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उजाले सिया करते हैं [कविता] - अमन दलाल



साहित्य शिल्पीरचनाकार परिचय:-


मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में जन्मे अमन दलाल एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा में बी.टेक. के विद्यार्थी हैं। लेखन में बहुत अर्से से रूचि है। विद्यालयीन स्तर पर लेखन, वाद-विवाद आदि के लिये कै बार पुरुस्कृत भी हुये हैं। अंतरजाल पर भी सक्रिय हैं।
फिर शमां रोशन हो,उजाले सिया करते हैं,
मजबूर कुछ ऐसे हैं,खुद से बातें किया करते हैं,
सांसो तक की चुभन हैं,जिन्दगी ऐसे पहर में हैं.
'मधुशाला छोड़ अब,मदीने में रोया करते हैं ' .

अहमियत-ऐ-ज़ज्बात हैं,फिर ख्वाब नए बोया करते हैं
सवाल गुमशुदा हैं,उन जवाबो में खोया करते हैं
दौरे-ऐ-ज़दीद की शर्त हैं,फिर मुन्नवर सफ़र में हैं
' मधुशाला छोड़ अब,मदीने में रोया करते हैं '

अनाम,गीत अधूरे हैं,लफ्ज़ फकत संजोया करते हैं
बनाम दर्द,प्यासी कलम हैं,अश्को में भिगोया करते हैं
राउनियत तेरे प्यार की हैं,बंदगी मेरी खबर में हैं
'मधुशाला छोड़ अब,मदीने में रोया करते हैं '

दरमियानी राहें सुनी हैं,इंतजार में जिया करते हैं
ज़ख्म खोने का डर हैं,सांसे अब कम लिया करते हैं
क़द्र ये मुलाजिम हैं,इंतजार तो हर सहर में हैं
'मधुशाला छोड़ अब, मदीने में रोया करते हैं '

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17 टिप्पणियाँ

  1. फिर शमां रोशन हो,उजाले सिया करते हैं,
    मजबूर कुछ ऐसे हैं,खुद से बातें किया करते हैं,
    सांसो तक की चुभन हैं,जिन्दगी ऐसे पहर में हैं.
    'मधुशाला छोड़ अब,मदीने में रोया करते हैं '

    अच्छी है लेकिन उर्दू की अधिकता इसे कटिन बना रही है।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर रचना है।बधाई स्वीकारें।

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्छी कविता है बस सही शब्द चयन नहीं है।

    जवाब देंहटाएं
  4. दरमियानी राहें सुनी हैं,इंतजार में जिया करते हैं
    ज़ख्म खोने का डर हैं,सांसे अब कम लिया करते हैं
    क़द्र ये मुलाजिम हैं,इंतजार तो हर सहर में हैं
    'मधुशाला छोड़ अब, मदीने में रोया करते हैं '

    बहुत अच्छे।

    जवाब देंहटाएं
  5. अमन आप में अपार संभावनायें हैं। लिखते रहिये।

    जवाब देंहटाएं
  6. अच्छी रचना है...लिखते रहिये...

    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  7. कभी-कभी अच्छे भाव भी सही शब्द-चयन के अभाव में दम तोड़ देते हैं। ये रचना भी इसी का उदाहरण है। रही सही कसर लय के व्यतिक्रम ने पूरी कर दी है। परंतु हाँ, इस कविता से यह पता तो लग ही जाता है कि रचनाकार में बेहतर लिख पाने की क्षमता है; बस शब्दों को साधने की ज़रूरत है।
    लिखते रहिये और साथ-साथ अच्छा पढ़ने की आदत भी डालिये। ये आपकी शायरी को उरूज़ पर पहुँचाने के लिये बहुत अहम ज़रूरत होती है।

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  8. भावप्रद सुन्दर रचना के लिये बधाई.. लिखते रहिये

    जवाब देंहटाएं
  9. bahut hi achhi kavita hai Aman
    bahut achha laga aapko yaha padhna aage bhi aapki achhi kavitaye padhne milti rahengi umeed hai

    जवाब देंहटाएं
  10. 'मधुशाला छोड़ अब, मदीने में रोया करते हैं '
    bahut achchhi rachana hae

    जवाब देंहटाएं

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