
अभिषेक तिवारी "कार्टूनिष्ट" ने चम्बल के एक स्वाभिमानी इलाके भिंड (मध्य प्रदेश्) में जन्म पाया। पिछले २३ सालों से कार्टूनिंग कर रहे हैं। ग्वालियर, इंदौर, लखनऊ के बाद पिछले एक दशक से जयपुर में राजस्थान पत्रिका से जुड़ कर आम आदमी के दुःख-दर्द को समझने की और उस पीड़ा को कार्टूनों के माध्यम से साँझा करने की कोशिश जारी है.....
14 टिप्पणियाँ
ha ha ha .....bahut sahi banaya hai .....achchhi vyangya rachna
जवाब देंहटाएंअनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बात तो सही है..........जमाने के साथ प्यार के तरीके बदलने चाहियें
जवाब देंहटाएंVery True :)
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
बहुत ही बढ़िया लगा अभिषेक जी . देखकर आनंद आ गया.बधाई.
जवाब देंहटाएंबात तो सही कही है।ः)
जवाब देंहटाएंहम तो इस से भी डफ़र है, हम ने अभी तक यह सब कहा ही नही ??
जवाब देंहटाएंकार्टून के नायक से हमें तो जलन हो रही है। हम तो ऐसा उलाहना को तरस गए।
जवाब देंहटाएंजोरदार कार्टून है।
मज़ेदार.....
जवाब देंहटाएंदीवारों पर लेखन पर व्यंग्य वाण
जवाब देंहटाएंअच्छा कार्टून।
जवाब देंहटाएंजमाने का क्या है... जमाने के साथ चलने के लिये भी तो बहुत कुछ चाहिये.. प्यार में तो पुराने तरीके ही मस्त हैं.. नये तरीकों (MMS, SMS)में तो सबूत छूट जाता है और जूते पडने की पूरी पूरी गुंजाईश होती है न :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंअभिषेक जी,
बधाई...
cartoon nahi vyangya chitra kahiye janab
जवाब देंहटाएंnice blog have seen after joinng this community.hope will in touch though we are facing 'mundi' to talk even on mobile.
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.