
पंख उड़ाती कहाँ चली
घूम रही हो गली-गली
अभी यहाँ थी, वहाँ चली
काश हमारे भी पंख होते
संग तुम्हारे हम उड़ लेते
रंग-बिरंगे पंख तुम्हारे
मन को भाते हैं ये सारे
संग तुम्हारे हम उड़ लेते
रंग-बिरंगे पंख तुम्हारे
मन को भाते हैं ये सारे
जब भी तुमको चाहें छूना
पास नहीं आती हो
फूलों का रस लेकर
झट से उड़ जाती हो।
पास नहीं आती हो
फूलों का रस लेकर
झट से उड़ जाती हो।
आकांक्षा यादव अनेक पुरस्कारों से सम्मानित और एक सुपरिचित रचनाकार हैं।
राजकीय बालिका इंटर कालेज, कानपुर में प्रवक्ता के रूप में कार्यरत आकांक्षा जी की कवितायें कई प्रतिष्ठित काव्य-संकलनों में सम्मिलित हैं।
आपने "क्रांति यज्ञ: 1857 - 1947 की गाथा" पुस्तक में संपादन सहयोग भी किया है।
23 टिप्पणियाँ
अच्छी बाल कविता है। तितली वैसे भी बच्चों के लिये प्रिय कौतूहल है।
जवाब देंहटाएंबच्चों के याद करने योग्य
जवाब देंहटाएंबेहतर तितली कविता
बच्चों की यही रहती
है आकांक्षा लिखे ऐसा
कोई
याद रहे सोई।
मन को छू जाने वाली बाल कविता है, मैने भी आनंद लिया।
जवाब देंहटाएंतितली पर एक अच्छी बाल कविता !
जवाब देंहटाएंएक अच्छी बाल कविता तितली पर ...
जवाब देंहटाएंकविता पढने के बाद अपना खोया बचपन याद आ गया
जवाब देंहटाएंअच्छी बाल कविता....
अच्छी लयबद्ध बाल कविता के लिए आकांक्षा जी को बहुत-बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंप्रवाहमयी सुंदर कविता जिसने केवल बच्चों का ही नहीं, हमारे जैसे वृद्धों का भी दिल लुभा लिया। बहुत पसंद आई।
जवाब देंहटाएंमहावीर शर्मा
बहुत अच्छी बाल कविता। बधाई।
जवाब देंहटाएंबाल कविता लिखना कठिन कार्य है। आप इस प्रयास में पूर्ण सफल हुई हैं।
जवाब देंहटाएंएक बार फ़िर बचपन में पहुंच गये इस कविता के माध्यम से.. बचपन में खूब तितलियों के पीछे भागते थे उन्हे पकडने के लिये... भंबरों को माचिस की डिविया में कैद कर उनकी गुनगुनाहट सुनने में बडा मजा आता था..
जवाब देंहटाएंबाल कविता तो अच्छी है ही, मैने तितली पर जितनी भी बाल कवितायें पढी हैं उनमें यह श्रेष्ठ में स्थान रखती है।
जवाब देंहटाएंजब भी तुमको चाहें छूना
जवाब देंहटाएंपास नहीं आती हो
फूलों का रस लेकर
झट से उड़ जाती हो।
.....................
आकांक्षा जी की बाल कविता 'तितली रानी' बहुत खूब है.बड़ी खूबसूरती से आप विषय और शब्दों का चयन करती हैं.बधाई स्वीकारें.
आकांक्षा जी की बाल कविता पढ़कर आनंद आ गया. ढेरों बधाई !!
जवाब देंहटाएंआकांक्षा जी! आपने तो तितली रानी के बहाने इक बार फिर से बचपन की दहलीज पर लाकर खडा कर दिया..बधाई.
जवाब देंहटाएंतितली रानी, तितली रानी
जवाब देंहटाएंपंख उड़ाती कहाँ चली ?
...एक सार्थक,सुन्दर और असरदार बाल कविता.गहन अनुभूति है.आकांक्षा जी, बधाई !!!!!
आकांक्षा जी की कविताओं की मैं कायल हूँ. सहज-सारगर्भित शब्दों में इतना अनुपम चित्रण विरले ही देखने को मिलता है. इसे आकांक्षा जी की खूबी कहें या फिर उनकी कविताओं की ! बहुत ही खूबसूरत बाल कविता के लिए बारम्बार बधाई धन्यवाद और शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंचलिए तितली रानी के साथ फिर से बच्चे बन जाएँ...मैं राजीव रंजन जी के साथ हूँ कि-" बाल कविता तो अच्छी है ही, मैने तितली पर जितनी भी बाल कवितायें पढी हैं उनमें यह श्रेष्ठ में स्थान रखती है।"
जवाब देंहटाएंअहा! तितली रानी को पढ़कर मन प्रफुल्लित हो गया. आकांक्षा जी कि अन्य बाल-कविताओं का बेसब्री से इंतजार रहेगा.
जवाब देंहटाएंयह तो नहीं पता कि तितली पर कविगण इतना मोहित क्यों होते हैं, पर आकांक्षा जी की यह सुन्दर कविता पढ़कर बचपन की वादियों में तितली के पीछे दौड़ने में कोई हर्ज़ नहीं....तो आप भी आयें मेरे साथ !!!
जवाब देंहटाएं@ Yuva
जवाब देंहटाएं...लो जी हम आ गए आपके पीछे.जल्दी से घुमाइए हमें भी तितली रानी के साथ.
मनमोहक रचना.बार-बार मन इस बाल गीत को गुनगुना उठता है- तितली रानी-तितली रानी.
जवाब देंहटाएंइक बार फिर से गुनगुना दूँ- तितली रानी-तितली रानी......
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.