प्रेयसी
कृष्ण कुमार यादव का जन्म 10 अगस्त 1977 को तहबरपुर, आजमगढ़ (उ0 प्र0) में हुआ। आपनें इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नात्कोत्तर किया है।
आपकी रचनायें देश की अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं साथ ही अनेकों काव्य संकलनों में आपकी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है। आपकी प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ हैं: अभिलाषा (काव्य संग्रह-2005), अभिव्यक्तियों के बहाने (निबन्ध संग्रह-2006), इण्डिया पोस्ट-150 ग्लोरियस इयर्स (अंग्रेजी-2006), अनुभूतियाँ और विमर्श (निबन्ध संग्रह-2007), क्रान्ति यज्ञ :1857-1947 की गाथा (2007)।
आपको अनेकों सम्मान प्राप्त हैं जिनमें सोहनलाल द्विवेदी सम्मान, कविवर मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, महाकवि शेक्सपियर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान, काव्य गौरव, राष्ट्रभाषा आचार्य, साहित्य-मनीषी सम्मान, साहित्यगौरव, काव्य मर्मज्ञ, अभिव्यक्ति सम्मान, साहित्य सेवा सम्मान, साहित्य श्री, साहित्य विद्यावाचस्पति, देवभूमि साहित्य रत्न, सृजनदीप सम्मान, ब्रज गौरव, सरस्वती पुत्र और भारती-रत्न से आप अलंकृत हैं।
वर्तमान में आप भारतीय डाक सेवा में वरिष्ठ डाक अधीक्षक के पद पर कानपुर में कार्यरत हैं।
छोड़ देता हूँ निढाल
अपने को उसकी बाँहों में
बालों में अंगुलियाँ फिराते-फिराते
हर लिया है हर कष्ट को उसने।
एक शिशु की तरह
सिमटा जा रहा हूँ
उसकी जकड़न में
कुछ देर बाद
खत्म हो जाता है
द्वैत का भाव।
गहरी साँसों के बीच
उठती-गिरती धड़कनें
खामोश हो जाती हैं
और मिलने लगती हैं आत्मायें
मानो जन्म-जन्म की प्यासी हों।
ऐसे ही किसी पल में
साकार होता है
एक नव-जीवन का स्वप्न।
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प्रेम
प्रेम एक भावना है
समर्पण है, त्याग है
प्रेम एक संयोग है
तो वियोग भी है
किसने जाना प्रेम का मर्म
दूषित कर दिया लोगों ने
प्रेम की पवित्र भावना को
कभी उसे वासना से जोड़ा
तो कभी सिर्फ उसे पाने से
भूल गये वे कि प्यार सिर्फ
पाना ही
नहीं, खोना भी है
कृष्ण तो भगवान थे
पर वे भी
न पा सके राधा को
फिर भी हम पूजते हैं उन्हें
पतंगा बार-बार जलता है
दिये के पास जाकर
फिर भी वो जाता है
क्योंकि प्यार
मर-मिटना भी सिखाता है।
25 टिप्पणियाँ
प्यार भरे सुन्दर दिवस ''वैलेंटाइन डे'' की शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंकृष्ण जी ! आपकी प्रेयसी कविता पढ़कर सुखद लगा. जिस शालीनता के साथ अपने शब्दों का खूबसूरती से इस्तेमाल किया है , उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. मैंने बहुत सी कवितायेँ पढ़ी हैं, पर आपकी कविता में जो कशिश है वह एक अजीब से अहसास से भर देतीं है.प्रेम पर तो आपकी अभिव्यक्तियाँ काबिलेतारीफ हैं....आप यूँ ही लिखतें रहें, ढेर सारी बधाइयाँ !!
जवाब देंहटाएंनाम ही कृष्ण है तो प्रेम पर बेहतर ही लिखेंगे, बधाई
जवाब देंहटाएंबालक, बूढ़ा या जवान हो, स्वप्न सभी को आते हैं।
जवाब देंहटाएंनारी का स्पर्श सुखद है, अनुभव यह बतलाते हैं।।
प्रेम विषयक बहुत अच्छी कवितायेँ हैं।
जवाब देंहटाएंवाह!! बहुत अच्छी कविताये हैं।
जवाब देंहटाएंकृष्ण तो भगवान थे
पर वे भी
न पा सके राधा को
फिर भी हम पूजते हैं उन्हें
पतंगा बार-बार जलता है
दिये के पास जाकर
फिर भी वो जाता है
क्योंकि प्यार
मर-मिटना भी सिखाता है।
कविताएं अच्छी है. बधाई
जवाब देंहटाएंप्रकृति ने हमें केवल प्रेम के लिए यहाँ भेजा है.इसे किसी दायरे में नहीं बाधा जा सकता है.बस इसे सही तरीके से परिभाषित करने की आवश्यकता है.के.के. जी की दोनों कविताओं से यही सुन्दर भाव टपकते हैं.
