
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में जन्मे अमन दलाल एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा में बी.टेक. के विद्यार्थी हैं। लेखन में बहुत अर्से से रूचि है। विद्यालयीन स्तर पर लेखन, वाद-विवाद आदि के लिये कै बार पुरुस्कृत भी हुये हैं। अंतरजाल पर भी सक्रिय हैं।
मजबूर कुछ ऐसे हैं,खुद से बातें किया करते हैं,
सांसो तक की चुभन हैं,जिन्दगी ऐसे पहर में हैं.
'मधुशाला छोड़ अब,मदीने में रोया करते हैं ' .
अहमियत-ऐ-ज़ज्बात हैं,फिर ख्वाब नए बोया करते हैं
सवाल गुमशुदा हैं,उन जवाबो में खोया करते हैं
दौरे-ऐ-ज़दीद की शर्त हैं,फिर मुन्नवर सफ़र में हैं
' मधुशाला छोड़ अब,मदीने में रोया करते हैं '
अनाम,गीत अधूरे हैं,लफ्ज़ फकत संजोया करते हैं
बनाम दर्द,प्यासी कलम हैं,अश्को में भिगोया करते हैं
राउनियत तेरे प्यार की हैं,बंदगी मेरी खबर में हैं
'मधुशाला छोड़ अब,मदीने में रोया करते हैं '
दरमियानी राहें सुनी हैं,इंतजार में जिया करते हैं
ज़ख्म खोने का डर हैं,सांसे अब कम लिया करते हैं
क़द्र ये मुलाजिम हैं,इंतजार तो हर सहर में हैं
'मधुशाला छोड़ अब, मदीने में रोया करते हैं '
17 टिप्पणियाँ
फिर शमां रोशन हो,उजाले सिया करते हैं,
जवाब देंहटाएंमजबूर कुछ ऐसे हैं,खुद से बातें किया करते हैं,
सांसो तक की चुभन हैं,जिन्दगी ऐसे पहर में हैं.
'मधुशाला छोड़ अब,मदीने में रोया करते हैं '
अच्छी है लेकिन उर्दू की अधिकता इसे कटिन बना रही है।
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंGood Poem
जवाब देंहटाएंALok Kataria
अच्छी कविता है बस सही शब्द चयन नहीं है।
जवाब देंहटाएंbehad khubsurat bhav badhai
जवाब देंहटाएंदरमियानी राहें सुनी हैं,इंतजार में जिया करते हैं
जवाब देंहटाएंज़ख्म खोने का डर हैं,सांसे अब कम लिया करते हैं
क़द्र ये मुलाजिम हैं,इंतजार तो हर सहर में हैं
'मधुशाला छोड़ अब, मदीने में रोया करते हैं '
बहुत अच्छे।
बहुत अच्छी कविता। बधाई।
जवाब देंहटाएंअमन आप में अपार संभावनायें हैं। लिखते रहिये।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना है...लिखते रहिये...
जवाब देंहटाएंनीरज
कोमल निर्मल सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता...बधाई.
जवाब देंहटाएंकभी-कभी अच्छे भाव भी सही शब्द-चयन के अभाव में दम तोड़ देते हैं। ये रचना भी इसी का उदाहरण है। रही सही कसर लय के व्यतिक्रम ने पूरी कर दी है। परंतु हाँ, इस कविता से यह पता तो लग ही जाता है कि रचनाकार में बेहतर लिख पाने की क्षमता है; बस शब्दों को साधने की ज़रूरत है।
जवाब देंहटाएंलिखते रहिये और साथ-साथ अच्छा पढ़ने की आदत भी डालिये। ये आपकी शायरी को उरूज़ पर पहुँचाने के लिये बहुत अहम ज़रूरत होती है।
ise kavita nahi gazhal kehana chahiye
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंबधाई ...
भावप्रद सुन्दर रचना के लिये बधाई.. लिखते रहिये
जवाब देंहटाएंbahut hi achhi kavita hai Aman
जवाब देंहटाएंbahut achha laga aapko yaha padhna aage bhi aapki achhi kavitaye padhne milti rahengi umeed hai
'मधुशाला छोड़ अब, मदीने में रोया करते हैं '
जवाब देंहटाएंbahut achchhi rachana hae
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