीरज जी को इतनी उम्दा गज़ल लिखने के लिए बधाई और बाद में निवेदन कि वो उर्दू के कठिन कठिन शब्दों के अर्थ भी साथ में दें तो ज़्यादा बेहतर होगा।

    जवाब देंहटाएं
  12. ख़ूबसूरत कलाम है। अंदाज़े-बयां और अल्फ़ाज़ का चुनाव भी ख़ूबसूरत है।
    सारे ही अशा'र दिलकश हैं। दाद क़ुबूल करें।

    जवाब देंहटाएं
  13. तमाम मित्रों और महानुभावों को धीर का नमस्कार!
    मेरी दो कौड़ी की काविश पर आपने अपने स्नेह की बौछार कर के जो बड़प्पन दिखाया है उस्के लिये मैं आप सभी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हुँ! साथ ही "साहित्य-शिल्पी" को भी धन्यवाद देता हुँ , जिन्होने मुझे इस मंच पे आमन्त्रित किया!
    अगली बार काविश के साथ उर्दु के मुश्किल अल्फ़ाज़ के अर्थ भी लिख दुंगा!
    आभार!
    धीर

    जवाब देंहटाएं
  14. धीर जी ! बहुत अच्छे अशा'र,बहुत उम्दा ग़ज़ल ।
    भई वाह !

    प्रवीण पंडित

    जवाब देंहटाएं
  15. dheeraj bhai ,

    daad kabul karen...

    दिल के बहलाने को इक़रार ए मुहब्बत कर ले,
    दिल तो नाज़ुक है खरी बात से घायल होगा!

    oyeeeeeeeeeeee. kya baat hai ji

    wah ji wah

    badhai

    जवाब देंहटाएं

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