जवाब देंहटाएं***वेलेनटाइन डे की आप सभी को बहुत-बहुत बधाइयाँ***
प्रेम एक सुखद अनुभूति है. वासना से परे यह पवित्रतता का एहसास है.प्रेम पर बहुत उम्दा भाव हैं कृष्ण कुमार जी के..बधाई.
जवाब देंहटाएंपतंगा बार-बार जलता है
जवाब देंहटाएंदिये के पास जाकर
फिर भी वो जाता है
क्योंकि प्यार
मर-मिटना भी सिखाता है !!
....बहुत ऊँची बात है इन पंक्तियों में.
वसंत ऋतु में पधारे मदनोत्सव पर्व का स्वागत करें. ''वैलेंटाइन डे'' की सुखद शुभकामनायें !!सुखद इसलिए कि कोई 'सेना' आपके प्यार में खलल न डाल दे !!
जवाब देंहटाएं''वैलेंटाइन डे'' पर प्रेम एवं प्रेयसी को इतने सुन्दर शब्दों में ढालने के लिए के.के. जी को साधुवाद.
जवाब देंहटाएंकृष्ण तो भगवान थे
जवाब देंहटाएंपर वे भी
न पा सके राधा को
फिर भी हम पूजते हैं उन्हें
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यह सही है कि भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी थीं, और राधा जी उनका प्यार थीं..... पर इसका मतलब यह नहीं कि वे राधा को न पा सके. कृष्ण-राधा के प्यार को लौकिक नहीं आध्यात्मिक रूप में देखने की जरुरत है, जहाँ पर आत्मा एकाकार हो जाती है...वाकई आपने बहुत बढ़िया लिखा है,बधाई !!!
प्यार के इस मदनोत्सव पर याद आता है हसरत मोहानी का शेर-
जवाब देंहटाएंलिक्खा था अपने हाथों से जो तुमने एक बार।
अब तक हमारे पास है वो यादगार खत ।।
गहरी साँसों के बीच
जवाब देंहटाएंउठती-गिरती धड़कनें
खामोश हो जाती हैं
और मिलने लगती हैं आत्मायें
मानो जन्म-जन्म की प्यासी हों।
....प्रेम का खामोश चित्रण..दिल को सुकून देता है.
प्रेम तथा प्रेयसी कविता पर कुछ कमेन्ट करने की बजाय यही कहूँगा कि यह एहसास करने वाली भावना है. जिस रूप में अपने इसे शब्दों में पिरोया है, वह सिर्फ महसूस की जा सकती है.
जवाब देंहटाएंसाहित्य-शिल्पी परिवार को ''वैलेंटाइन डे'' की शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंवेलेनटाइन डे पर लाजवाब और भावपूर्ण प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएं.....मदनोत्सव की इस सुखद बेला पर समस्त साहित्य-शिल्पियों को ढेरों बधाइयाँ !! आप नित प्रेम के रस में डूबते रहें और जीवन का भरपूर आनंद उठायें !!
जवाब देंहटाएंआज के दिन के अनुरूप बढिया.... प्रेम भरी कविताएँ
जवाब देंहटाएंप्रेम विषयक दोनों रचनायें वढिया हैं और समयानुकूल भी.
जवाब देंहटाएंपतंगे की दीपक पर जलने की बात का एक अन्य अर्थ ही है..
वह यह है कि पंतगा अंधकार से प्यार करता है और जब दीपक जलता है तो वह उसे बुझाने आ जाता है.. और बस उसी कोशिश में खुद को मिटा बैठता है... मिटता फ़िर भी प्यार की खातिर ही है... चाहे अंधेरे से हो या कि रोशनी से :)
जहाँ ना पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि...कृष्ण कुमार जी की कविता पर आकांक्षा जी एवं मोहिंदर कुमार की प्रतिक्रियाएं यही दर्शाती हैं. एक ही कविता के कितने भावार्थ हो सकते हैं, इसे समझा जा सकता है. ऐसी प्रतिक्रियाएं ही रचनाओं को संबल देती हैं.
जवाब देंहटाएं@ युवा
जवाब देंहटाएंक्या बात कही है आपने. किसी भी रचना का दिल तभी धड़कता है, जब उस पर कुछ धांसू प्रतिक्रियाएं मिलती हैं.वह चाहे किसी पत्रिका में प्रकाशित रचना हो या अंतर्जाल पर.स्वस्थ रूप में की गयी आलोचना रचनाकार को अंतत: संबल ही देती है. वाकई एक ही कविता के ना जाने कितने अर्थ हो सकते हैं, पर परखी नज़रें ही उन्हें परख पाती हैं.
..पर कभी-कभी जब शब्दों से काम नहीं चलता तो मौन रहना ही बेहतर है.
जवाब देंहटाएंshringar ras ki garima barkarar rakhi apne bahut achha laga apko padkar
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.